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गोवा सरकार मध्य प्रदेश में आवंटित कोयला ब्लॉक में खनन से पीछे क्यों हट रही है?

केंद्रीय कोयला मंत्रालय, गोवा सरकार द्वारा खनन ठेकेदार को नियुक्त न कर पाने के मामले में पांच एक्सटेंशन दे चुका, आख़िरी एक्सटेंशन की तारीख़ भी 28 मार्च को पूरी हो गई है।
गोवा सरकार मध्य प्रदेश में आवंटित कोयला ब्लॉक में खनन से पीछे क्यों हट रही है?
Image Courtesy: AFP

नई दिल्ली: एक निजी सलाहकार को नियुक्त करने के बावजूद, गोवा सरकार मध्य प्रदेश में अपने कोयला ब्लॉक के लिए खनन ठेकेदार का चयन करने की समय सीमा को पूरा करने में विफल रही है, अब वह केंद्र सरकार से इसे पूरा करने के लिए एक और एक्सटेंशन देने की मांग कर रही है। राज्य सरकार ने 28 मार्च को लगातार पांचवीं बार समय सीमा समाप्त होने के बाद खनन के काम के लिए एक ठेकेदार- माइन डेवलपर और ऑपरेटर (एमडीओ) का चयन करने के लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय से अधिक समय मांगा है।

इस सब के चलते गोवा की विपक्षी पार्टियां प्रमोद सावंत के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार द्वारा नियुक्त सलाहकार द्वारा माइन डेवलपर और ऑपरेटर (एमडीओ) के चयन में देरी करने से नाखुश हैं। सलाहकार को नामांकन प्रक्रिया के आधार पर नियुक्त किया गया था और एमडीओ के चयन में तेजी लाने के लिए, बोली प्रक्रिया में जाने की इजाजत दे दी गई थी। यद्द्पि सलाहकार की नियुक्ति 4 नवंबर, 2020 को हो गई थी, लेकिन सलाहकार ने अपनी नियुक्ति के लगभग चार महीने बाद, 3 मार्च, 2021 को अनुरोध पत्र जारी किया है।  

“राज्य सरकार ने नामांकन प्रक्रिया के जरिए एकल निविदा के आधार पर सलाहकार नियुक्त किया था। नियुक्ति के समय सलाहकार को बताया गया था कि उसे माइन डेवलपर और ऑपरेटर (एमडीओ) के संबंध में निविदा दस दिनों के भीतर मंगा ली जानी चाहिए और पूरी प्रक्रिया को 60 दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाना चाहिए। लेकिन करीब पांच महीने के बाद भी राज्य सरकार माइन डेवलपर और ऑपरेटर (एमडीओ) के नाम की घोषणा नहीं कर पाई है। फिर पारदर्शी बोली प्रक्रिया के बिना किसी ठेकेदार को नियुक्त करने का क्या औचित्य है?” गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विधायक विजई सरदेसाई ने उक्त सवाल उठाया। 

गोवा औद्योगिक विकास निगम (GIDC) को मोदी सरकार ने नीलामी की दूसरी किश्त में मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में डोंगरी-ताल II कोयला ब्लॉक आवंटित किया था, यह आवंटन 2014 में सुप्रीम कोर्ट के लैंडमार्क फैसले के बाद हुआ था जब 200 से अधिक आवंटित पट्टों को रद्द कर दिया गया था। 30 अक्टूबर, 2019 को गोवा सरकार और केंद्र के बीच कोयला ब्लॉक के  समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। अभी तक न तो गोवा औद्योगिक विकास निगम (GIDC) ने केंद्र सरकार को 163.96 करोड़ रुपये की अनिवार्य प्रदर्शन गारंटी जमा की है और न ही खनन का काम करने के लिए एमओडी (MDO) को नियुक्त किया है। 

एक बार नियुक्त होने के बाद, एमडीओ ठेकेदार को डोंगरी-ताल II कोयला ब्लॉक के खनन कार्यों से संबंधित सभी गतिविधियों को अंजाम देना होगा। गतिविधियों में खान की योजना बनाना,  खान का विकास करना, उसका संचालन, कोयला निकालना और कोयला को परिवहन के माध्यम से उसके नियत स्थान पर पहुंचाना है। राज्य सरकार, दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के अनुसार, ठेकेदार को एक तय खनन शुल्क का भुगतान करेगी।

वर्ष 2020 से गोवा सरकार केंद्रीय कोयला मंत्रालय से एमडीओ को नियुक्त करने या कोयला ब्लॉक में प्रदर्शन करने की गारंटी का भुगतान करने के मामले में पांच एक्सटेंशन ले चुकी है। हालांकि राज्य सरकार जुलाई 2020 तक खनन में प्रदर्शन की गारंटी राशि की पहली किस्त जमा करने में विफल रही, फिर भी केंद्र सरकार ने उसे चौथा एक्सटेंशन दे दिया। जब चौथे एक्सटेंशन की अवधि भी तेजी से पास आने लगी तो राज्य सरकार ने नवंबर 2020 में नागपुर स्थित एक सलाहकार को नियुक्त कर लिया।  

हालांकि, गोवा सरकार एमडीओ को दी गई समय सीमा के भीतर नहीं चुन पाई और 18 दिसंबर, 2020 को पांचवां एक्सटेंशन मांग लिया गया था। पांचवें एक्सटेंशन की अवधि 28 मार्च, 2021 को समाप्त हो गई, तब तक भी एमडीओ की नियुक्ति नहीं हुई थी। गोवा राज्य विधान सभा में दिए दे एक लिखित जवाब के अनुसार, अब छठे एक्सटेंशन की मांग करने की तैयारी चल रही  है।

30 मार्च को गोवा विधानसभा में तब बड़ा हंगामा खड़ा हो गया जब सत्तारूढ़ भाजपा सरकार द्वारा एमडीओ को नियुक्त ने करने में सलाहकार की ओर से हुई देरी के आरोपों पर सदन में  चर्चा करने से भाजपा सरकार ने इनकार कर दिया। विपक्षी राजनीतिक दलों से संबंधित विधायकों ने आरोप लगाया कि सलाहकार को बिना उचित बोली के जल्दबाजी में चुना गया और इसका चयन बजाय जीआईडीसी द्वारा करने के, सरकार ने सीधे खुद की सार्वजनिक-निजी भागीदारी संचालन समिति के माध्यम से शीर्ष स्तर पर किया गया था।

विपक्षी विधायक विरोध के तौर पर सदन के वेल में कूद गए, जिसने अध्यक्ष को कार्यवाही रोकने और स्थगन आदेश जारी करने पर मजबूर कर दिया। सरदेसाई और गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अन्य विधायकों के साथ निर्दलीय विधायक रोहन खैंटी ने मिलकर आरोप लगाया कि जिस तरह सरकार ने सलाहकार की नियुक्ति की है उसमें संदिग्ध अनियमितताओं की बु आ रही है इसलिए सरकार सदन में इस पर चर्चा से कतरा रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एमओडी के नाम को बैकरूम सौदे के माध्यम से अंतिम रूप दे दिया गया है, जबकि आधिकारिक घोषणा होनी अभी बाकी है, लेकिन गोवा सरकार ने विपक्ष के आरोपों का खंडन किया है। 

गोवा के उद्योग व्यापार और वाणिज्य मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा है कि राज्य सरकार ने अभी तक किसी भी एमडीओ को कोयला ब्लॉक आवंटित नहीं किया है। उन्होंने विपक्षी विधायकों को  सरकार के इरादों पर संदेह करने के लिए कोसा। इस बीच, सरकार को केंद्रीय कोयला मंत्रालय से एक और एक्सटेंशन का इंतजार है।

जीआईडीसी ने कहा है कि डोंगरी-ताल II ब्लॉक से निकाले जाने वाले कोयले का इस्तेमाल  वाणिज्यिक व्यापार के लिए किया जाएगा क्योंकि यहाँ का खनिज काफी ऊंची श्रेणी का है। जीआईडीसी के प्रबंध निदेशक डेरिक पी॰ नेटो ने न्यूज़क्लिक को बताया कि गोवा सरकार को कोयला मंत्रालय द्वारा डोंगरी-ताल II आवंटित इसलिए किया गया था क्योंकि गोआ को गारे पाल्मा III कोयला ब्लॉक के आवंटन को 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। पहले, डोंगरी ताल II मध्य प्रदेश राज्य खनन निगम से संबंधित था, लेकिन वह वहां कभी खनन कार्य नहीं कर पाई थी। 

“निजी फर्म को जीआईडीसी के सलाहकार के रूप में इसलिए नामित किया था क्योंकि उसे डोंगरी-ताल II का अनुभव है। यही फर्म इस ब्लॉक के लिए मध्य प्रदेश सरकार की भी सलाहकार थी। आरएफक्यू (RFQ) जारी होने के बाद, अब प्री-बिड मीटिंग आयोजित की जा रही हैं जिसके बाद एमडीओ का चयन करने के लिए निविदा जारी की जाएगी। वर्तमान में यह प्रक्रिया चल रही है। इस प्रक्रिया के पूरा होने से पहले ही किसी एमडीओ के नाम को अंतिम रूप देने के आरोप निराधार हैं। जीआईडीसी के पास एमडीओ के चयन की प्रक्रिया को शुरू करने की जरूरी विशेषज्ञता नहीं है, इसलिए एक सलाहकार नियुक्त किया गया था। एमडीओ के नाम को अंतिम रूप देने के लिए सलाहकार को एक समय सीमा दी गई थी। नेटो के मुताबिक, हालांकि, इस प्रक्रिया में देरी का एक तथ्य यह भी है इस ब्लॉक कि वित्तीय व्यवहार्यता का निर्धारण करने के लिए अभी अध्ययन किया जाना बाकी है। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Why is the Goa Govt. Dragging its Feet in Mining its Allocated Block in Madhya Pradesh?

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