बिगड़ते आर्थिक हालात’ के खिलाफ वामदल करेंगे देशव्यापी साझा प्रदर्शन
नई दिल्ली: देश की आर्थिक स्थिति गंभीर होने का दावा करते हुए माकपा और भाकपा सहित सभी वामदलों ने मोदी सरकार की कथित गलत आर्थिक नीतियों के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।
माकपा, भाकपा, भाकपा माले, फारवर्ड ब्लॉक और आरएसपी की ओर से सोमवार को जारी संयुक्त बयान के अनुसार विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा तय करने के लिये चारों दलों की 20 सितंबर को संयुक्त बैठक आहूत की गयी है। इस दौरान देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर भी विचार विमर्श किया जाएगा।
बैठक में माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा के महासचिव डी राजा सहित सभी वामदलों के नेता शिरकत करेंगे। वामदलों ने हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित 70 हजार करोड़ रुपये के विशेष सहायता पैकेज के बारे में कहा कि इससे अर्थव्यवस्था को कोई राहत नहीं मिलेगी।
वाम दलों ने सभी लोकतांत्रिक दलों और नागरिक समूहों से देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील भी की है जिससे मौजूदा स्थिति के कारण परेशानियों का सामना कर रहे गरीबों की आवाज को मजबूती से उठाया जा सके।
गौरतलब है कि देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को लेकर वामनेता लगातार सरकार पर हमलावर रहे हैं।
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया था कि अगर निर्यात और आयात दोनों घट रहे हैं तो इसका मतलब अर्थव्यवस्था की गतिविधि का कम होना है। भारतीय अर्थव्यवस्था अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है।
गौरतलब है कि आंकड़ों के मुताबिक देश का निर्यात कारोबार अगस्त माह में 6.05 प्रतिशत घटकर 26.13 अरब डॉलर रह गया। इस दौरान आयात भी एक साल पहले के इसी माह के मुकाबले 13.45 प्रतिशत घटकर 39.58 अरब डॉलर रहा।
...It doesn't take an Einstein to know that those responsible for this are sitting in the government. https://t.co/NmOQ4fvoUs
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) September 13, 2019
येचुरी ने गुरुत्वाकर्षण की खोज में वैज्ञानिक अल्बर्ट आंइस्टीन को गणित की मदद नहीं मिलने संबंधी वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की चर्चित टिप्पणी पर तंज कसते हुये कहा कि उन्हें (गोयल को) दूरस्थ सपनों के बजाय जमीनी हकीकत पर ध्यान देना चाहिये।
येचुरी ने ट्वीट कर कहा, ‘सरकार को अपने सिर पर सेब के गिरने का इंतजार नहीं करना चाहिये, इसके पहले कि उसे अर्थव्यवस्था का गणित गड़बड़ हो जाने का अहसास हो। इसका अहसास कराने के लिये हमें आंइस्टीन की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।’ येचुरी ने गोयल को नसीहत दी कि उन्हें दूरस्थ सपनों के बजाय जमीनी हकीकत पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये।
आपको बता दें कि बिगड़ती अर्थव्यवस्था और केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर तमाम दूसरे संगठन भी प्रदर्शन की चेतावनी दिए हुए हैं। 20 सितंबर को बैंक कर्मचारियों का बैंकों के विलय के खिलाफ एक दिन का विरोध प्रदर्शन है। इसके बाद बैंक ऑफिसर एसोशिएसन ने बैंकों के विलय के खिलाफ 25-26 सिंतबर को दो दिनों की हड़ताल का आह्वान किया है।
तो दूसरी ओर कोयला खनन क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई के विरोध मे 24 सिंतबर को देशभर के कोयला खनन के कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। नए मोटर व्हीकल एक्ट के विरोध में डीटीसी कर्मचारी 25-26 सितंबर को भूख हड़ताल करने जा रही है। तो यूनाइटेड फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के बैनर तले करीब 40 संगठनों ने 19 सितंबर को दिल्ली में चक्का जाम करने की चेतावनी दी है।
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