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मध्यप्रदेश में ग़रीबों के राशन में भी धांधली! कांग्रेस ने कहा- “निर्धन निवाला घोटाला”

मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बने अभी एक महीना भी नहीं हुआ है कि उसपर राशन घोटाले का आरोप लग गया है और वो भी इस लॉकडाउन संकट में ग़रीबों को बांटे जा रहे राशन को लेकर। कांग्रेस का आरोप है कि ग़रीबों को राहत के लिए दिए जा रहे 10 किलो आटा के पैकेट में कम से कम डेढ़ किलो आटा कम है। प्रदेश में ऐसे 70 लाख आटा पैकेट बांटे जाने हैं।
मध्यप्रदेश
दस किलो आटा के नाम पर दिए जा रहे एक पैकेट में तो करीब साढ़े छह किलो आटा ही निकला। देखिए मशीन क्या वजन बता रही है- 6.452 kg

कोविड 19 के कारण देश में किए गए लॉकडाउन के कारण करोड़ों गरीब परिवार भुखमरी की स्थिति में पहुंच चुके हैं। केन्द्र और राज्य सरकारों ने इनकी मदद के लिए कई राहत योजनाओं का ऐलान किया है। मध्यप्रदेश में भी सरकार ने सभी गरीबों को राशन देने की घोषणा की है, चाहे उसके पास राशन कार्ड हो या नहीं। लेकिन गरीबों को दिए जा रहे इस राशन में बड़े घोटाला होने का आरोप प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने लगाया है।

राशन वितरण की अनियमितताओं की मिल रही शिकायतों के बीच ग्वालियर दक्षिण के कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने राशन दुकान से दिए जा रहे 10 किलो आटा के पैकेट को तौलकर देखा। उन्होंने पाया कि हर पैकेट में कम से कम डेढ़ किलो आटा वजन में कम है। एक पैकेट में तो साढ़े छह किलो ही आटा पाया गया। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि प्रदेश में इस तरह के 70 लाख पैकेट बांटे जाने हैं, इस तरह से यह करोड़ों रुपए का ‘‘निर्धन निवाला घोटाला’’ है। उन्होंने इस संबंध में वीडियो और फोटो भी जारी किया है। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की है।

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मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता का कहना है, ‘‘यह दुखद है कि कोरोना त्रासदी में भी मध्यप्रदेश में घोटाला हो रहा है। शासन को राशन दुकानों पर छापा डालकर स्टॉक सील किया जाना चाहिए, ताकि कोरोना जैसी भयानक त्रासदी में भी भ्रष्टाचार कर रहे भ्रष्टाचारियों को बेनकाब किया जा सके।’’ उन्होंने कहा कि अभी सरकार को बने 30 दिन भी नहीं हुए है और भाजपा के 15 साल के दरम्यान पोषित पीडीएस माफिया फिर से सक्रिय हो गया है। एक तरफ भूख से आक्रांत गरीब जनता है और दूसरी तरफ लूट को आतुर अनाज माफिया हैं।

माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह का कहना है, ‘‘राशन की एक किट में दो से चार किलो तक आटा कम है और प्रदेश में 70  लाख किट बांटी गई हैं। यदि औसतन तीन किलो आटा कम मान लिया जाए तो यह 2 करोड़ 10 लाख किलो आटे का घोटाला है। घोटाला सामने आने के बाद अब कहा जा रहा है कि मिलों ने ही कम आटा किट में भरा है। असली सवाल यह है कि इन आटा मिलों को अनुबंध कहां से मिला था और उस अनुबंध का खुलासा होने पर पता चलेगा कि कितना कमीशन कहां बंटा है।’’

भोजन के अधिकार अभियान से जुड़े सचिन जैन का कहना है, ‘‘अभी राशन बांटने का जो मैकेनिज्म है, उसमें भ्रष्टाचार होने की संभावना ज्यादा है। गरीबों को जल्द से जल्द राहत उपलब्ध कराना है, लेकिन प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को ज्यादा मजबूत किए बिना भ्रष्टाचार को रोकना आसान नहीं है।’’

उन्होंने हाल ही में रीवा जिले में घटित एक घटना का जिक्र करते हुए बताया, ‘‘बौसड़ स्थित राशन दुकान के सेल्समैन ने गांव-गांव जाकर राशनकार्डधारी लोगों के बायोमेट्रिक ले लिया और कहा कि कोरोना के कारण लॉकडाउन में तीन महीने का राशन मिलना है, इसलिए वह रिकॉर्ड के लिए ग्रामीणों से पहले ही बायोमेट्रिक पहचान ले रहा है। दो दिन बाद से वह कहने लगा कि राशन ही नहीं आया है। वहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं के संज्ञान में मामला आया, तो इस मामले को राज्य स्तर पर उठाया गया। पता चला कि वहां राशन गया था, लेकिन वितरण नहीं किया गया और 352 परिवारों के तीन महीने का लगभग 200 क्विंटल राशन बेच दिया गया है। इस मामले में जांच बैठा दी गई है। लेकिन कलेक्टर के आदेश पर बाजार से 2200 रुपये क्विंटल गेहूं खरीद कर उन गरीबों को 6 अप्रैल को राशन वितरित किया गया।’’

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रीवा में राशन वितरित करते हुए

सचिन जैन ने बताया, ‘‘आज ही मालूम हुआ कि वही राशन दुकानदार आंगनवाड़ी और मध्याह्न भोजन के साढ़े अठाइस क्विंटल अनाज भी हड़प गया है। जब एक राशन दुकान से इस तरह का मामला निकलता है, तो पूरे प्रदेश में कई जगह ऐसी घटनाएं होती होगी। ग्वालियर का मामला भी इसी तरह का एक भ्रष्टाचार ही है, जो पकड़ में आ गया। प्रदेश में 8 लाख परिवारों के राशन कार्ड बनने के आवेदन लंबित है। यानी 32 लाख लोगों तक बिना राशन कार्ड के राशन पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकार ने ली है, जिनके नाम उसके पास है। इसके अलावा लाखों प्रवासी मजदूर एवं अन्य गरीब हैं, जिन तक राशन पहुंचाना है। वितरण प्रणाली को सुदृढ़ नहीं कर पाने का परिणाम है कि गरीबों का निवाला भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। दलीय राजनीति के प्रभाव से सोसायटियों को मुक्त कर, विकेन्द्रीकरण यानी स्थानीय स्तर पर खरीदी, संग्रहण व वितरण व्यवस्था अपनाने के साथ-साथ सतर्कता समितियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर इस पर काफी अंकुश लगाया जा सकता है।’’

भोपाल की बस्तियों में भी कई मजदूरों को राशन दुकानों से राशन नहीं मिल पा रहा है, जबकि सरकार का आदेश है कि बिना राशन कार्ड वाले गरीबों को प्रति व्यक्ति 5 किलो राशन उपलब्ध कराना है। लेकिन जरूरतमंद राशन दुकान से लौटा दिए जा रहे हैं। स्थानीय खाद्य अधिकारी का तर्क है कि एक ही गरीब कई राशन दुकानों से जाकर राशन ले रहे हैं, जिसकी वजह से राशन खत्म हो जा रहा है। एक राशन दुकान पर तीन गरीब मजदूरों को जब राशन लेने के लिए भेजकर देखा गया, तो पहले उन्हें वहां से राशन नहीं मिला। फिर जब इसकी शिकायत खाद्य अधिकारियों से की गई, तो पहले एक मजदूर को, फिर बाद में दो मजदूर को राशन मिल पाया। इस पर सचिन जैन कहते हैं, बिना बेहतर मैकेनिज्म के कई पात्र लोगों तक राशन नहीं पहुंच पाएगा, जिससे लोग भले ही कोरोना से बच जाएं, लेकिन कुपोषण एवं भूख से नहीं बच पाएंगे।’’

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में लगातार राशन घोटाले के मामले सामने आते रहे हैं, जिसमें से दो बड़े मामले राजधानी भोपाल के ही हैं। 5 दिसंबर 2017 को भी भोपाल में राशन का एक बड़ा घोटाला सामने आया था। भोपाल के करोंद मंडी में 1562 बोरियों में 781 क्विंटल गेहूं और 144 क्विंटल चावल जब्त किया गया था। यह राशन भोपाल में शारीरिक रूप से विकलांग, आश्रय घरों और मदरसों के लिए आवंटित किया गया था। इसे खुले बाजार में बेचने के लिए व्यापारियों और ट्रांसपोर्टर ने नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और मदरसा के प्रबंधन के साथ मिलकर साजिश रची थी।

व्यापारियों ने गेहूं और चावल 8 रुपये प्रति किलोग्राम खरीदकर इसे 24 से 28 रुपये प्रति किलोग्राम में बेचने की योजना बनाई थी। जुलाई 2016 में भोपाल में भारी बारिश से निचली बस्तियों में बाढ़ आने के कारण पीड़ितों को वितरित किए गए गेहूं में मिट्टी मिली हुई थी। सरकार ने इस पर जांच बैठाई थी। जांच रिपोर्ट विधानसभा में पेश किया गया था। रिपोर्ट में पाया गया था कि  50-50 किलो गेहूं के बोरे में 12 तक मिट्टी मिलाई गई थी। 50 किलो की बोरियों का वजन भी कम पाया गया था। इस तरह से उनमें लगभग 27 फीसदी मिट्टी पाई गई थी।

ग्वालियर में राशन वितरण की गड़बड़ी सामने आने पर पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने ट्वीट किया है, ‘‘आटा चोर सरकार’’ ‘‘आप कहते हो कि कोरोना पर राजनीति मत करो...तो क्या आँखे बंद कर लें..।’’

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