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जम्मू-कश्मीरः नाबालिग़ लड़की के हत्यारे को बचाने का पुलिस पर आरोप, न्याय की मांग करने वाले को किया जा रहा परेशान

नाबालिग़ लड़की से दुष्कर्म और निर्मम हत्या के आरोप में 15 साल के लड़के को गिरफ़्तार कर असल अपराधियों को सुनियोजित तरीक़े से बचाया जा रहा है।
jammu and kashmir

जम्मू-कश्मीर पुलिस कथित तौर पर उन लोगों को परेशान कर रही है जो नाबालिग़ लड़की की दुष्कर्म के बाद हुई निर्मम हत्या के ख़िलाफ़ न्यायिक जाँच की माँग कर रहे हैं। गौरतलब है कि कथुआ ज़िले के हिरानगर तहसील से 10 जनवरी को बकरवाल या गुज्जर समाज की आठ साल की एक नाबालिग़ लड़की का अपहरण कर लिया गया था और दुष्कर्म के बाद उसकी निर्मम हत्या कर पास के जंगलों में फेंक दिया गया था। लड़की को क़रीब एक सप्ताह तक बंधक बनाकर रखा गया था। पुलिस पर लड़की की तलाश करने में लापरवाही का गंभीर आरोप है।

रिपोर्ट के मुताबिक़ पीड़ित लड़की जिस गांव की रहने वाली थी उसके गाँव का पानी सप्लाई कथित तौर पर बंद कर दिया गया है। न्यायिक जाँच करने के लिए ज़िला प्रशासन पर दबाव डालने की माँग करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ विभिन्न मामलों के तहत केस दर्ज किए जा रहे हैं और उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है।

न्यूज़़क्लिक से बात करते हुए ऑल ट्राइबल कॉर्डिनेशन कमिटी के अध्यक्ष तालिब हुसैन ने आरोप लगया कि "हिंदू समाज पहले हमलोगों का समर्थन कर रहा था लेकिन चान मैरियन स्क्वायर में आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के साथ बैठक के बाद पीएचई विभाग ने रसाना, चान मैरियन और कसाना का पानी सप्लाई बंद कर दिया है। इसी जगह मृतक नाबालिग लड़की के शव को दफनाया गया था। अपराधियों की मदद के लिए आरएसएस लगातार बैठकें कर रही है और ऐसा लगता है कि पुलिस उनका समर्थन कर रही है। पहले भी बैठकें हुई थी जिसमें हिरानगर और सांबा के विधायक ने भाग लिया था।"

रामबन ज़िले में 19 जनवरी को हत्यारे की गिरफ़्तारी की माँग और न्यायिक जाँच की माँग के विरोध में क़रीब आधे घंटे तक मैत्र-रामबन रोड को अवरूद्ध करने के चलते हुसैन के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 356 (चोरी के प्रयास में हमला या आपराधिक ताक़त का इस्तेमाल), 147 (दंगा) और 148 (दंगों के दौरान घातक हथियारों से लैस) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

उन्होंने इस घटना में पुलिस जाँच को केवल "दिखावा" बताते हुए दावा किया कि "15 साल के लड़के को गिरफ्तार कर" असली अपराधियों को बचाया जा रहा है।

हुसैन ने कहा कि इस "जघन्य अपराध" में शामिल आरोपियों को "राजनीतिक प्रभाव" के कारण दंडित नहीं किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि "लड़की को उस वक़्त नज़दीक के जंगल से अपहरण किया गया था जब वह घोड़े को चराने के लिए वहाँ ले गई थी। अपहरण के बाद बेरहमी से बलात्कार किया गया। सभी परिस्थितिजन्य सबूतों से पता चलता है कि उसके साथ यौन हिंसा की गई थी। उसकी दो पसलियाँ और एक पैर टूटा हुआ था। उसको बिजली का करंट लगाया गया था। उसके शरीर पर दांत से काटने के निशान थे। इसमें शामिल लोगों के नाम का खुलासा पहले ही किया जा चुका है। लेकिन अब तक एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।"

हुसैन ने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी की बजाय पुलिस उन लोगों को परेशान कर रही है जो कबायली लड़की के लिए न्याय की माँग कर रहे हैं। पुलिस मुझे भी परेशान कर रही है। मासूम लोगों को "हिरासत में लिया जा रहा है, उन्हें पीटा जा रहा है और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया जा रहा है।"

उन्होंने कहा कि "जब ये घटना हुई थी तब एक विशेष जाँच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था इस जाँच दल में कथुआ के पुलिस अधिकारी भी शामिल थें। एसआईटी ने इस अपराध में नाबालिग लड़के के शामिल होने का खुलासा किया था। जब हमने विरोध किया और एसआईटी के इस खुलासे को महज दिखावा बताते हुए न्यायिक जाँच के लिए दबाव डाला तो इसकी जाँच दूसरे ज़िले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी आदिल राजा के नेतृत्व में गठित एसआईटी को सौंप दिया गया। हम दूसरी एसआईटी द्वारा की जा रही जाँच से लगभग संतुष्ट थे। जब प्रशासन को एहसास हुआ कि राजा निष्पक्ष जाँच कर रहे हैं तो मामले को अपराध शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया। ऐसा लगता है कि अपराध शाखा इस केस की जाँच सही तरीक़े से नहीं कर रही है। ऐसा करने का उद्देश्य शायद वास्तविक अपराधियों को बचाना है।"

पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि "10 जनवरी को कथुआ के गोवरासा हिरानगर से लड़की का अपहरण किया गया था। अगले दिन लड़की का परिवार शिकायत दर्ज़ कराने के लिए हिरानगर पुलिस थाना गया। लेकिन शिकायत दर्ज़ करने की बजाय एसएचओ ने परिवार से कहा कि यह सरकारी काम है और इसमें समय लगेगा।"

उन्होंने कहा कि "सिर्फ एक दिन जंगल के इलाक़ों में तलाश की एक औपचारिकता को छोड़कर पुलिस ने वास्तव में लड़की को खोजने के लिए ईमानदारी से प्रयास ही नहीं किया। 12 जनवरी को एक प्राथमिकी दर्ज करायी गई और 12 से 17 जनवरी के बीच उसका शव पाया गया लेकिन पुलिस ने तलाश की सिर्फ औपचारिकता पूरी की।"

हुसैन ने कहा कि हिरानगर के विधायक ने लड़के की उम्र को लेकर इलाक़े के एसएचओ (जिन्हें बाद में निलंबित कर दिया गया) को प्रभावित करने की कोशिश की थी। उन्होंने आगे कहा कि "हिरानगर के विधायक पुलिस स्टेशन गए थे और उन्होंने एसएचओ से गिरफ़्तार लड़के की उम्र के बारे में कुछ करने को कहा था।"

उनके अनुसार पूरे इलाक़े में दक्षिण-पंथी गुटों का प्रभाव का बढ़ा हुआ है। ये गुट कथित तौर पर बकरवाल या गुज्जर समुदाय (ज़्यादातर मुस्लिम खानाबदोश जनजाति है) को राज्य से बाहर कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को जानबूझ कर किया जा रहा है ताकि उनको भयभीत किया जा सके और वे जम्मू-कश्मीर को स्वयं छोड़ दें।

उन्होंने कहा न्यायिक जांच की मांग के लिए एक अन्य विरोध रैली आयोजित किया जा रहा है।

इस बीच राजौरी के सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विधायक चौधरी क़मर हुसैन ने आरोप लगाया है कि सरकार नाबालिग लड़की से दुष्कर्म और उसकी हत्या में शामिल अपराधियों को बचा रही है।

उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "लोगों द्वारा किए गए विरोध के बाद सरकार सक्रिय हुई है। नहीं तो पुलिस का इरादा साफ था और वह अपराधियों को बचाना चाहती थी।"उन्होंने आगे कहा कि "मामले को अपराध शाखा को सौंपने का मतलब लोगों की आंखों में धूल झोंकना है। इस मामले का वही हाल होगा जैसा कि शोपियां के नीलोफर-आसीया मामले का हुआ था।"

हालांकि कथुआ के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि "इस घटना में शामिल कोई भी व्यक्ति बख्शा नहीं जाएगा हम उन अधिकारियों को भी नहीं छोड़ेंगे जिन्होंने कोई प्रशासनिक ग़लती की होगी।” लेकिन वे प्रदर्शनकारियों पर कथित कार्रवाई और पानी की सप्लाई बंद करने पर ख़ामोश रहे।

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