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कांति गांगुली: चुनावों से पहले रैदिघी में दिग्गज वाम नेता के समर्थन में हुजूम उमड़ा

“प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अथवा लॉकडाउन के दौर में भी ये कांति गांगुली ही थे, जिन्होंने रैदिघी के निवासियों को सबसे पहले भोजन, दवाइयों और दैनिक जरूरतों के साथ उन्हें मदद पहुंचाने का काम किया था।”
कांति गांगुली: चुनावों से पहले रैदिघी में दिग्गज वाम नेता के समर्थन में हुजूम उमड़ा
चित्र साभार: द वाल 

राईदिघी: सीपीआई(एम) नेता कांति गांगुली राइदिघी के सुंदरबन क्षेत्र की बस्तियों में एक जाना-पहचाना नाम है। विकलांगों के अधिकारों के लिए राष्ट्रीय मंच (एनपीआरडी) के अध्यक्ष की सभाओं में भारी भीड़ उमड़ने के पीछे उनके द्वारा सुंदरबन के लोगों के लिए बेहतर संपर्क सुविधा और पहले से बेहतर सड़कों के निर्माण कार्य को श्रेय जाता है। गांगुली को आईला और अम्फान जैसे चक्रवाती तूफानों के बाद के दौर में बड़े पैमाने पर राहत कार्यों में उनके द्वारा दिए गए योगदान के लिए भी जाना जाता है। 

सीपीआई(एम) नेता इस बार के पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों में भाजपा के शांतनु बापुली और टीएमसी के डॉ आलोक जलदाता के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। उनके निर्वाचन क्षेत्र में मतदान 6 अप्रैल को होने जा रहा है।

रैदिघी में सीपीआई(एम) नेता कांति गांगुली 

जब न्यूज़क्लिक के इस संवावदाता की मुलाक़ात गांगुली से हुई, तो उस दौरान वे रैदिघीके खारी इलाके में चुनाव प्रचार कर रहे थे। न्यूज़क्लिक से अपनी बातचीत में उन्होंने बताया “टीएमसी और भाजपा द्वारा भले ही यहाँ पर लोगों को सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण करने के लिए आक्रामक रणनीति का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन इस बार हमारी जीत होनी तय है।” सर पर लाल टोपी पहने इस वयोवृद्ध नेता को चिलचिलाती धूप में खारी गाँव के इलाके की गलियों में प्रचार अभियान चलाते देखा जा सकता है।

गांगुली के साथ प्रचार अभियान में शामिल वरिष्ठ नेता मोहम्मद इस्रफिल और मोहम्मद साबिर का कहना था कि यहाँ पर भाजपा उम्मीदवार बापुली की प्रतिष्ठा उनके पिता सत्य बापुली से काफी भिन्न है, जो इस क्षेत्र के जाने-माने कांग्रेसी नेता हुआ करते थे। उनका कहना था “इस बात में कोई संदेह नहीं है कि यहाँ लोगों के लिए सीपीआई(एम) ही सबसे बेहतर विकल्प है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा आप इन लाल झण्डों और चारों ओर दीवारों पर लिखे नारों से लगा सकते हैं, लेकिन भाजपा और टीएमसी का आतंक कुछ इस प्रकार का है कि कुछ मोहल्लों में हमारे झंडों को लगाने की अनुमति नहीं है। लेकिन इस सबके बावजूद गांगुली जिस किसी भी जगह जाते हैं, वहाँ पर जिस प्रकार की भीड़ को वह इकट्ठा कर पाने में वे सफल हो जाते हैं, उससे उनकी लोकप्रियता का अंदाजा स्पष्ट तौर पर लगाया जा सकता है।” 

उनके मुताबिक रैदिघीमें होने वाली लड़ाई सीपीआई(एम) और उसके उम्मीदवारों को पास के जॉयनगर, डायमंड हार्बर और मथुरापुर के विधानसभा क्षेत्रों में मदद पहुंचा रही है।

रैदिघी के अधिकांश गाँवों में लहराते लाल झंडों और कांति गांगुली को ‘कांति दा’ के तौर पर संबोधित करते चुनावी दीवाल लेखन देखे जा सकते हैं। खारी इलाके की अस्मा बीबी पूछती हैं “उन्हें वोट न दिया जाए, इसकी कोई एक भी वजह आप सोच सकते हैं?” उनका आगे कहना था “यहाँ तक कि अगर हमें कोलकाता या किसी भी अन्य शहर में कोई समस्या आन खड़ी होती है, जब हम वहां अपने काम के सिलसिले में गए होते हैं, तो हम कांति गांगुली को सूचित कर देते हैं, तो वे लोगों की मदद के लिए 100% से भी अधिक काम करते हैं।”

यहाँ तक कि प्राकृतिक आपदाओं या लॉकडाउन के दौरान भी यह कांति गांगुली ही थे जिन्होंने सबसे पहले रैदिघी के निवासियों की भोजन, दवाइयों और दैनिक जरूरतों के साथ मदद की थी। राज्य के वाम मोर्चे की सरकार में गांगुली सुंदरबन के विकास मामलों के प्रभारी मंत्री थे और उन्हें 2009 में खेल एवं युवा कल्याण विभाग सौंपा गया था। 2001 और 2006 के राज्य विधानसभा चुनावों में गांगुली मथुरापुर से निर्वाचित हुए थे।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Kanti Ganguly: Sea of Supporters Backs Veteran Left Leader in Raidighi Ahead of Polls

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