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जेएनयू स्वर्ण जयंती :भव्य कार्यक्रम को लेकर छात्र और प्रशासन आमने-सामने

छात्र सवाल कर रहे हैं कि हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को शिफ़्ट करने के लिए कहा, क्योंकि उन्हें मेहमानों को ठहराने के लिए रूम की ज़रूरत थी? छात्रावास के क़ानूनी निवासी को क्यों कहा जाना चाहिए कि वो बाहर के मेहमानों को समायोजित करने के लिए अपना रूम छोड़ दे?
JNU

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पिछले कुछ सालो में कोई कार्यक्रम ऐसा नहीं हुआ है जिसको लेकर विवाद न हुआ हो। ये विश्वविद्यालय 1969 में स्थापित हुआ था लेकिन जितनी चर्चा में ये पिछले कुछ सालों में रहा है, शायद ही इससे पहले कभी रहा हो। इस साल जेएनयू के 50 वर्ष पूरे होने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक भव्य अयोजन करने का निर्णय लिया है, जिसको लेकर वहाँ के छात्रों ने कई तरह की गंभीर आपत्तियाँ जताई हैं।
 
जेएनयू प्रशासन ने फ़रमान दिया है कि सात छात्रावासों के छात्र, अपने कमरे 30 मई तक लगभग 10 दिनों के लिए ख़ाली कर दें, ताकि विश्वविद्यालय के सप्ताह भर चलने वाले स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लेने वाले लगभग 1,000 मेहमानों को वहाँ ठहराया जा सके। छात्र संघ का कहना है कि इस कार्यक्रम की मेज़बानी के नाम पर, विशाल आवासीय और बुनियादी ढाँचा संकट जेएनयू पर थोपा जा रहा है! 

आरोप लगाया गया है कि इस कार्यक्रम के नाम पर, जेएनयू के वीसी ने कथित तौर पर जेएनयू कैंपस के अंदर लगभग 1000 बाहरी लोगों और मेहमानों को होस्ट करने और समायोजित करने की योजना बनाई है। ये पैसों की बर्बादी है और दूसरी तरफ़ प्रशासन छात्रों की मूलभूत सुविधाओं के लिए फ़ंड ना होने का रोना रोता है, और इस तरह के आयोजनों पर पैसे लगा रहा है। 

स्वर्ण जयंती समारोह में, जेएनयू प्रशासन 3 जून से 9 जून तक संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने जा रहा है। विश्वविद्यालय ने इस आयोजन को आयोजित करने के लिए SPIC MACAY के साथ भागीदारी की है। जेएनयू की वेबसाइट पर जाकर विशिष्ट कार्यक्रम के लिए पंजीकरण कराए जाने के लिए एक लिंक भी मौजूद है।

देश भर के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के 1000 से अधिक छात्र प्रतिभागियों के इस आयोजन में शामिल होने की उम्मीद है। जेएनयू प्रशासन ने इसके लिए विभिन्न हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों को शिफ़्ट होने को कहा है जिससे इन मेहमानो को ठहराया जा सके।
 
विश्वविद्यालय के छात्रों ने शिकायत की है कि उन्हें बाहरी मेहमानो को ठहरने के लिए अपने हॉस्टल कमरे से बाहर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
जेएनयू छात्रसंघ के महासचिव एजाज़ ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, “छात्रों को मनमाने तरीक़े से विस्थापित करना इंटर हॉल एडमिनिस्ट्रेशन (आईएचए) के नियमों के ख़िलाफ़ है। इसे आईएचए के माध्यम से पारित किया जाना चाहिए था और सभी छात्रावास अध्यक्षों को विश्वास में लेना चाहिए था।
छात्र सवाल कर रहे हैं कि हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को शिफ़्ट करने के लिए कहा, क्योंकि उन्हें मेहमानों को ठहराने के लिए रूम की ज़रूरत थी? छात्रावास के क़ानूनी निवासी को क्यों कहा जाना चाहिए कि वो बाहर के मेहमानों को समायोजित करने के लिए अपना रूम छोड़ दे?" 

जेएनयूएसयू ने इस क़दम की निंदा की और कहा, "वीसी का मानना है कि जेएनयू उनकी जागीर है और वह अपनी इच्छानुसार जेएनयू के संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। हम वीसी की छवि निर्माण के लिए जेएनयू के संसाधनों के इस ज़बरदस्त दुरुपयोग की निंदा करते हैं, वह भी छात्रों को भारी असुविधा के लिए। 
कुलपति इस मेगा शो के लिए जेएनयू पर वित्तीय बोझ क्यों डाल रहे है? क्या फ़ेलोशिप, लाइब्रेरी, सेमिनार और अन्य शैक्षणिक जुड़ाव के लिए इनका प्रयोग नहीं हो सकता था?"


जेएनयूएसयू ने आगे कहा, "हम जानते हैं कि जेएनयू प्रशासन ने पिछले वर्षों के विपरीत इस साल एनआईटी-जेआरएफ़ आदि की परीक्षा देने के लिए विश्वविद्यालय से पास हो चुके छात्रों को अपनी परीक्षा के दौरान कुछ दिन और छात्रावास में रहने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। जेएनयू में पहली बार ऐसा किया जा रहा है। जेएनयू ने हमेशा छात्रों को अतिथि शुल्क ले कर छात्रों को छात्रावास में रहने की अनुमति दी है ताकि वे बिना किसी असुविधा के परीक्षा दे सकें। एक तरफ़ प्रशासन ने छात्रों को रहने से मना कर दिया है और वहीं निवर्तमान छात्रों की जगह पर हज़ार महमानों को समायोजित करने का निर्णय लिया है।"

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