Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

दिल्ली : याचिका का दावा- स्कूलों से अनुपस्थित हैं 40,000 शिक्षक, कोविड संबंधी ज़िम्मेदारियों में किया गया नियुक्त

याचिका जाने-माने आरटीई कार्यकर्ता और वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल के ज़रिए लगाई गई है। याचिका में दावा किया गया है कि शिक्षण निदेशालय में पदस्थ 57,000 शिक्षकों में से 70 फ़ीसदी स्कूली सेवाओं के लिए उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि अप्रैल, 2020 से उन्हें डिवीज़नल कमिश्नर में आपदा प्रबंधन के काम लगाया गया है।
teacher
Image courtesy : The Indian Express

दिल्ली उच्च न्यायालय में सोशल जूरिस्ट द्वारा लगाई गई एक याचिका में दावा किया गया है कि 39,000 शिक्षक स्कूलों से अनुपस्थित हैं और उन्हें कोरोना प्रबंधन के कामों को करने के लिए सब डिवीज़नल मजिस्ट्रेट के ऑफ़िस में लगाया गया है। बता दें सोशल जूरिस्ट शिक्षा के अधिकार के लक्ष्यों की पूर्ति की दिशा में काम करने वाला संगठन है। यह याचिका संगठन ने जाने-माने आरटीई कार्यकर्ता और वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल के ज़रिए लगवाई है। याचिका में कहा गया कि कुल 57,000 शिक्षकों मे से 70 फ़ीसदी से ज़्यादा स्कूल की सेवा में उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि अप्रैल, 2020 के बाद उन्हें आपदा प्रबंधन के लिए डिवीज़नल कमिश्नर के साथ लगा दिया गया है। इसके बाद से ही उन्हें वापस स्कूलों में शिक्षा संबंधी कार्यों के लिए नहीं छोड़ा गया है। यही स्थिति दिल्ली में एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में है, जहां 8 लाख छात्र प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ते हैं।

शिक्षा निदेशालय, क्षेत्रीय आयुक्त, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के बीच हुई बातचीत से पता चलता है कि शिक्षकों को दी गई जिम्मेदारियों से उन्हें वापस अपने मूल काम में लगाने के लिए बमुश्किल ही कोई सहमति बनी है। शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय ने DDMA (डिवीज़नल कमिश्नर) को लिखे अपने खत में कहा, "सीबीएसई की 10वीं और 12वीं के लिए परीक्षाएं नवंबर में होनी हैं। इसके लिए 9वीं से लेकर 12वीं तक के शिक्षकों की सेवाएं जरूरी हैं, ताकि छात्रों को मध्य सत्र और प्री-बोर्ड व बोर्ड परीक्षाओं के लिए तैयार किया जा सके। संबंधित कक्षाओं के कई छात्र अब भी जिला प्रशासन के साथ कोविड संबंधी जिम्मेदारियों पर काम कर रहे हैं, इससे अकादमिक गतिविधियां और छात्रों की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियां प्रभावित हो रही हैं। इससे नतीज़ों और छात्रों के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।"

शिक्षकों ने न्यूज़क्लिक से पुष्ट करते हुए कहा है कि वे अब भी खुद को कोविड संबंधी कर्तव्यों से हटाए जाने के आदेश का इंतज़ार कर रहे हैं। जबकि इस संबंध में अपील भी की जा चुकी है। 

दिल्ली सरकार में नौकरी करने वाले एक शिक्षक ने न्यूज़ क्लिक को बताया कि शिक्षकों का प्रशिक्षण प्राथमिक तौर पर शिक्षण कार्य के लिेए हुआ है, ना कि जनसंख्या, भीड़ प्रबंधन और दूसरे तरह के प्रशासनिक कार्यों को संभालने के लिए। कोविड प्रबंधन के काम ने छात्रों की शिक्षा पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा, "स्कूल देखे हुए हमें लगभग दो साल होने को हैं। पहले हमें शहर छोड़कर जाने वाले प्रवासी कामग़ारों के लिए सुविधा कार्यों में लगाया गया। अब कुछ लोगों को एसडीएम ऑफ़िस में लगा रखा है। बात यह है कि हम ऐसे कामों के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं। हमें कोविड प्रोटोकाल का पालन ना करने वाले लोगों का चालान करने के लिए चालान पुस्तिका दी गई है। दशहरा पास है, फिर हमें भीड़ को नियंत्रित करने का काम दिया जाएगा। यह पुलिस का काम होना चाहिए।"

जब हमने पूछा कि क्या इससे अध्ययन प्रभावित होता है, तो शिक्षक ने कहा, "बिल्कुल इससे अध्ययन प्रभावित होता है। शिक्षक ऑनलाइन पढ़ाते हैं और हर कक्षा में उपस्थित होते हैं। लेकिन उन पर बहुत ज़्यादा काम का दबाव है, जिससे उनकी कार्यकुशलता प्रभावित हो रही है। एक शिक्षक जिसे तीन कक्षाएं लेनी होती थीं, अब वह 7 कक्षाएं ले रहा है। इतने दबाव के साथ वह कैसे पढ़ाएगा।" शिक्षक ने जोर देकर कहा कि जिला प्रशासन शिक्षकों को छोड़ना नहीं चाहता, क्योंकि उन्हें अच्छे से काम आता है। नए लोगों को काम पर लाने से काम कुछ दिन के लिए पूरी तरह रुक जाएगा। 

अपना नाम ना छापने की शर्त पर एक प्रशिक्षक शिक्षक ने बताया कि दूसरे कामों में फंसे होने पर शिक्षकों की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। कुछ शिक्षक परेशान होकर कक्षाओं में वापस लौट आए हैं, क्योंकि वे अपने छात्रों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, "ऑनलाइन क्लास हो रही हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं। कई छात्रों के पास इन कक्षाओं में शामिल होने के लिए मोबाइल फोन नहीं हैं। एक प्रशिक्षण शिक्षक होने के नाते मैं दूसरे शिक्षकों से छात्रों से जुड़कर उनकी समस्याओं को समझने के लिए कहता हूं। लेकिन ऑनलाइन माध्यम ही अपने आप में एक बाधा है। एसडीएस शिक्षकों को छोड़ना नहीं चाहते, क्योंकि वे अपने काम में रुढ़ीवादी हैं और उन्हें तीसरी लहर का डर है।" 

दिल्ली सरकारी शिक्षक संगठन के अध्यक्ष अजय वीर यादव कहते हैं कि आठ जिला कार्यालयों में अलग-अलग कामों में हज़ारों शिक्षकों को नियुक्त किया गया है। सरकार को खुद इस मुद्दे को समझना चाहिए था। उन्होंने कहा, "यह शर्म की बात है कि दिल्ली सरकार को अब छात्रों व शिक्षकों की परेशानी जानने के लिए जनहित याचिका की जरूरत पड़ रही है। उन्होंने हमें सिर्फ़ काम करने वाला मानकर छोड़ दिया है, जिससे कोई भी काम करवाया जा सकता है। शिक्षक होने की हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा अब ख़त्म हो चुकी है।"

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Nearly 40,000 Teachers Absent from Schools, Deputed on COVID Duties in Delhi, Claims Petition

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest