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क्या गंगा के लिए आत्मबोधानंद को भी ‘शहादत’ देनी होगी!

प्रो. जीडी अग्रवाल की मौत के बाद, ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने गंगा के लिए अनशन की श्रृंखला को आगे बढ़ाया। 176 दिनों से अनशनरत आत्मबोधानंद ने 27 अप्रैल से जल त्यागने का एलान किया है।
अनशनरत आत्मबोधानंद
अनशनरत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद।

नरेंद्र मोदी जी खुद को गंगा का बेटा बोलते हैं और वे ही गंगा को बेचने में लगे हैं। उन्होंने ही गंगा से जुड़ी मांगों को टाला हुआ है। वे गंगा पर बन रहे बांधों को बंद करने नहीं जा रहे, सिर्फ़ पूंजीपतियों के हित में फ़ैसले ले रहे हैं।” यह कहना है आत्मबोधानंद का। गंगा के लिए 176 दिनों से अनशनरत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने 27 अप्रैल से जल त्यागने का एलान किया है।

पर्यावरण प्रेमी स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद उर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की मृत्यु के बाद, ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने गंगा के लिए अनशन की श्रृंखला को आगे बढ़ाया। लेकिन इस दौरान राज्य और केंद्र सरकार का कोई अधिकारी या प्रतिनिधि उनसे मिलने नहीं आया। मातृ सदन के स्वामी दयानंद क्षुब्ध होकर बताते हैं।

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मातृ सदन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र।

चुनाव में गंगा के नाम पर वोट मांगे जाते हैं। नरेंद्र मोदी गंगा किनारे स्थित शहर वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव के दौरान ही 26 साल का एक युवा ब्रह्मचारी गंगा जल की पवित्रता लौटाने के लिए  जल त्याग रहा है। क्या इससे चुनाव लड़ने वालों पर, या देश-राज्य-पर्यावरण हित में फ़ैसला ले सकने वालों पर कोई फर्क पड़ने जा रहा है।

ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद कहते हैं कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के अनशन के दौरान केंद्र की सरकार जिन मांगों पर सहमत हुई थी, उनकी मृत्यु के बाद उस पर कोई फ़ैसला नहीं लिया गया। गंगा को बचाने के लिए जो आदेश दिये गये थे, उन्हें भी कहीं लागू नहीं किया जा रहा है, ये सिर्फ कागजों में हो रहा है।

इतने दिनों से शहद-नींबू और पानी के घोल पर जीवित आत्मबोधानंद क्षीण आवाज़ में कहते हैं कि सरकार को गंगा पर दी गई साइंटिफिक रिपोर्ट से कोई मतलब नहीं, ग्राउंड रियेलिटी से कोई मतलब नहीं, ऐसी स्थिति में उन्हें जल त्यागने के अलावा कोई और रास्ता नहीं सूझता।

आत्मबोधानंद कहते हैं कि मैं भी गंगा की बात कर रहा हूं और नरेंद्र मोदी भी गंगा की बात कर रहे हैं, तो ये टकराव क्यों आ रहा है।

मातृसदन आश्रम ने ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का एक वीडियो जारी किया है। जिसमें उन्होंने गंगा के लिए अपने अनशन को लेकर कई बातें कही हैं। उन्होंने भी बताया है कि पिछले वर्ष 29 नवंबर को प्रशासन ने जबरन ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया। उस समय तक वे बिलकुल स्वस्थ थे। लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ी। कुछ ऐसा ही प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के साथ हुआ था। इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई। जिसे हरिद्वार का मातृसदन हत्या मानता है। स्वामी दयानंद और खुद आत्मबोधानंद को आशंका है कि यदि उन्हें जबरन ऋषिकेश एम्स ले जाया गया, तो उनके साथ भी ऐसा हो सकता है।

मातृसदन गंगा की अविरलता के लिए उपवास के ज़रिये अपनी ये लड़ाई जारी रखेगा। स्वामी दयानंद कहते हैं कि यदि जल त्यागने के बाद आत्मबोधानंद के साथ कुछ अनहोनी हुई, तो भी गंगा के लिए अनशन का ये क्रम अनवरत चलता रहेगा। जब तक कि उनकी मांगें नहीं मानी जातीं। वे बताते हैं कि 24 अप्रैल से ही आश्रम के स्वामी पुण्यानंद फलाहार पर हैं, यदि आत्मबोधानंद के साथ कुछ होता है तो वे अनशन को आगे बढ़ाएंगे।

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गंगा और आत्मबोधानंद की चिंता करते हुए हरिद्वार में प्रदर्शन करते आम लोग

मातृ सदन की इस मुहिम से जुड़े और उत्तरकाशी के माटु जन संगठन के विमल भाई कहते हैं हमारी जान अटकी हुई कि ये युवा ब्रह्मचारी जल भी त्यागने वाला है। वे कहते हैं कि सरकार जनता को क्यों नहीं बताती कि गंगा पर बने बांधों से किसे फायदा हुआ। कितना फायदा हुआ। कितना नुकसान हुआ। जो फायदा हुआ, उसको जनता पर कितना खर्च किया गया। विमल भाई कहते हैं कि गंगा पर बन रहे बांधों का फायदा ठेकेदारों और राजनीतिज्ञों को मिलता है, जनता तो सिर्फ ठगी जाती है।

विमल भाई सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हैं कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी सार्वजनिक तौर पर कई बार कह चुके हैं कि गंगा पर नए बांध नहीं बनेंगे। वे कहते हैं कि इस सिलसिले में जनवरी से अब तक दिल्ली में उच्चस्थ पदों पर बैठे कई लोगों से मिल चुके हैं, सभी ने यही कहा कि बांध नहीं बनेंगे। लेकिन वे इसका एलान नहीं कर रहे। इसकी एक वजह चुनाव भी हो सकता है।

गंगा के अविरल प्रवाह के लिए तीन बांध सिंगोली-भटवारी(99 मेगावाट), तपोवन-विष्णुगाड (520 मेगावाट), विष्णुगाड-पीपलकोटी (444 मेगावाट) परियोजनाओं को रोकना जरूरी है जो अभी निर्माणाधीन है। इसके अलावा फाया बयोंग 76 मेगा वाट की परियोजना प्राकृतिक वजहों से बंद है। यदि सरकार नए बांधों के प्रस्ताव खत्म कर देती है और इन चार निर्माणाधीन परियोजनाओं को बंद कर देती है, तो मातृसदन अनशन खत्म कर देगा। मातृसदन के स्वामी दयानंद कहते हैं।

आत्मबोधानंद के अनशन के समर्थन में देशभर से लोग एकजुट हो रहे हैं। वे अपनी-अपनी जगहों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोग नहीं चाहते गंगा की खातिर एक और साधु की बलि चढ़े। उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार के समय में साधु मौत को गले लगा रहे हैं। प्रोफेसर जीडी अग्रवाल और उससे पहले वर्ष 2011 में संत गोपाल दास की मौत के समय में भी भाजपा की ही सरकार थी।

चुनाव में एक-एक दिन में कई-कई रैलियां कर रहे नेता हरिद्वार के एक शांत कोने में बसे मातृसदन में झांकने तक नहीं आए। केरल निवासी आत्मबोधानंद कहते हैं कि प्रोफेसर अग्रवाल ने नई पीढ़ी के लिए ही गंगा को बचाने का संकल्प लिया था। इसीलिए उन्होंने प्रोफेसर अग्रवाल के अनशन को आगे बढ़ाया। वे खुद नई पीढ़ी के हैं और चाहते हैं कि ये पीढ़ी अपनी ज़िम्मेदारी संभाले। अपनी नदियों को संभाले। पर्यावरण को बचाने के लिए आगे आए।

(अपडेट : राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निदेशक राजीव रंजन मिश्रा और एग्जीक्यूटिव निदेशक (प्रोजेक्ट) जी अशोक कुमार ने मातृ सदन पहुँचकर ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद से विस्तृत वार्ता की और एनएमसीजी के आदेश का अनुपालन तुरंत करवाने की बात कही। दोनों अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि वे एक सप्ताह के अंदर ही बांध परियोजना जिसमें प्रस्तावित समस्त बाँध और निर्माणाधीन 4 बांध शामिल हैं, को निरस्त करने का वादा लिखित तौर पर देंगे। इस पर ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद जी ने जल त्यागने का निर्णय 2 मई तक बढ़ा दिया है।)

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