Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

भगत सिंह ने क्यों कहा— मैं नास्तिक हूं?

आज जब एक बार फिर धर्म और ईश्वर के नाम पर सत्ता और शोषण की राजनीति बेहद तेज़ हो गई है। ऐसे में शहीदे-आज़म Bhagat Singh का यह लेख "मैं नास्तिक क्यों हूं" पढ़ना बेहद ज़रूरी हो गया है।

जेल में रहते हुए लिखे गए इस लंबे लेख को उनकी शहादत 23 मार्च, 1931 के बाद 27 सितंबर, 1931 को लाहौर से निकलने वाले अख़बार 'द पीपल' में प्रकाशित किया गया था। इस लेख में भगत सिंह ने इस दुनिया के निर्माण के साथ ईश्वर, मनुष्य, उसके सुख-दुख, उत्पीड़न-शोषण इन सबका बेहद वैज्ञानिक ढंग से विवेचन किया है। साथ ही वर्ग भेद की स्थितियों को उजागर किया है। न्यूज़क्लिक की ओर से प्रस्तुत हैं उनके इस लेख के कुछ मुख्य अंश। 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest