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कोरोना वायरस को लेकर बहुत सामान्य सवाल जिनका जवाब जरूरी है

तकरीबन 65 से अधिक देशों को पार करता हुआ कोरोना वायरस भारत में भी पहुंच चुका है। खबरों के मुताबिक पिछले दो दिनों में भारत में कोरोना वायरस के 28 मामले सामने आ चुके हैं।
coronavirus

कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में अफरा-तफरी मची है लेकिन अभी तक इसका इलाज नहीं ढूढ़ा जा सका है। तकरीबन 75 से अधिक देशों को पार करता हुआ कोरोना वायरस भारत में भी पहुंच चुका है। खबरों के मुताबिक पिछले दो दिनों में भारत में कोरोना वायरस के 28 मामले सामने आ चुके हैं। अब भारत में भी अफरा-तफरी मच रही है। लोगों के मन में बहुत सारे सवाल चल रहे हैं, इन सवालों पर भी बात करने की जरूरत है।  

सबसे पहला सवाल है कि किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस का पता कैसे चलेगा? जब कुछ लक्षणों से यह संदेह होगा कि अमुक व्यक्ति में कोरोनावायरस होने की संभावना हैं तो सबसे पहले उस व्यक्ति को पॉलीमेरज चेन रिएक्शन टेस्ट के लिए भेजा जाएगा। यह टेस्ट प्राइवेट हॉस्पिटल में भी संभव है। लेकिन जानकारों का कहना है कि चूंकि वायरस से संक्रमण होने की संभावना हमेशा बनी रहती है इसलिए जरूरी है कि मरीज का टेस्ट अलग-थलग करके हो, आईसोलेशन में हो। ऐसी व्यवस्था सरकारी अस्पतालों में ही आसानी से मुमकिन हो पाती है इसलिए सरकारी अस्पतालों में टेस्ट हो तो अच्छा। इस टेस्ट के बाद से पता चलेगा कि अमुक व्यक्ति में कोरोना वायरस की संभावना पुख्ता है या नहीं।

तकनीकी शब्दों में कहा जाए तो यह कि क्या अमुक व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण पॉजिटिव हैं या निगेटिव। अगर पॉजिटिव हैं तो इसके बाद फाइनल कन्फर्मेशन के लिए वायरस के सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी भेजा जाता है। देश में केवल एक यही संस्थान है, जहां कोरोना वायरस का फाइनल कन्फर्मेशन हो पाता है। कन्फर्मेशन होने में भी तक़रीबन 15 दिनों से अधिक का समय लग जाता है। जिनकी उम्र 50 साल से अधिक है, उन्हें इस वायरस से ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। इसी उम्र के लोगों के बीच ही मरने वालों की संख्या अधिक है।

घर परिवार और जानने वालों को यह हिदायत दी जा रही है कि मास्क लगाकर घुमा जाए। मास्क लगाकर घूमना ठीक है और प्रभावी भी है। लेकिन इसके लिए डॉक्टरों की सलाह लेकर कदम उठाया जाए तो उचित होगा। कारण यह कि बहुत सारे लोगों की सांस की परेशानी होती है और उन्हें पता नहीं होता है। उन्हें दिक्कत हो सकती है। जानकारों की राय है कि बहुत सारे लोगों को पता नहीं है कि मास्क का इस्तेमाल कैसे किया जाए? बहुत सारे लोग मास्क लगाने के बाद अपना हाथ बार-बार मुंह के पास ले जाते हैं। एक ही मास्क का लम्बे समय तक इस्तेमाल करने की वजह से मास्क गंदे हो जाते हैं। इन सारी बातों पर ध्यान देते हुए मास्क का इस्तेमाल किया जाए तो मास्क फायदेमंद हो सकता है।  

यह सलाह भी दी जा रही है कि भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाने से बचा जाए। यह सलाह ठीक है लेकिन बेचैन करने वाली भी है। लोग मेट्रो, ट्रेनों और बसों से यात्रा करते हैं। यह भीड़-भाड़ वाला इलाका होता है। इनसे इंफेक्शन की संभावना तभी बनती है, जब भीड़ में कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसे कोरोनावायरस हो। लेकिन इसका पता चलना भी मुश्किल है इसलिए इस पर जानकारों का कहना है कि लोग भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाए लेकिन खांसने, छींकने से पहले सावधानी बरते। भीड़ में जाने और आने के बाद अपना हाथ साबुन दे धो लें। यह सावधनियां बरतनी जरूरी हैं। इस वायरस की हाथ मिलाने से फैलने की संभावना सबसे अधिक है। क्योंकि हाथ को बार-बार मुंह की तरफ ले जाना लोगों की आदत होती है  और यहीं से वायरस हाथ पर पसर जाता है और हाथ मिलाने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में।

लोग भले ही पूछ नहीं रहे हैं लेकिन सबके मन में यह शंका जरूर है कि क्या सेक्स करने की वजह से कोरोना वायरस फैल सकता है तो जवाब है बिलकुल नहीं। लेकिन सेक्स करते समय शरीर के बहुत सारे अंग एक-दूसरे से स्पर्श करते हैं। चुंबन से लेकर बहुत सारी ऐसी क्रियाएं भी होती है जिनसे वायरस फैलने की पूरी संभावना है। इसलिए जो साथी कोरोनावायरस से पीड़ित है,  वह जब तक ठीक नहीं हो जाता तब तक अलग ही रहे। यही सबसे सही कदम हो सकता है।  

क्या बाहर खाना खाने से बचना चाहिए। बिल्कुल नहीं। दिमाग में ऐसी राय बना लेने का मतलब है कि डर का घर बना लेना। ऐसी में परेशानी और भयंकर हो सकती है। चूंकि यह वायरस है इसलिए इसका फैलना तय है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम बाहर जाना ही बंद कर दें। यह स्कूल से लेकर कम्पनी तक में फैल सकता है। हम जहाँ काम करते हैं, वहां आ सकता है। ऐसे में जरूरी है कि पूरी तरह से प्राइवेसी बनाकर वह व्यक्ति और उसके आस पास के लोग इस पर ध्यान दें, जिसे कोरोनावायरस फैला है। जैसा कि नोएडा के एक स्कूल ने किया। जो स्टूडेंट कोरोनावायरस से संक्रमित था, उसका नाम उजागर नहीं किया और स्कूल को बंद कर दिया।

अंत में सवाल यह कि क्या कोरोनावायरस से लड़ने के लिए भारत तैयार है। इस पर दिल्ली साइंस फोरम के डी रघुनंदन कहते हैं कि भारत की बुनियादी स्वास्थ्य से ऐसा कहीं से भी नहीं लगता कि भारत कोरोना वायरस से ठीक ढंग से जूझ पाएगा। हमने अभी तक केरल को कोरोना वायरस से जूझते हुए देखा है। केरल की तहसील, जिला और राज्य स्तर की स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाएं मजबूत है। इसलिए केरल इससे जूझ पाया। लेकिन यही भारत के दूसरे राज्यों के लिए नहीं कहा जा सकता है। केरल के तीन मरीजों को सेल्फ क्वारांटाइन में रखा गया था। यानी उनकी घर पर ही अलग थलग रखने की सलाह दी गई थी।

इन मरीजों से दिन में दो बार डॉक्टर कॉल करके बात करते थे कि उन्होंने दिन भर क्या काम क्या? किससे मिले और किस तरह से मिले। इस तरह से केरल ने काम किया। लेकिन जब यह लाखों लोगों में फैल जाएगा तब स्थिति कैसी हो सकती है उसके बारे में कहना नामुमकिन है।

रघुनन्दन दूसरे देशों के बारे में कहते हैं कि इस पर किसी भी देश को नहीं कहा जा सकता है कि उसने कामयाबी पाई है। वजह यह कि इसका कोई इलाज नहीं है। अभी भी केवल रोकथाम के सहारे ही इससे रोकने की कोशिश की जा रही है। जापान के किसी क्रूज पर कारोना वायरस के संक्रमण की जानकारी आई। उस क्रूज को क्वारंटाइन कर दिया गया।

लेकिन जो व्यक्ति उन लोगों को खाना देने जाता था उससे वायरस जापान की तरफ फैल गया। उस पर रोक नहीं लगी। ठीक ऐसे ही समझिए कि अगर किसी को कोरोना वायरस हुआ, उसे अलग-थलग भी रखा गया लेकिन उसकी छींक से किसी मेज या किसी सामान पर वायरस बिखर गए और दूसरे किसी आदमी ने उस मेज या सामान को छू लिया तब वायरस का संक्रमण होना तय है। अगर ऐसी स्थिति है तो सोचने वाली बात है कि भारत कैसे इस वायरस से लड़ पाएगा।


डॉक्टर मंजुनाथ शंकर हिन्दू में लिखते हैं कि हेल्थ डिपार्टमेंट के पास एम्बुलेंस की कमी है। वैसे स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है जो जुटकर एकसाथ इस पर काम कर सकें। जो स्वास्थ्यकर्मी मौजूद हैं, उन्हें ट्रेनिंग देने की जरूरत होगी। यह रोग रोकथाम से ही रुकेगा और इसके लिए सरकार का तैयारी में जुटना बहुत जरूरी है। हमारे देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए यह संकट का समय है। लेकिन इस संकट के समय में हम यह भी समझ पाएंगे कि हमारी कमियां क्या है? जरूरी है कि गम्भीरता से हम इन कमियों को लें ताकि आने वाले भविष्य से लड़ने के लिए हमारे पास ठीक ठाक माहौल हो।

 

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