Covid-19 को रोकने की ताक़त बना केरल का स्पोर्ट्स सिस्टम
आम तौर पर खेल को लेकर बुनियादी समझ या ख़्य़ाल यही है कि खेल समाज को आगे ले जाने वाले पहिये की एक अहम कड़ी होता है। इसे अंदरूनी तौर पर सामाजिक ताने-बाने में ही बुना जाता है, और इसके साथ-साथ यह समाज के भविष्य के साथ अटूट रूप से जुड़ा होता है। हालांकि, बॉलीवुड छाप सुपर स्टारडम किसी एथलीट और उनके खेल से परिचित कराने के साथ-साथ उन्हें तेज़ी के साथ समाज से दूर तो कर ही देता है, समाज से अलग-थलग भी कर देता है।
इस वैश्विक महामारी, फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग और देशव्यापी लॉकडाउन ने इस खाई को और बेपर्दा कर दिया दिया है,क्योंकि हम जिन एथलीटों को पसंद करते हैं, वे परकोटे में रहते हैं, सोशल मीडिया के सद्भावना संदेशों और अभियानों के पीछे के चेहरे बन जाते हैं। हालांकि एक संस्थान के रूप में खेल राजनीतिक सीमाओं के पार होता है। इस समय आर्थिक मंदी की खाई और चौड़ी होती दिख रही है, ऐसे में ये खिलाड़ी अपने आप को थोड़े दिनों के लिए आराम दे रहा है, शायद ख़ुद को बनाये रखने के वजूद का खेल खेल रहे हैं। संगठित खेल एक ऐसे मनहूस दौर में फंस कर रह गया है, जब ज़िंदगी और मौत के हालात को एक बहुत ही हक़ीक़त की दुनिया में खेला जा रहा है।
फिर, यह तो केरल है। भारतीय फुटबॉलर सी.के. विनीत पूछते हैं, "सही बात तो यही है कि मैं बिल्कुल समझ नहीं पा रहा हूं कि जो कुछ भी मैं इस समय कर रहा हूं, उससे वो क्यों घबराये हुए हैं।" इस खिलाड़ी की आवाज़ में थोड़े समूह को महसूस किया जा सकता है। उन्होंने दोपहर का खाना खा लिया है और उत्तर केरल के कन्नूर ज़िला पंचायत द्वारा स्थापित Covid-19 आवश्यक वस्तु वितरण नेटवर्क के फ़ोन और कंप्यूटर टर्मिनलों में से एक की मदद करने के लिए अपने पड़ाव पर वापस जाने के लिए तत्पर हैं।
विनीत, जिन्होंने हाल ही में संपन्न हुए इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के सीजन में जमशेदपुर एफ़सी के लिए खेला था, वे 24 मार्च से शुरू होने वाले देशव्यापी लॉकडाउन के दूसरे दिन से ही बतौर स्वयंसेवक ज़िला पंचायत के राहत प्रयासों में शामिल रहे हैं। उनके गांव, वेंगड और आस-पास के इलाक़ों में दूसरे इलाक़ों के मुक़ाबले Covid-19 के मामलों की तादाद ज़्यादा है। इसकी वजह शायद यह भी हो कि कन्नूर और उत्तर केरल में आम तौर पर वह छोटी आबादी रहती है, जो पश्चिम एशिया में काम करती है।
विनीत कहते हैं," जैसा कि हम जानते हैं, कन्नूर, इस वायरस से केरल के सबसे ग्रस्त ज़िलों में से एक है"। कोई शक नहीं कि जब वे इसे सबसे ग्रस्त कहते हैं, तो इसका मतलब यही है कि इस राज्य के अन्य जगहों के मुक़ाबले यहां कोविड-19 संकट से ग्रस्त मामले ज़्यादा हैं। लेकिन, कन्नूर इस संकट से निपटने में सबसे कामयाब और व्यवस्थित भी रहा है। 10 अप्रैल तक कन्नूर में 61 मामले और 32 सक्रिय मामले थे, जबकि राज्य के 14 ज़िलों में 258 सक्रिय मामले (कुल रिपोर्ट: 357) हैं।
इस राज्य की बेहद विकसित स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की व्यापक रूप से चर्चा और ज़बरदस्त सराहना हुई है। इस प्रणाली में शामिल आदर्श सार्वभौमिक देखभाल, ज़िला अधिकारियों की फ़ौज के साथ-साथ मज़बूत स्थानीय शासी निकायों और उनके नेटवर्क इस राज्य के मानक बन गये हैं। इस समय यह स्वास्थ्य प्रणाली बेहद तेज़ रफ़्तार से कार्य कर रही है। विनीत किसी भी तरह के संकट के समय हाथ पर हाथ रखकर बैठने वालों में से नहीं रहे हैं। यह फुटबॉल खिलाड़ी उस समय भी बहुत सक्रिय था, जब 2018 में आने वाली बाढ़ ने उनके राज्य को पंगु बना दिया था। हालांकि, यह संकट भी केरल के लोगों का नये स्तर पर संकल्प और लचीलेपन का इम्तिहान ले रहा है, और ऐसे में विनीत कभी भी इस संकट की घड़ी में तमाशबीन नहीं बने रहेंगे।
वे कहते हैं,"असल में, मैं अकेला ही नहीं हूं। इसीलिए मैं फिर पूछता हूं कि इस समय मैं जो कुछ भी कर रहा हूं, इसके बारे में बातें क्यों की जाय, जबकि कई दूसरे लोग कहीं ज़्यादा अहम और शायद जोखिम भरा काम कर रहे हैं”। विनीत आगे कहते हैं, ”और यह बात मैं यहां खेल से जुड़े लोगों के बारे में ख़ास तौर पर कर रहा हूं”। ऐसा कहते हुए वे अपने आपको एक पेशेवर फुटबॉलर के प्रतीक बन जाने की बात को कमतर करने की कोशिश करते हुए कहते है। वे केरल में अपने आप में एक स्टार हैं और जो Covid-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में हाथ मिला रहे हैं। किसी भी तरह के श्रेय लेने से उनकी बचने की कोशिश का उनकी इस सहज विनम्रता से कोई लेना-देना नहीं है, जो उन्हें बाढ़ के दौरान और अब इस समय के उनके प्रयासों को मामूली बनाता है। असल में, ऐसा कहकर वे केरल की वास्तविक तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं कि इस राज्य के पूरे खेल तंत्र के खिलाड़ियों के संकट के समय राहत फौज की वह कड़ी बन जाने के लिए जाना जाता है, जो इस संकट की घड़ी में अपने समाज के पीछे मज़बूती से जमी हुई है।
विनीत कन्नूर ज़िला खेल परिषद द्वारा गठित एक टीम का हिस्सा है, जबकि पूरे राज्य में केरल राज्य खेल परिषद ने राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं में स्वयंसेवकों से लेकर एथलीटों, कोचों और अधिकारियों तक की अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
केरल स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल के उपाध्यक्ष, ओ.के.विनीश ने न्यूज़क्लिक के सामने इस वायरस का सामना करने वाले सामूहिक मोर्चे में एथलीटों की निचले स्तर की भागीदारी की एक पूरी तस्वीर रख दी है। वे कन्नूर में चल रहे उस राहत प्रयास की देखरेख सीधे तौर पर कर रहे हैं, जिसमें टीम के रूप में विनीत सहित लगभग 30 खिलाड़ी काम कर रहे हैं।
वे बताते हैं,"राज्य सरकार और स्थानीय और पंचायत स्तर तक दूसरी एजेंसियों द्वारा किये जा रहे प्रयास बहुत जटिल हैं और इसमें बहुत सारी योजनायें शामिल हैं, जिनके बीच तालमेल की ज़रूरत होती है। और, खेल परिषद ने हमारे तमाम संसाधनों को इस प्रयास में झोंक दिया है। कोई शक नहीं कि हम जो भी भूमिका निभा रहे हैं,वह अलग-अलग ज़िलों और इलाक़ों में अलग-अलग है।”
"उदाहरण के लिए कन्नूर, जहां विनीत और वी मिधुन (केरल संतोष ट्रॉफी कप्तान) इन प्रयासों का हिस्सा हैं, वहां किराने के सामान से लेकर दवाओं तक की आवश्यक वस्तुओं की पूरी आपूर्ति श्रृंखला ज़िला खेल परिषद और उनके एथलीटों और जुड़े क्लबों और इकाइयों द्वारा प्रबंधित की जाती है। आने वाले दिनों में, हमारे पास उन स्वास्थ्य कर्मियों के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बढ़ाने की भी योजना है, जो मुमकिन है कि कुछ समय बाद ख़ुद ही क्वारंटाइन में जा रहे होंगे। राजधानी ज़िला, तिरुवनंतपुरम में यह खेल परिषद, प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन तैयार करने और परिषद की सहायता पर आश्रित लोगों के लिए स्थापित सामुदायिक रसोई के लिए आपूर्ति श्रृंखला को बनाये रखने में शामिल है। राज्य की राजधानी में चल रहे इस प्रयास की देखरेख कोच और ज़िला परिषद अध्यक्ष करते हैं। स्पोर्ट्स काउंसिल ने उन हॉस्टल और स्टेडियम को भी अपने इन प्रयासों में शामिल कर लिया है, जिन्हें सरकार अपने कब्ज़े में ले सकती है और अगर हालात बिगड़ते हैं,तो इनका इस्तेमाल Covid-19 के मरीज़ों के लिए कुछ हद तक क्वारंटाइन और ज़रूरत के हिसाब से अस्थायी अस्पताल इकाइयां स्थापित करने में किया जा सकता है।”
हालांकि, अभी तक के प्रयास इतने अधिक चुस्त-दुरुस्त हैं कि केरल में संक्रमितों के और बढ़ने की संभावना नहीं है। राज्य में मृत्यु दर सबसे कम है, जिसमें अब तक केवल दो मौतें हुई हैं, जबकि चल रहे रोकथाम और निगरानी प्रयासों के नतीजे काफी बेहतर रहे हैं। रोकथाम के इसी प्रयास का एक अहम हिस्सा मैदान पर एक मिडफील्डर की भूमिका निभाने वाले विनीत की भी हैं।
विनीत कहते हैं, "ज़िले में हमारा काम यह सुनिश्चित करना है कि लोग अपने घरों से बाहर न निकलें और कोरोना का कोई लक्षण दिखने पर वो ख़ुद ही सामने आ जायें।"
"इस आपूर्ति श्रृंखला को बनाये रखने में शामिल कॉल सेंटर में हमारे द्वारा निर्देशित खिलाड़ियों और युवाओं ने इस संकट से जूझ रहे लोगों के बीच सामान वितरित किये हैं। एथलीटों के रूप में हम इस सामूहिक भूमिका में अपना किरदार निभा रहे हैं।
हालांकि, यह कोई खेल नहीं है। विनीत के साथ-साथ शामिल तमाम खिलाड़ियों को यह बात अच्छी तरह पता है। पेशेवर या अभिजात वर्ग स्तर के खेल (या उस मामले में किसी भी स्तर) की कठोर मांगों को पूरा करने वाले प्रशिक्षण के घंटे किसी घातक वायरस के सामने ख़ुद को जोखिम में डालते हुए इस बात के लिए तैयार नहीं करता कि राहत कार्य के समन्वय के लिए कॉल सेंटर तैयार किया जाय या किसी दूरदराज़ के गांव में किसी बुज़ुर्ग दंपत्ति की सहायता करने के लिए तैयार किया जाये। इसके लिए एक दृढ़ विश्वास और सामाजिक ज़िम्मेदारी की भावना की ज़रूरत होती है, जो जिम में तैयार नहीं होती, और न ही इसे देश के प्रधानमंत्री की कॉन्फ्रेंसिंग से आती आवाज़ से प्ररित किया जा सकता है। ऐसा तब होता है, जब कोई खिलाड़ी उस समाज के प्रति निष्ठा रखता है, जो उसे एथलीट बनाता है और फिर बाद में उसे एक स्टार बना देता है।
केरल के युवा, बुज़ुर्ग अंतर्राष्ट्रीय या ज़िला स्तर के प्रशिक्षु कोच, खेल प्रशासक और खिलाड़ी भी हमें बताते हैं कि यह सवाल महज मैदान पर एक अनुकरणीय रॉल मॉडल होने भर का नहीं है। बल्कि सवाल तो यह है कि आप जिस भूमिका को निभाना चाहते हैं, वह उससे कहीं ज़्यादा आगे की है। और हमें लोगों के बीच अपने असली स्वर्ण पदक दिखाने के लिए इस संकट से बेहतर मौक़ा क्या होगा।
अंग्रेजी में लिखे गए मूल आलेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं
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