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झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
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लगातार बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी ने आमा लोगों को भारी परेशानी में डाल रखा है। करोड़ों लोग हर दिन इसकी मार झेलते हुए एक ओर, गरीबी के भयावह दलदल में धकेले जा रहें हैं तो दूसरी ओर, बेरोज़गारी ने पूरी तरह से आर्थिक रूप से पंगु बना दिया है। डीज़ल, पेट्रोल, रसोई गैस, खाने व पकाने के तेलों समेत सभी प्रकार के अनाज के दामों हो रही बेलगाम वृद्धि ने सबके जीवन और जीविका पर भयानक संकट खड़े कर दिए हैं।

इन हालात में वामपंथी पार्टियां मांग कर रही हैं कि मौजूदा केंद्र की सरकार पेट्रोलियम समेत तमाम उत्पादों पर लगाए गए सभी तरह के सेस/सरचार्ज हटा ले तथा हर दिन हो रही कीमतों में भारी वृद्धि पर फ़ौरन रोक लागाये। सभी शहरी एवं ग्रामीण गरीबों को गेंहू, चावल, दाल के अलावे अन्य ज़रूरी सामानों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को मजबूती से लागू कर आसन्न भुखमरी के संकटों का समाधान किया जाए।

सभी वाम दलों ने यह भी आरोप लगाया है कि- केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ बढ़ते व्यापक असंतोष और जनाक्रोश से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ज्ञानव्यापी-मथुरा मंदिर/मस्स्जिद विवाद के बहाने ‘हिन्दू मुसलमान’ की उन्मादी सांप्रदायिक विभाजन राजनीति में लोगों को उलझाया जा रहा है। साथ ही इसी के जरिये देश पर संघ प्रायोजित ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’ का एजेंडा थोपने की साजिश तेज़ की जा रही है। तातां वामपंथी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतान्त्रिक ताक़तें इसका पुरजोर करतीं हैं।

उक्त मुद्दों को लेकर सभी वामपंथी दल 25 से 31 मई तक देशव्यापी अभियान संगठित कर रहीं हैं।  आप भी इस अभियान का हिस्सा बनें।

रोको महंगाई बांधो दाम, नहीं तो होगा चक्का जाम’ के केन्द्रीय नारे के साथ वामा दलों का यह अभियान  झारखण्ड और बिहार के सभी जिलों में संचालित किया गया। जिसके तहत पुरे एक सप्ताह तक विविध आन्दोलनात्मक कार्यक्रम किये गए। अभियान की शुरुआत 25 मई के दिन विभिन्न  स्थानों पर नुक्कड़ सभा व पर्चा वितरित कर व्यापक स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाया गया। 3031 मई को विभिन्न जिला मुख्यालयों व अन्य केन्द्रों पर प्रतिवाद मार्च निकालकर स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन देने के जरिये अभियान का समापन किया गया।

झारखण्ड में यह अभियान भाकपा माले, सीपीएम्, सीपीआइ व मासस के संयुक्त बैनर तले संचालित किया गया। जिसके तहत राजधानी रांची के अलावे गिरिडीह, रामगढ़, हजारीबाग, बोकारो, धनबाद, कोडरमा, पलामू तथा गढ़वा इत्यादि कई जिलों में सघन कार्यक्रम हुए। 31 मई को रांची में राजभवन मार्च निकाल कर जन सभा की गयी। कोयलांचल के इलाकों में भी वाम दलों के साथ ट्रेड युनीयनों ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई।

बिहार में भाकपा माले, सीपीएम व सीपीआई के अलावे एसयूसीआई, आरएसपी व फारवर्ड ब्लॉक के संयुक्त बैनर तले ‘महंगाई बेरोज़गारी’ के साथ साथ ‘बुलडोज़र राज और गरीबों के राशन कार्ड रद्द किये जाने’ के खिलाफ उक्त अभियान संचालित किया गया। 

30 मई को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर संयुक्त धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम हुआ। राजधानी पटना के कारगिल चौक पर आयोजित कार्यक्रम को भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा समेत अन्य सभी वाम दलों के केन्द्रीय नेताओं तथा भाकपा माले विधायक गोपाल रविदास ने विरोध सभा को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में ऐपवा तथा एक्टू के नेताओं ने भी संबोधित किया।

वक्ताओं ने बिना वैकल्पिक व्यवस्था किये गरीबों पर बुलडोज़र चलाये जाने पर फौरन रोक लगाने तथा बिना किसी सर्वे के कतिपय फर्जी लोगों को हटाये जाने के नाम पर पुरे राज्य में लाखों गरीबों के रद्द किये गए राशन कार्ड को अविलम्ब वापस दिए जाने की ज़ोरदार मांग की। गैर आयकर भुगतान वाले सभी परिवारों को प्रत्यक्ष 7500 रुपये भुगतान करने, शहरी क्षेत्रों में रोज़गार गारंटी योजना मजबूती से लागू करने, मनरेगा राशी में वृद्धि किये जाने, बेरोज़गारी भत्ता कानून बनाने तथा सभी गरीबों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने की भी मांग उठायी गयी।

वक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में मामूली कमी करके अपनी पीठ थपथपाने वाली मौजूदा केंद्र की सरकार देश की जनता की आँखों में धूल झोक रही है। पूर्व से ही कोविड महामारी और लॉकडाउन की मार झेल रही जनता पर कमरतोड़ महंगाई लाद दिया जाना, मोदी सरकार के गरीब विरोधी रवैये का प्रत्यक्ष प्रमाण है। आम आदमी की आमदनी तो बढ़ नहीं रही लेकिन महंगाई रोज़ रोज़ बढ़ रही है। माध्यम वर्ग से लेकर तमाम छोटे व्यवसायी समेत समाज के सभी तबकों के लोग इस अभूतपूर्व महंगाई से बुरी तरह से त्रस्त हैं। तमाम तरह के खाने की वस्तुओं के दामों में बेतहाशा मूल्यवृद्धि ने बेहाल गरीबों के राशन कार्ड छीनकर उन्हें पुरे परिवार के साथ भूखमरी के गड्ढे में धकेला जाना उनके ‘भोजन के अधिकार’ पर खुला हमला है। बिहार में अभी तक 80 लाख 79 हज़ार राशन कार्ड रद्द किये जा चुके हैं। गेहूं की कम खरीद का हवाला देकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सभी गरीबों को सिर्फ चावल दिया जा रहा है। बच्चों की पढ़ाई लिखाई के खर्चों व फीस में हुई अभूतपूर्व वृद्धि के कारण लोगों को अनाप शनाप शर्तों पर कर्जे लेने को विवश बना दिया है।

इन संकटपूर्ण स्थितियों पर अविलम्ब संज्ञान लेते हुए यदि केंद्र की सरकार अविलम्ब कोई ठोस क़दम उठाकर महंगाई से त्रस्त जनता को उबारने में अपनी सक्रियता नहीं दिखायेगी तो सभी वामपंथी दल आनेवालों दिनों में और भी बड़ा जान्दोलन खड़ा करने को बाध्य हो जायेंगे।

वाम दलों के इस संयुक्त विरोध अभियान के तहत राजधानी पटना के अलावे जहानाबाद, दरभंगा , मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, अररिया, बेगुसराय, नरकटियागंज, नवादा, नालंदा, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, अरवल, बक्सर, पूर्णिया, भोजपुर एवं सिवान समेत सभी जिलों में सघन कार्यक्रम हुए। जिनमें महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी रही।

माले विधायक दल नेता महबूब आलम, सुदामा प्रसाद, वीरेन्द्र गुप्ता, रामबली प्रसाद, गोपाल रविदास, महानंद प्रसाद एवं मनोज मंजिल समेत सभी वाम विधायकों ने अपने अपने क्षेत्रों में इस अभियान का नेतृत्व किया।

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