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एक नेता जिनके बारे में मतदाता जानते हैं वो उनके वोटों का सौदा नहीं करेंगे

सादगी पसंद, बीएचयू से स्नाकोत्तर, विनोद सिंह झारखंड के सबसे कर्मठ नेता माने जाते हैं, अपने विधान सभा छेत्र से लेकर, रांची और दिल्ली तक आम लोगों का सवालों को उठाते हैं। विनोद सिंह तार्किक तरीके से बात रखने और अधिकारियों से काम लेने के लिए जाने जाते हैं
jharkhand election
Image courtesy: News Room

राँची: झारखंड की राजनीति की सबसे खास बात ये है कि यहाँ का शायद ही कोई विधायक और पूर्व विधायक ऐसा हो जिसने पार्टी नहीं बदली हो, चाहे चुनाव लड़ने के समय टिकट लेने के लिए या चुनाव जीतने के बाद सरकार बनाने के सवाल पर।
पर एक नेता ऐसा है, जिसे वोट देने वाले मतदाता और दूसरी तमाम पार्टियों के लोग जानते हैं कि वे कहीं नहीं जाएंगे। चाहे सरकार बनाने के मामला हो या राज्य सभा में वोटिंग का सवाल, वो न कभी पार्टी लाइन से अलग जाएंगे, न जनता के मतों का सौदा करेंगे।

यह नाम हैं—विनोद कुमार सिंह। बागोदर विधान सभा के सीपीआईएमएल के उम्मीदवार।

पर, 43 साल के विनोद सिंह की इतनी पहचान नहीं है। वो दो बार विधायक रह चूके हैं और उनको विरासत मिली है महेंद्र सिंह की। आज झारखंड के बाहर के लोग महेंद्र सिंह के नाम आते ही भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह की तस्वीर जेहन में ले आते हैं। पर, 2005 से पहले जब महेंद्र सिंह ज़िंदा थे तो झारखंड के लोगों के दिमाग में महेंद्र सिंह का नाम आते ही एक राजनेता का चेहरा उभरता था, वो थे बागोदर से 3 बार विधायक महेंद्र सिंह। वो एक मजबूत विपक्ष नेता के तौर पे जाने जाते थे।

16 जनवरी, 2005 को ठीक झारखंड के पहले विधान सभा चुनाव के दौरान, महेंद्र सिंह की हत्या हो जाती है, और फिर विनोद सिंह जो अपनी स्नाकोत्तर की पढ़ाई बनारस हिन्दू विश्वीद्यालय (बीएचयू) से पूरी किए थे उन्हे लौट कर नोमिनेश्न करना पड़ता है। और उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत होती है।

संदीप ने कुछ मामलों को विस्तार से बताया, “जीटी रोड के 6 लेन होने के काम में भी जब कंपनी ने सिर्फ घर के सामने के हिस्से के लिए मुआवजे की बात की तो विनोद जी मुख्यमंत्री रघुबर दास तक चले गए और फिर कानून के प्रावधानों के हिसाब से फैसला आया कि कंपनी को घर के पूरे हिस्सा की कीमत का मुआवजा देना होगा। GAIL पाइप लाइन के काम में भी जो रोड किनारे पड़ती जमीन आ रही है उसका मुआवजा पहले कोंपनी कुछ नहीं दे रही थी, अब विनोद जी के दखल के बाद 40 परसेंट देने को तैयार हुई है। NHAI के काम के दौरान ही बागोदर टाउन हाल का छज्जा टूटने पे कंपनी मात्र 85 हजार दे रही थी, जो विनोद जी ने 95 लाख दिलवाया और इलाके को अब एक नया टाउन हाल मिलेगा दूसरी जगह पर।”

विनोद सिंह, पहली बार 2005 में फिर दोबारा 2009 में विधायक चुने गए। 2014 नगेंद्र महतो से मात्र 3000 और कुछ वोटों से हार गए थे। उस वक्त भी उन्हे 70,000 मत मिले थे।

उस वक्त जीतने वाले विधायक का यह ब्यान कि अगर हमे वोट नहीं दोगे तो इस बार हमें कफन दे दो की खूब चर्चा हुई थी।
बागोदर के पूर्व विधायक को इस बात का भी श्रेय जाता है कि उन्होंने अपने 2009-14 के कार्यकाल में सबसे ज्यादा काम किया।

“वैसे तो भारत में ज्यादातर वोटर ये कहते हैं कि उनके एमएलए और एमपी जीतने के बाद काम ही नहीं करते, पर विनोद ने 2014 के चुनाव में हार के बाद भी सैकड़ों काम करवाए। पिछले 5 सालो में विनोद ने जैसे विधायक रहते प्रवासी भारतीयों के लिए काम किया, वैसा अभी भी करते आ रहे हैं। उन्होंने कई कंपनियो से मजदूरों के मौत और दुर्घटना के बाद मुआवजा दिलवाए” सीपीआईएमएल के युवा नेता संदीप  बताते हैं।

संदीप ने कुछ मामलों को विस्तार से बताया, “जीटी रोड के 6 लेन होने के काम में भी जब कंपनी ने सिर्फ घर के सामने के हिस्से के लिए मुआवजे की बात की तो विनोद जी मुख्यमंत्री रघुबर दास तक चले गए और फिर कानून के प्रावधानों के हिसाब से फैसला आया कि कंपनी को घर के पूरे हिस्सा की कीमत का मुआवजा देना होगा। GAIL पाइप लाइन के काम में भी जो रोड किनारे पड़ती जमीन आ रही है उसका मुआवजा पहले कोंपनी कुछ नहीं दे रही थी, अब विनोद जी के दखल के बाद 40 परसेंट देने को तैयार हुई है। NHAI के काम के दौरान ही बागोदर टाउन हाल का छज्जा टूटने पे कंपनी मात्र 85 हजार दे रही थी, जो विनोद जी ने 95 लाख दिलवाया और इलाके को अब एक नया टाउन हाल मिलेगा दूसरी जगह पर।”

“सादगी पसंद विनोद सिंह जनता के बीच भरोसेमंद नेता हैं, सुख-दुख में निस्वार्थ खड़े रहते हैं। विनोद सिंह अपनी बात को पूरी तार्किक तरीके और दृढ़ता से रखते हैं। इस कारण जब उनका कोई मामला किसी अधिकारी के पास आता है तो वो उनको सुनने और ज्यादातर मामलों को उन अधिकारियों को मानने पर मजबूर कर देते हैं। आम आदमी एक नेता से यही चाहता है के उनका काम हो और विनोद सिंह की पहचान अब तक ये रही है कि उनका कोई काम रुकता नहीं। किसी नेता से आम आदमी को और क्या चाहिए!” राजनीतिक विश्लेषक कमल नयन ने ईन्यूज़रूम को बताया।

“झारखंड में अल्पसंख्यक वोटरों की समस्या ये भी होती है के वो जिनको नेता के तौर पर स्थापित करते हैं, वो देर-सबेर दूसरी विचार धारा वाली पार्टियों में चले जाते हैं। पर, हम जानते हैं कि विनोद सिंह ऐसा कभी नहीं करेंगे,” बागोदर के मोहम्मद शमीम कहते हैं।

माले नेता के मुरीद झारखंड के दुसरे पार्टी के लोग भी हैं, “इतना तो झारखंड के सियासत में लोग मानते हैं कि विनोद सिंह कभी पाला नहीं बदलेंगे, जो झारखंड में कम देखने को मिलता है,” काँग्रेस के नेता सतीश केडीया ने कहा।

“सादगी पसंद विनोद सिंह जनता के बीच भरोसेमंद नेता हैं, सुख-दुख में निस्वार्थ खड़े रहते हैं। विनोद सिंह अपनी बात को पूरी तार्किक तरीके और दृढ़ता से रखते हैं। इस कारण जब उनका कोई मामला किसी अधिकारी के पास आता है तो वो उनको सुनने और ज्यादातर मामलों को उन अधिकारियों को मानने पर मजबूर कर देते हैं। आम आदमी एक नेता से यही चाहता है के उनका काम हो और विनोद सिंह की पहचान अब तक ये रही है कि उनका कोई काम रुकता नहीं। किसी नेता से आम आदमी को और क्या चाहिए!” राजनीतिक विश्लेषक कमल नयन ने ईन्यूज़रूम को बताया।

विनोद सिंह के लिए ourdemocracy.in पे एक क्राउड़फंडिंग (जनता का वित्तीय सहयोग) कैम्पेन भी चल रहा है।

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