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अमेरिका - चीन के बीच की टेक्नोलॉजिकल जंग

पहले वर्ल्ड वार हुआ करता था, तब ट्रेड वार का दौर शुरू हुआ , अब हम टेक वार की दौर में पहुँच चुके हैं। जहाँ अचनाक से टेक्नोलॉजी की खरीद बिक्री रोककर किसी देश के जीवन को पीछे धकेला जा सकता है। या उसकी सम्प्रभुता पर बट्टा लगाया जा सकता है।

पहले वर्ल्ड वार हुआ करता था, तब ट्रेड वार का दौर शुरू हुआ , अब हम टेक वार की दौर में पहुँच चुके हैं। जहाँ अचनाक से टेक्नोलॉजी की खरीद बिक्री रोककर किसी देश के जीवन को पीछे धकेला जा सकता है। या उसकी सम्प्रभुता पर बट्टा लगाया जा सकता है। जैसे कि पिछले साल अमेरिका और चीन के बीच शुरू हुआ ट्रेड वार बढ़ते-बढ़ते अब टेक्नॉजिकल वार के कगार पर पहुँच चूका है। अमेरिका ने चीन की कम्पनी हुवावे के साथ व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। हुवावे चीन की बहुत बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में से एक है, जो टेलीकम्यूनिकेशन यंत्रो और लोगों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक यंत्रो जैसे कि स्मार्टफोन, सर्वर आदि का व्यापार करती है। अमेरिका द्वारा लगाए गए इस प्रतिबन्ध का मतलब यह होगा कि अमेरिका की कोई भी कम्पनी हुवाये के साथ किसी भी तरह का व्यापारिक करार नहीं करेगी।

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