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मानवजाति को तार-तार करता युद्ध

जैसे-जैसे गज़ा पर इजराइल का नरसंहार युद्ध जारी है, इतिहासकार विजय प्रसाद लोगों और समाज पर युद्ध के बहुआयामी प्रभाव पर रोशनी डाल रहे हैं।
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जनवरी 2024 में गज़ा की एक सड़क पर इजराली मर्कवा टैंक। फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स

मेरे दोस्त बताते हैं कि बगदाद (इराक) में उनके अपार्टमेंट में, 2003 में अमेरिका द्वारा उनके देश पर थोपे गए अवैध युद्ध की भयावहता ने हर एक को किस तरह प्रभावित किया था। यूसुफ और अनीसा दोनों ही इराक के जर्नलिस्ट फेडरेशन के सदस्य हैं और दोनों को युद्ध के दौरान बगदाद में आने वाली पश्चिमी मीडिया कंपनियों के साथ "स्ट्रिंगर" के रूप में काम करने का अनुभव है। जब मैं पहली बार उनके वजीरियाह स्थित पड़ोस में रात के खाने के लिए उनके अपार्टमेंट में गया, तो मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि अनीसा-जिसे मैं एक धर्मनिरपेक्ष युवती मानता वह अपने चेहरे पर पर्दा डाले हुए थी। अनीसा ने बाद में शाम को मुझसे कहा कि "मैं यह दुपट्टा इसलिए पहनती हू, ताकि मैं अपने चेहरे और गर्दन के निशान छिपा सकूं, ये निशान एक अमेरिकी सैनिक की गोली के घाव से बने थे, जो अपने गश्ती दल के बगल में एक आईईडी [इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस] के फटने से बेकाबू गया था।"

दिन की शुरुआत होने के साथ, यूसुफ ने मुझे न्यू बगदाद शहर में घुमाया, जहा 2007 में एक अपाचे हेलीकॉप्टर ने लगभग बीस नागरिकों को मार डाला था और दो बच्चों को घायल कर दिया था। मृतकों में रायटर के लिए काम करने वाले दो पत्रकार सईद चमाघ और नमीर नूर-एलदीन भी शामिल थे। यूसुफ ने मुझे उस चौक की ओर इशारा करते हुए बताया कि, "यही वह जगह है जहा उन्हें मारा गया था।" और यही वह जगह है जहा सलेह [माताशेर तोमल] ने सईद को बचाने के लिए अपनी मिनीवैन खड़ी की थी, जो अभी तक मरा नहीं था। और यहीं पर अपाचे ने मिनीवैन पर गोली चलाई, जिससे सलेह के बच्चे, सजाद और दुआ गंभीर रूप से घायल हो गए थे।" मुझे इस जगह में दिलचस्पी थी क्योंकि पूरी घटना को अमेरिकी सेना ने फिल्माया था और विकीलीक्स ने इसे "कोलैटरल मर्डर" के रूप में जारी किया था। जूलियन असांजे मुख्य रूप से इसलिए जेल में हैं क्योंकि उन्होंने इस वीडियो को जारी करने वाली टीम का नेतृत्व किया था (अब वे ब्रिटेन की अदालत में संयुक्त राज्य अमेरिका को अपने प्रत्यर्पण के केस को चुनौती दे रहे हैं)। वीडियो ने एक भयानक युद्ध अपराध का प्रत्यक्ष सबूत पेश किया था।

अनीसा ने शाम को मुझसे कहा, "हमारे पड़ोस में कोई भी हिंसा से अछूता नहीं रहा है। हम एक ऐसा समाज हैं जो सदमे में है" "उदाहरण के लिए मेरी पड़ोसी को ही ले लीजिए। उसने बमबारी में अपनी मा को खो दिया और उसका पति एक और बमबारी के कारण अंधा हो गया।" कहानिया मेरी नोटबुक में भरी हुई हैं। वे अंतहीन हैं। हर समाज जिसने इराकियों और अब फिलिस्तीनियों द्वारा सामना किए जा रहे युद्ध को देखा है, वह दिल से जख्मी है। ऐसी हिंसा से उबरना बहुत मुश्किल है।

मेरी ज़मीन को ज़हरीला बना दिया गया

मैं वियतनाम में हो ची मिन्ह ट्रेल के पास चल रहा था। मेरे मित्र जो मुझे इस इलाके को दिखा रहे हैं, वे इसके चारों ओर के खेतों की ओर इशारा करते हैं और कहते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने एजेंट ऑरेंज यहां गिराए थे जिससे यह भूमि इतनी जहरीली हो गई है कि उन्हें नहीं लगता कि यहा पीढ़ियों तक अनाज पैदा किया जा सकता है। अमेरिका ने कंबोडिया, लाओस और वियतनाम पर कम से कम 74 मिलियन लीटर रसायन, जिनमें से अधिकांश एजेंट ऑरेंज थे, गिराए, जिनका ध्यान कई वर्षों तक उत्तर से दक्षिण तक फैली इस आपूर्ति लाइन पर रहा। इन रसायनों के छिड़काव से कम से कम पाच मिलियन वियतनामी लोगों के शरीर पर असर पड़ा और भूमि क्षत-विक्षत हो गई।

वियतनामी पत्रकार ट्रान टो नगा ने 2016 में मा टेरे एम्पोइसनी (मेरी जहरीली भूमि) नामक पुस्तक प्रकाशित की, जिसका उद्देश्य अमेरिका द्वारा युद्ध हारने के चार दशक बाद भी वियतनाम पर जारी अत्याचार की ओर ध्यान आकर्षित करना था। अपनी पुस्तक में ट्रान टो नगा ने बताया है कि कैसे 1966 में एक पत्रकार के रूप में उन पर अमेरिकी वायु सेना के फेयरचाइल्ड सी-123 द्वारा एक अजीब रसायन का छिड़काव किया गया था। उन्होंने इसे पोंछ दिया और जंगल में आगे बढ़ गईं, आसमान से गिरे जहर को झेलते हुए वह चलती रही। जब दो साल बाद उनकी बेटी का जन्म हुआ, तो ट्रान टो नगा पर एजेंट ऑरेंज के रसायनिक प्रभाव के कारण वह शिशु अवस्था में ही मर गई। "वहां के गांव के लोग," मेरे मार्गदर्शक मुझे गांव का नाम बताते हुए कहते हैं कि, "यहां पीढ़ी दर पीढ़ी गंभीर दोषों वाले बच्चे पैदा होते हैं।"

गज़ा

गज़ा के संदर्भ में ये यादें वापस लौट आती हैं। अक्सर फोकस मृतकों और भू-दृश्य पर होता है। लेकिन आधुनिक युद्ध के अन्य ऐसे ठोस प्रभाव होते हैं जिनकी गणना करना कठिन है। युद्ध की तेज़ आवाज़, बमबारी और चीख-पुकार का शोर, वो शोर जो छोटे बच्चों की याद में गहराई तक उतर जाता है और उनके पूरे जीवन पर छा जाता है। उदाहरण के लिए, गज़ा में ऐसे बच्चे हैं, जो 2006 में पैदा हुए थे और अब अठारह वर्ष के हैं, जिन्होंने 2006 में अपने जन्म के समय युद्ध देखा, फिर 2008-09, 2012, 2014, 2021 और अब, 2023-24 में युद्ध देखा। इन बड़ी बमबारी के बीच के अंतराल को छोटी बमबारी ने पाट दिया है, जो उतनी ही शोरगुल वाली और घातक है।

फिर युद्ध के कारण धूल ही धूल छाई रहती है। आधुनिक निर्माण में कई तरह की जहरीली सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल, 1982 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने "सिक बिल्डिंग सिंड्रोम" नामक एक घटना को मान्यता दी थी, जो तब होती है जब कोई व्यक्ति आधुनिक इमारतों के निर्माण में इस्तेमाल की गई जहरीली सामग्री के कारण बीमार पड़ जाता है। कल्पना कीजिए कि 2,000 पाउंड का एमके84 बम किसी इमारत पर गिरता है और कल्पना कीजिए कि जहरीली धूल हवा और ज़मीन दोनों पर उड़ती और टिकी रहती है। यह वही है जिसमें अब गज़ा के बच्चे सांस ले रहे हैं, क्योंकि इजराली इन घातक बमों में से सैकड़ों को रिहायशी इलाकों में गिरा रहे हैं। गज़ा में अब 37 मिलियन टन से ज़्यादा मलबा पड़ा है, जिसका एक बड़ा हिस्सा जहरीले पदार्थों से भरा हुआ है।

युद्ध विराम के कई साल बाद भी हर युद्ध क्षेत्र ख़तरनाक बना रहता है। गज़ा पर इस युद्ध के मामले में, शत्रुता समाप्त होने से भी हिंसा समाप्त नहीं होगी। नवंबर 2023 की शुरुआत में, यूरो-मेड ह्यूमन राइट्स मॉनिटर ने अनुमान लगाया कि इज़रालियों ने गज़ा पर 25,000 टन विस्फोटक गिराए हैं, जो दो परमाणु बमों के बराबर है (हालाकि, जैसा कि उन्होंने बताया, हिरोशिमा 900 वर्ग मीटर भूमि पर स्थित है, जबकि गज़ा का कुल वर्ग मीटर 360 है)। अप्रैल 2024 के अंत तक, इज़राल ने गज़ा पर 75,000 टन से अधिक बम गिराए थे, जो छह परमाणु बमों के बराबर होगा। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि गज़ा में अप्रयुक्त आयुध को साफ़ करने में 14 साल लगेंगे। इसका मतलब है कि 2038 तक लोग इज़रली बमबारी के कारण मरते रहेंगे।

अनीसा और यूसुफ़ के अपार्टमेंट के साधारण लिविंग रूम की छत पर एक छोटा सा फ़िलिस्तीनी झंडा लगा हुआ है। उसके बगल में छर्रे का एक छोटा सा टुकड़ा है जो यूसुफ की बाईं आख पर लगा था और उसे नष्ट कर दिया था। छत पर और कुछ नहीं है।

विजय प्रसाद भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वे ग्लोबट्रॉटर में राइटिंग फेलो और मुख्य संवाददाता हैं। वे लेफ्टवर्ड बुक्स के संपादक और ट्राईकॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं। उन्होंने द डार्कर नेशंस और द पुअरर नेशंस सहित 20 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। उनकी नवीनतम पुस्तकें हैं स्ट्रगल मेक्स अस ह्यूमन: लर्निंग फ्रॉम मूवमेंट्स फॉर सोशलिज्म और (नोम चोम्स्की के साथ) द विदड्रॉल: इराक, लीबिया, अफगानिस्तान, एंड द फ्रैगिलिटी ऑफ यूएस पावर हैं।

यह लेख ग्लोबट्रॉटर में प्रकाशित हो चुका है।

ाभार: पीपल्स डिस्पैच

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