इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
नॉट : एरिन हेंसन
तर्जुमा : योगेंद्र दत्त त्यागी
तुम्हारी उम्र है ये तुम नहीं हो
नाप भी कपड़ों का अपने तुम नहीं हो
वज़्न अपना तुम नहीं हो
और न ही रंग इन बालों का तुम हो।
तुम्हारा नाम और गालों में पड़ते ये भंवर भी तुम नहीं हो
हां मगर, जो पढ़ चुकी हो सब किताबें और तुम्हारे लफ्ज़
वो तुम हो।
बिखरी-बिखरी सुब्ह की आवाज़ भी
और वो तबस्सुम भी तुम्हीं हो
जिसको तुम खिलने नहीं देती
तुम्हारे क़हक़हों की शीरीनी
तुम्हारा एक-इक आंसू हो तुम।
बुलंद आवाज़ में तन्हाई में गाती हो जिनको भी
वो सारे गीत भी तुम हो।
जहां की सैर की तुमने
जिसे अपना नशेमन कहती हो
वो देस हो, वो घर भी तुम हो।
यकीं जिनमें भी रखती हो वो सब बातें
और जिनको प्यार तुम करती हो सारे फ़र्द वो तुम हो।
तुम्हारी ख़्वाबगाह में लगी तस्वीर और
जो ख़्वाब देखती हो तुम
वही तुम हो।
बेपनाह हुस्न एक मुजस्सम हो
लेकिन न जाने क्यूं
सब भुला बैठी उसी लम्हा
के जब तुम मान बैठी थी
तुम्हारी कुल शिनाख़्त
और तुम्हारी ज़ात का महवर हैं वो चीजें -
जो के तुम हरगिज़ नहीं हो
योगेंद्र दत्त दिल्ली स्थित अनुवादक और शायर हैं।
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