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क्या सरकारी पैसे से चल रहा है बीजेपी का प्रचार ?

क्या बीजेपी सरकारी पैसे को अपने खिलाफ उठ रही आवाज़ों को दबाने और अपना प्रचार करने के लिए इस्तेमाल कर रही है ?
बीजेपी नकली ट्विटर ट्रेंड

बीजेपी की आई.टी. सेल पर काफी समय से फेक न्यूज़ बनाने और नकली ट्विटर ट्रेंड पैदा करने के आरोप लगते रहे हैं. NDTV की एक रिपोर्ट ने ना सिर्फ इस बात पर मुहर लगायी है, बल्की इस ओर भी इशारा किया है कि ट्विटर ट्रेंड पैदा करने के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

ऐसे ही एक ट्विटर ट्रेंड की जाँच में ये पता चला कि उसके पीछे सिल्वरटच नामक कम्पनी का हाथ था. दरअसल, हरियाणा की खट्टर सरकार जब रामरहीम की गिरफ़्तारी के समय भड़की हिंसा को रोकने ने विफल रही थी तो उसपर उंगलियाँ उठाने लगी थी. इसके बाद ट्विटर पर #Harayanawithkhattar नामक एक ट्विटर ट्रेंड शुरू हुआ, जिसका मकसद सरकार का बचाव करना था . इस हैशटैग के साथ एक ही ट्वीट लगातार बीजेपी के समर्थक एकाउंट्स द्वारा ट्वीट किया गया और इनके बाद कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने भी वही किया. इस पूरे ट्रेंड को पैदा करने में एक शख्स भार्गव जानी का नाम सामने आता है. ट्विटर पर इस शक्स ने खुदको बीजेपी का मीडिया मेनेजर बताया हुआ है . भार्गव जानी ने इस ट्रेंड को बढ़ाने के लिए 90 मिनट में 63 ट्वीट किये थे . भार्गव की प्रोफाइल पर ये भी लिखा है कि वह सिल्वरटच नामक कम्पनी में मैनेजर हैं . यहीं से ये खोज इस कम्पनी तक पहुंची .

उनकी खोज में ये सामने आया कि सिल्वरटच नामक ये कंपनी दरअसल एक आईटी कम्पनी है जो सरकारी वेबसाइटस बनाती रही हैं I साथ ही रिलायंस, अदानी और दूसरी प्राइवेट कंपनियों के लिए भी काम करती रही है . उनके ड्राफ्ट में लिखा है कि उन्हें 53% सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिलते हैं और इससे 62.5 करोड़ की आमदनी होती है . इसके साथ ही गुजरात सरकार के लिए ये लगातार काम करते रहे हैं . पर पूरी वेबसाइट पर कहीं भी ये नहीं लिखा है कि ये सोशल मीडिया मैनेज भी करते हैं . इससे ये सवाल उठते हैं कि फिर क्यों जानी भार्गव इस कम्पनी में मेनेजर हैं ?

जाँच में आगे पता चला कि न सिर्फ जानी भार्गव बल्की इस कम्पनी के एक और कर्मचारी हिमांशु जैन भी बीजेपी के समर्थन में ट्वीट करते हैं . हिमांशु जैन भी इसी तरह के ट्वीटर ट्रेंड्स पैदा करने के लिए अग्रसर रहते हैं . उदहारण के तौर पर वो #ModiTransformingIndia और #LiesAgainstShah जैसे ट्विटर ट्रेंड्स को आगे बढ़ाने में भूमिका निभाते रहे हैं .

जब रिपोर्टर ने उत्तर प्रदेश सरकार का व्यक्ति बनकर सिल्वरटच को कॉल किया तो इस मामले की असलियत कुछ और उजागर हुई. कम्पनी के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि वो सोशल मीडिया पर “रेपुटेशन मैनेजमैंनट” करती हैं. इसका मतलब ये है कि जब भी सरकार गलत नीतियों की वजह से परेशानी में आती हैं तो ये सरकार और उससे जुड़े लोगों की साख बचाने के लिए सोशल मीडिया ट्रेंड पैदा करती है .इसके आलावा कम्पनी के एक अधिकारी ने रिपोर्टर को इस काम को करने की तरीका भी बताया. उनके अधिकारी मनोज ने बताया कि वो NIC, जो एक सरकारी आईटी संस्था है , के द्वारा ये काम करा सकते हैं . मनोज ने ये भी कहा कि वो ये काम बीजेपी के लिए ही करते हैं . इसका मतलब ये कम्पनी सीधे तौर पर बीजेपी के लिए ये काम नहीं करती, बल्की  ये दबे छुपे ढंग से किया जाता है .

बाद में जब आधिकारिक तौर पर सिल्वरटच से ये सवाल करने की कोशिश की तो उन्होंने इन आरोपों से इनकार कर दिया . सिल्वरटच का कहना था कि वो ये सोशल मीडिया का कोई काम नहीं करती और वो सिर्फ एक IT कंपनी ही है . हिमांशु जैन और भार्गव जानी के संदर्भ में कंपनी ने कहा कि उनके द्वारा किये गए ट्वीट उनके निजी विचार हैं . गौर करने वाली बात ये है कि ये दोनों ये काम ऑफिस के घंटों में करते हैं , जैसे हिमांशु ने 10 अक्टूबर को 10 बजे से 6 बजे तक बीजेपी के समर्थन में 59 ट्वीट करे थे . इसके आलावा भार्गव जानी ने 15 अक्टूबर को 3 से 4 बजे के बीच में #SwacchtaHiSewa को 55 ट्वीटस द्वारा ट्रेंड कराया .इसके बाद जब बीजेपी के आई.टी. सेल से इस बारे में सवाल किये गए तो उन्होंने कहा कि वो भार्गव जानी और सिल्वरटच नामक कंपनी को नहीं जानते हैं .

ये पूरा प्रकरण बहुत गंभीर सवाल खड़े करता है. क्या बीजेपी सरकारी पैसे को अपने खिलाफ उठ रही आवाज़ों को दबाने और अपना प्रचार करने के लिए इस्तेमाल कर रही है ? इसके साथ ही इस प्रकरण से ये भी उजागर होता है कि सोशल मीडिया पर नकली ट्रेंड बनाकर बीजेपी प्रतिरोध की आवाजें दबा रही है . ये बात गंभीर इसीलिए भी है क्योंकि आज  समाज के कुछ तबकों की धारणाएं सोशल मीडिया से बनती हैं. जब लोग सोशल मीडिया पर इस तरह के ट्रेंड देखते हैं तो इसे सर्वजन की धारणा मान लेते हैं . ये बात पिछडे इलाकों से आने वाले लोगों पर और भी ज्यादा लागू होती है जहाँ खबरों के लिए लोगों का सबसे बड़ा माध्यम सोशल मीडिया बनता जा रहा है . इसी की तरह नकली ख़बरें फैलाना और प्रतिरोध की आवाज़ों को दबाने के लिए ट्रोल करना इसी प्रक्रिया का हिस्सा है . ये प्रक्रिया लोगों की धारणा को बदलने और लोगों में तर्कसंगत सोच को ख़त्म करने की मुहीम का हिस्सा है . इस तरह लोगों को पैसे देकर नकली ट्रेंड खड़े करना और लोगों को गाली देने के लिए ट्रोल आर्मी बनाना हमें पोस्ट-टरुथ की ओर धकेल रहा है . जहाँ तथ्यों की बजाये सिर्फ लोगों की राय पर सब निरभर करेगा और वो राय दक्षिणपंथी ताक़तों द्वारा बनायीं जाएगी. 

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