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जब तक दोषियों को सज़ा नहीं होगी, तब तक 'रेप रोको’ आंदोलन बंद नहीं होगा: स्वाती मालीवाल

आंदोलन के समर्थकों ने छह माह के भीतर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में जाँच पूरा करने और बच्चों का बलात्कार करने वालों के लिए मौत की सज़ा की माँग की है ।
rape roko

आंदोलन के समर्थकों ने छह माह के भीतर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में जाँच पूरा करने और बच्चों का बलात्कार करने वालों के लिए मौत की सज़ा की माँग की है ।

इस साल की शुरुआत में 8 महीने के बच्चे के बलात्कार के बाद ‘रेप रोको’ आन्दोलन की शुरुआत हुई | दिल्ली महिला आयोग( DSW) की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने देश में बलात्कार के बढ़ते मामलों के खिलाफ लड़ने के लिए इस अभियान की शुरुआत की।

इस अभियान की घोषणा के बाद तीन प्रमुख रैलियों हुईं | सबसे पहले 6 मार्च को  जिसे 'द बॉक्सर रैली' कहा गयाI इस दौरान मंडी हाऊस पर दो सौ लोग इकट्ठे हुए और Central Park तक अपना यह संदेश पहुँचाने के लिए शॉर्ट्स में पहुँचे कि "कपड़े बलात्कार का कारण नहीं हैं, यह बीमार मानसिकता की देन है।" लोगों को विरोध में शामिल होने और अपने नंगे शरीर को नारों और तस्वीरों से रंगने  का आह्वान किया गया "ये पुरुष सभी एनसीआर से आए थे, इनमें से कई वालंटियर्स (volunteers) नहीं थे और वो बस यहाँ समर्थन करने के लिए आए थेI" अर्जुन ने कहा, जो  दिल्ली महिला आयोग (DSW) के वालंटियर (volunteer) और बॉक्सर रैली के मुख्य संयोजक थे उन्होंने सवाल किया "बलात्कार का कारण कपड़े नहीं हो सकते है, 8 महीने की बच्ची ने ऐसा क्या पहना था? "

रेप रोको के निर्माण के बाद से, दिल्ली महिला आयोग( DSW)  को इस आंदोलन के समर्थन में पूरे देश से पाँच लाख पत्र प्राप्त हुए उन्हें और घोषणाओं और माँगों का एक ज्ञापन नरेंद्र मोदी के कार्यालय में देने की योजना बनाई। मालीवल ने प्रधान मंत्री से राष्ट्र की मान की बात सुनी और त्वरित कार्यवाही करने की अपील की। 7 मार्च को, प्रधान मंत्री से मिलने जानें के रास्ते में, मालीवाल को विजय चौक में ज़बरदस्ती हिरासत में लिया गया था। डीसीडब्लू अधिकारियों के अनुसार, अध्यक्ष को पुलिस ने घसीटा और धक्का देकर "गंभीर रूप से घायलकर" छोड़ दिया था। दिल्ली महिला आयोग( DSW)  ने दावा किया कि उन्होंने पीएमओ और दिल्ली पुलिस को इस बैठक के बारे में पहले ही बताया था।

पुलिस क्रूरता ने भी इस आंदोलन के समर्थकों को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अंतिम रैली को सफलतापूर्वक पूरा करने से रोक न पाई । 8 मार्च को विरोध में महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने छह महीने के भीतर फास्ट ट्रैक अदालतों द्वारा महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में जाँच  पूरा करने की मांग की; बाल बलात्कारियों के लिए मौत की सजा I मालीवाल ने कहा "अगर पाकिस्तान एक महीने में ज़ैनाब को न्याय दे सकता है, तो भारत क्यों नहीं कर सकता?"

ल्यूक केनी (Luke Kenny) और योगेश्वर दत्त, हज़ारों महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के साथ-साथ वो भी इस मार्च और मानव श्रृंखला में हिस्सा बने। महिला बाल विकास मंत्री मनीष सिसोदिया के साथ-साथ रब्बी शेरगिल जैसे मशहूर हस्तियों ने खुले तौर पर इस अभियान का समर्थन किया।

इस आंदोलन को अब अपना गान भी मिल गया है, जिसे 8 मार्च को रैली में प्रस्तुत किया गया था। गीत को  प्लेबैक गायक  कार्लाइसा मोंटेयो (Caralisa Monteiro) द्वारा तैयार किया गया है और फरहान अख्तर, शंकर महादेवन, अनुष्का मंचन, महालक्ष्मी अय्यर और ल्यूक केनी के द्वारा  पेश किया गया है। इससे पूर्व , डीसीडब्ल्यू अभियान के समर्थन में, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह ने होली पर रंगोली बनाई थी और इसके लिए उन्हें कई सोशल  मीडिया प्लेटफार्मों पर बहुत सारी आलोचनओ का सामना करना पड़ा था।

. इस आंदोलन ने भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और जिला अदालत बार एसोसिएशनों से भी समर्थन प्राप्त किया। स्वाती मलिवाल  को एक पत्र में, आईएमए ने लिखा, "हम रेप  रोको आंदोलन का समर्थन करते हैं ... एक मजबूत आपराधिक नय्या  प्रणाली की मांग, जो महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में सुनिश्चित करता है, की छह महीने के भीतर फास्ट ट्रैक अदालतों द्वारा इसकी जाँच की  जाए । बच्चों के बलात्कारीयो  को अनिवार्य रूप से मौत की सजा दी जाए  जिससे इस तरह के अपराधों से दूसरों लोगो को बचाया जा सके और इस तरह के अपराधियों के लिए ये एक मजबूत उदाहरण बने। "सभी जिला  अदालत बार एसोसिएशनों के समन्वय समिति ने मलिवाल को एक पत्र में कहा कि यह आंदोलन" वक्त की मांग है "और यह कि अव्ययित (unspent) निर्भया निधि को महिलाओं और लड़कियों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए|

स्वाति मालीवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "... हम अदालतों में गए हैं, नेताओं से बात की है और सरकारो को पत्र लिखने की कोशिश की है, लेकिन इसने अब तक काम नहीं किया है। यही कारण है कि रेप रोको आंदोलन शुरू किया गया था ... मैं पिछले 37 दिनों से एक सत्याग्रह कर रही  हूँ। बलात्कार रोको आंदोलन अब एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन में बन गया है और यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक हम एक प्रणाली नही बना लेते हैं, जो यह सुनिश्चित करता है कि छह माह के भीतर बाल बलात्कार के मामलों की जाँच पूरी हो और दोषी को मौत की सजा दी हो । "

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