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केरल: एलडीएफ़, एसएफ़आई का विश्वविद्यालयों में राज्यपाल के 'ग़ैरक़ानूनी' हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्य में "विश्वविद्यालय परिसरों का भगवाकरण करने के लिए एक आरएसएस के व्यक्ति के रूप में कार्य करने" और उच्च शिक्षा संस्थानों के "कार्य को बाधित करने" के लिए राज्यपाल पर निशाना साधा।
केरल: एलडीएफ़, एसएफ़आई का विश्वविद्यालयों में राज्यपाल के 'ग़ैरक़ानूनी' हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन
एसएफ़आई द्वारा कालीकट विश्वविद्यालय के सामने लगाए गए बैनर पर लिखा है, “विश्वविद्यालय किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं हैं। चांसलरवाद मुर्दाबाद”।

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान के बयानों और सरकारी विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन बढ़ रहे हैं। हाल ही में, राज्यपाल ने नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (वीसी) को कारण बताओ नोटिस जारी कर उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा था।

कुलपतियों के इस्तीफ़े की मांग करते हुए राज्यपाल के नोटिस के ख़िलाफ़ आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने उन पर राज्य के हितों के ख़िलाफ़ काम करने और उस शक्ति का इस्तेमाल करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है जो उनके पास नहीं है।

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफ़आई) ने भी कैंपस में कैंडल मार्च निकालकर और राज्यपाल के ख़िलाफ़ विश्वविद्यालय में बड़े बैनर लगाकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। वामपंथी छात्र संगठन ने राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद से हटाने की मांग की है।

राज्य के क़ानून एवं उच्च शिक्षा मंत्री ने भी राज्यपाल पर विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में अपनी भूमिका से आगे निकलने का आरोप लगाया है, जो राज्य विधायिका द्वारा प्रदान की गई शक्ति है।

वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने राज्यपाल के कार्यों की निंदा की और निरंतर विरोध कार्यक्रमों के आयोजन की घोषणा की। कांग्रेस के राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व का इस मुद्दे पर अलग-अलग राय है जबकि राज्य नेतृत्व राज्यपाल के कार्यों का समर्थन कर रहा है।

'संवैधानिक जनादेशों के ख़िलाफ़ कार्रवाई'

मुख्यमंत्री ने कुलपतियों के इस्तीफ़े की राज्यपाल की मांग का काउंटर करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। केरल टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (केटीयू) के वीसी की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्यपाल ने इस्तीफ़े की मांग की। उन्होंने 24 अक्टूबर को रात 11.30 बजे से पहले इस्तीफ़ा देने का अल्टीमेटम भी जारी किया।

राज्यपाल ने श्री नारायण गुरु मुक्त विश्वविद्यालय एवं केरल डिजिटल साइंस, इनोवेशन एंड टेक्नॉलोजी विश्वविद्यालय के कुलपतियों को 25 अक्टूबर को सख़्त क़दम उठाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल के दावों पर विभिन्न हलक़ों से कड़ी आपत्तियां आई हैं। सीएम ने राज्यपाल के इस क़दम को राजनीतिक बताते हुए आरोप लगाया कि वह आरएसएस के आदमी की तरह काम कर रहे हैं।

विजयन ने प्रेस की बैठक में कहा, "राज्यपाल/कुलपति के पास कुलपतियों को बर्ख़ास्त करने या उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। वह उन शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकते जो उनके पास नहीं हैं।"

उद्योग एवं क़ानून मंत्री पी राजीव ने कहा कि राज्यपाल का पद संवैधानिक है जबकि इसके विपरीत कुलाधिपति का पद वैधानिक है।

राज्यपाल द्वारा कम योग्यता वाले व्यक्तियों को वीसी के रूप में नियुक्त करने के आरोप पर सीएम ने कहा, "वीसी नियुक्ति प्राधिकारी हैं। तो, क्या वीसी को इस्तीफ़ा देना चाहिए?"

विजयन ने कहा, "राज्यपाल राज्य में चुनी हुई सरकार के ख़िलाफ़ एक विशिष्ट एजेंडे के साथ काम कर रहे हैं। संविधान में विश्वास करने वालों ने राज्यपाल के कार्यों को ख़ारिज कर दिया है। केरल के लोग मिलकर राज्यपाल के बुरे इरादों को हरा देंगे।"

राज्यपाल द्वारा मंत्रियों को अधिकार वापस लेने की चेतावनी जारी करने पर सीएम ने कहा, "संविधान के अनुसार, राज्यपाल सीएम की सिफारिशों के आधार पर मंत्री को नियुक्त कर सकता है या हटा सकता है। राज्यपाल को अधिकार वापस लेने की बहुत थोड़ी समझ है।"

24 अक्टूबर को राज्यपाल ने प्रेस के साथ बैठक की और दावा किया कि उन्होंने कुलपतियों को बर्ख़ास्त नहीं किया था, लेकिन 'सम्मानजनक तरीक़े से पद छोड़ने' का सुझाव दिया था। सीएम और कुलपतियों ने ऐसी किसी भी संभावना को ख़ारिज कर दिया। इससे पहले दिन में, राज्यपाल ने कुछ पत्रकारों पर 'पार्टी कैडर' होने का आरोप लगाया और प्रेस को जवाब देने से इनकार कर दिया। यहां तक कि उन्होंने चार मीडिया चैनलों- कैराली, मीडियाओन, जयहिंद और रिपोर्टर टीवी- को अपनी प्रेस मीट में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया।

एसएफ़आई का विरोध

एसएफ़आई ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। एसएफ़आई सदस्यों ने राज्यपाल के कार्यों की निंदा करते हुए कैंडल के साथ प्रदर्शन किया और मार्च निकाला।

एसएफ़आई द्वारा कोझीकोड के कालीकट विश्वविद्यालय परिसर में कैंडल के साथ प्रदर्शन किया और रैलियां निकाली

एसएफ़आई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी सानू ने न्यूज़क्लिक को बताया, "अलग-अलग राज्यों में राज्यपाल अलग-अलग तरीक़े से काम कर रहे हैं। कुछ राज्यों में राज्यपाल बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारों के शपथ ग्रहण को सुनिश्चित करते हैं, वहीं केरल में असंवैधानिक गतिविधियों के जरिए चुनी गई सरकार को बीजेपी परेशान करने की कोशिश कर रही है।"

केरल में उच्च शिक्षा की स्थिति पर राज्यपाल के बयान पर सानू ने कहा, "राज्य में उच्च शिक्षा नई ऊंचाइयों को हासिल कर रही है। राज्य की उपलब्धियों को समझे बिना राज्यपाल भ्रामक दावे कर रहे हैं। राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में नहीं रहना चाहिए।"

इससे पहले 2021 में ख़ान ने विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का पद छोड़ने की इच्छा व्यक्त की थी।

सानू ने कहा, "विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की भूमिका पर पारित विधेयकों में वही राज्यपाल मौजूद हैं। उन्हें सभी लंबित विधेयकों पर हस्ताक्षर करने दें।"

एसएफ़आई की केरल राज्य इकाई ने विश्वविद्यालयों के कामकाज से संबंधित मामलों में राज्यपाल की कार्रवाई के ख़िलाफ़ लगातार विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया है।

एसएफ़आई के राज्य सचिव पीएम अर्शो ने न्यूज़क्लिक को बताया "एसएफ़आई 26 अक्टूबर को सभी ज़िला मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन करेगा। पिछले दो दिनों में हुए विरोध प्रदर्शनों में, सैकड़ों छात्रों ने भाग लिया, उच्च शिक्षा संस्थानों में राज्यपाल के हस्तक्षेप के लिए उनकी निंदा की। विभिन्न विश्वविद्यालयों में विश्वविद्यालयों के शिक्षक एसएफ़आई द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं।"

एलडीएफ़ करेगा विरोध प्रदर्शन, कांग्रेस में बंटी हुई राय

एलडीएफ़ ने 25 और 26 अक्टूबर को सभी ज़िलों में रैलियां करने करने के साथ 15 नवंबर को राजभवन के सामने एक सामूहिक विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के राज्य सचिवों ने राज्यपाल पर केरल के परिसरों को "भगवाकरण" करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।

कांग्रेस इस मुद्दे पर बंटी हुई है। प्रदेश अध्यक्ष के सुधाकरन और विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने कुलपतियों को नोटिस जारी करने के राज्यपाल के फ़ैसले का समर्थन किया। लेकिन, एक अन्य नेता के मुरलीधरन ने राज्यपाल के कार्यों की निंदा की।

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने राज्यपाल पर संघीय सिद्धांतों के उल्लंघन का आरोप लगाया।

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