महाराजा गगांसिहं विश्वविधालय बीकानेर में SFI के आंदोलन से झुका प्रशासन, वापिस लेना पड़ा फीसवृद्धि का फरमान
राजस्थान के बिकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय और उसके अधीन आने वाले लगभग 250 कॉलेजों में परीक्षा फीस में तीन गुणा वृद्धि को लेकर पिछले कई दिनों से चल रहा विरोध प्रदर्शन कल खत्म हुआ। परीक्षा फीस में बढ़ोतरी को लेकर छात्रों में भारी गुस्सा और रोष था। छात्रों के आंदोलन और गुस्से को देखते हुए कुलपति को बढ़ी हुई फीस का फरमान वापिस लेना पड़ा।
दरअसल विशवविद्यालय ने सत्र 2018 के लिए होने वाली परीक्षा की फीस को 300 रुपए से लेकर 1500 रुपए तक बढ़ाने का फरमान जारी किया। विश्वविद्यालय में बोम (बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट) नाम की एक कैमेटी है जो विश्वविद्यालय से जुड़े मुद्दों के लिए काम करती है। मगर कुलपति ने इस कैमेटी से बातचीत किए बिना ही परीक्षा की फीस वृद्धि का फरमान जारी कर दिया। कुलपति ने कहा कि उसने राज्यपाल के जारी किए गए नियम के बाद ही परीक्षा फीस में बढ़ोतरी की है।
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राज्यपाल ने एक फरमान सुनाया था कि विश्वविद्यालय के अधीन आने वाले सभी कॉलेजो की परीक्षा फीस में बढ़ोतरी की जाए ताकि सभी कॉलेजो की फीस एक समान हो। इस फरमान के बाद विश्वविद्यालय में छात्र संगठन एसएफआई ने फीस वृद्धि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किए क्योंकि परीक्षा के लिए हर साल 1500 रुपए बढ़ाकर देना छात्रों के लिए मुमकिन नहीं था।
इस आंदोलन के दौरान 5 दिसंबर, 2017 को बीकानेर जिला महासचिव एसएफआई राज्याध्यक्ष सुनिल पूनियाँ व अनय छात्रों पर पुलिस ने बदसलूकी कर डराने धमकाने का प्रयास भी किया। साथ ही एसएफआई छात्रसंघ अध्यक्ष प्रत्याक्षी प्रफुल हटेला व मदन कस्वा को विश्वविद्यालय से निलंबित भी किया गया था। इन्हीं सब बर्बरतापूर्ण रवैये को देखते हुए जब एसएफआई ने 6 दिसंबर को कुलपति कार्यालय पर धरना प्रदर्शन तेज किया तो कुलपति को छात्रों के दबाव के कारण फीस वृद्धि के फरमान को वापिस लेना पड़ा। इसके साथ ही एसएफआई नेता प्रफुल और एनएसआई नेता मवदन का निलंबन भी वापिस ले लिया गया है।
इस तरह एसएफआई आंदोलन ने महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के करीब साढ़े तीन लाख छात्रों की जेब से जाने वाले 11 करोड़ 80 लाख रुपए को विश्वविद्यालय के भ्रष्ट तंत्र में जाने से बचा लिया। लेकिन बाकी कॉलेजों में अभी एसएफआई के आंदोलन जारी है। फीसवदृधि के फरमान को दूसरे कॉलेजो में अभी वापिस नहीं लिया गया है।
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