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"कहाँ है मेरा रोज़गार?" मोदी से पूछने दिल्ली आ रहे हैं देशभर के युवा

आँकड़ें बताते हैं कि आज बेरोज़गारी दर 7.1% है जो पिछले सालों में सबसे ज़्यादा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आँकड़ों के हिसाब से आज देश में करीब 3 करोड़ युवा पूरी तरह बेरोज़गार हैं।
dyfi (फाइल फोटो)
(फाइल फोटो)

शनिवार, 3 नवंबर को दिल्ली के मंडी हाउस से संसद मार्ग तक भारत की जनवादी नौजवान सभा के झंडे तले हज़ारों युवा, बेरोज़गारी के खिलाफ मार्च निकालेंगे। देश भर से आये यह युवा सरकार से बेबाकी से एक ही सवाल करेंगे कि "कहाँ है मेरा रोज़गार?" संगठन के नेताओं का कहना है कि इस रैली के लिए देश के हर राज्य से लोग इकट्ठा हो रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन मोदी सरकार ने अंतर्गत बढ़ती भयानक बेरोज़गारी के खिलाफ है। 

इस  प्रदर्शन की तैयारी मार्च के महीने से ही चल रही है। मार्च में देश भर में 134 जगहों पर रेल रोको प्रदर्शन किया गया था। यह प्रदर्शन रेलवे में लाखों खाली पद न भरने और विभाग में रिटायर्ड लोगों को वापस काम पर रखने के विरोध में था। लगातार चल रहे प्रदर्शनों की कड़ी में 15 सितम्बर को भी नौजवान सभा ने हर राज्य में प्रदर्शन किया। कहीं इलाकों में रैलियाँ निकलीं गयीं, कहीं 24 घंटों तक धरने किये गए और कुछ जगहों पर मानव श्रृंखला बनायी गयी। इसके आलावा कुछ राज्यों में ज़िलों में जत्थे निकाले गए और पैदल यात्राएं निकाली गयीं। यहाँ केंद्र और राज्यों में बेरोज़गारी की स्थिति पर रौशनी डाली गयी। 

यह रैली किसानों, मज़दूरों,खेत मज़दूरों और महिलाओं के राजधानी में हुए विरोध प्रदर्शनों की कतार को आगे बढ़ाएगी। 5 सिंतबर को दिल्ली में करीब 2 लाख किसानों, मज़दूरों और खेत मज़दूरों ने एक ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन किया था। इसके ठीक एक दिन पहले हज़ारों की संख्या में मोदी सरकार के खिलाफ रैली निकली थी। 

साढ़े चार साल पहले जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी तो उन्हें बड़ी संख्या में युवाओं का समर्थन प्राप्त था। नरेंद्र मोदी द्वारा किये गए सबसे बड़े वादों में एक था कि सरकार हर साल युवाओं को 2 करोड़ रोज़गार प्रदान करेगी।

नौजवान सभा के महासचिव अवॉय मुखर्जी का कहना है कि "आंकड़ों के हिसाब से सिर्फ 6 लाख रोज़गार पैदा हुए हैं। इससे साफ़ ज़ाहिर है कि सरकार पूरी तरफ विफल रही है।" 

आँकड़ें बताते हैं कि आज बेरोज़गारी दर 7.1% है जो पिछले सालों में सबसे ज़्यादा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आँकड़ों के हिसाब से आज देश  में करीब 3 करोड़  युवा पूरी तरह बेरोज़गार हैं।  इसी संस्थान के आँकड़ें यह भी बताते हैं  कि देश के 58.3 % ग्रेजुएट और  62.4 % पोस्ट ग्रेजुएट आज बेरोज़ार हैं। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद यानी All India Council for Technical Education (AICTE) के आँकड़ों के हिसाब से आज 60% इंजीनियरों को उनकी काबीलियत के हिसाब से काम नहीं मिल रहा। हाल में जारी हुई अज़ीम प्रेमजी फॉउंडेशन की रिपोर्ट भी बताती है कि देश के पढ़े लिखे युवाओं में बेरोज़गारी दर  16% है, यह आँकड़ा चौंका देने वाला है। यह दर पिछले 20 सालों में सबसे ज़्यादा है। कुछ रिपोर्टों के हिसाब से जहाँ हर साल एक करोड़ या 2 करोड़ नौकरियाँ  देने की बात की गयी थी वहीं असलियत में इसका 10% रोज़गार भी पैदा नहीं किया गया। 

हम देखते हैं कि 2013 जहाँ 1.5 लाख  लोगों को सरकारी नौकरियाँ मिली थीं, वहीं 2015 में इस सरकार के आने के एक साल बाद ये आंकड़ा सिर्फ 15,877 रह गया था। यानी सरकारी नौकरियों में 89% की गिरावट। हर साल करीब 30,000 नए युवा श्रम बाज़ार में दाखिल होते हैं और उनमें से सिर्फ 450 को नौकरी मिलती है यानी सिर्फ 1.5% नए लोगों को रोज़गार मिलता है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनइज़ेशन ने भी भारत में बढ़ती बेरोज़गारी पर चिंता जताई है। 

इस भयानक स्थिति के बावजूद देश भर में लाखों सरकारी पद खाली हैं। अगस्त 2018 को टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी रिपोर्ट के हिसाब से केंद्र और राज्य सरकारों के अंतर्गत 24 लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं। रेलवे विभाग में ही करीबन 3 लाख पद खाली हैं। यह कमाल की बात हैं जहाँ पूरी तरह से काबिल लाखों बेरोज़गार युवा सड़कों पर घूम रहे हैं वहाँ सरकार खाली पदों को नहीं भर रही। इस स्थिति को और खराब करने के लिए सरकार ने  पछले 5 साल से खाली पड़े पदों को ही समाप्त कर दिया था। 

सरकार ने इंडस्ट्रियल लेबर एक्ट 1946 में बदलाव कर स्थायी रोज़गार को ही ख़त्म कर दिया है। हर जगह ठेके पर रोज़गार मिलने लगे हैं।  इसका सबसे बड़ा उदहारण रेलवे विभाग है जहाँ 4 लाख लोगों को ठेके पर रखा हुआ है। यह व्यवस्था युवकों का चौतरफा शोषण की ज़िम्मेदार है। इसके साथ ही सरकार के नोटबंदी के निर्णय की वजह से करीब 24 लाख रोज़गार खत्म  हुए। इसका सबसे ज़्यादा असर चमड़े और कपड़े के काम पर पड़ा जहाँ 4 लाख नौकरियाँ ख़त्म हुई। 

इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेरोज़गारी की समस्या भयानक रूप से बढ़ी है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद नरेगा को ढंग से नहीं लागू किया गया।  यही वजह है कि देश भर के 5. 29 करोड़ परिवार जो इस स्कीम के तहत पंजीकृत हैं, को कोई रोज़गार नहीं मिला। 

भारत की जनवादी नौजवान सभा के अध्यक्ष मोहम्मद रियाज़ के कहा "भारत सरकार ने युवाओं को वादा किया तो कि वह युवाओं को एक नया भारत देंगे। लेकिन साढ़े चार साल बाद आज बेरोज़गारी सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है। हम मोदी सरकार और बीजेपी को बताना चाहते हैं कि उन्हें युवाओं के आक्रोश को झेलना होगा।"

यह रैली ख़ास तौर से इसीलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि 2019 के चुनाव नज़दीक हैं  और देश की 60% आबादी युवाओं की है। अगर मोदी सरकार ने रोज़गार सम्बंधित युवाओं की माँगों पर गौर नहीं किया तो  अगले साल उनको और उनकी सरकार को अलविदा किया जा सकता है।

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