JNU लॉन्ग मार्च : प्रतिरोध की आवाज़ पर एक और हिंसात्मक हमला
यहाँ सवाल उठता है कि जिन लोगों पर कानून की रक्षा की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है अगर वो ही इस तरह कानून के लिए खतरा बनकर उभरेंगे तो फिर आम लोगों को कानून पर भरोसा कैसा रहेगा ?
23 मार्च 2018 को जब JNU के छात्र और शिक्षक एक शांति पूर्ण मार्च निकाल रहे थे तभी उन पर दिल्ली पुलिस द्वारा वाटर कैनन से हमला किया गया और लाठीचार्ज भी किया गया I इस हिंसक हमले का शिकार छात्रों और शिक्षकों के आलावा कई पत्रकार भी हुए I यहाँ सवाल उठता है कि जिन लोगों पर कानून की रक्षा की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है अगर वो ही इस तरह कानून के लिए खतरा बनकर उभरेंगे तो फिर आम लोगों को कानून पर भरोसा कैसा रहेगा ?
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