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महाराष्ट्र के पालघर के किसान बुलेट ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कर रहे हैं विरोध

इस परियोजना से गुजरात के 192 और महाराष्ट्र के 120 गाँव प्रभावित होंगेI
AIKS
Image Courtesy: AIKS/Facebook

खेती से जुड़े लोगों (किसानों/खेतिहर मजदूर) की दुर्दशा को उजागर करते हुए, पालघर जिले के 50,000 से अधिक किसान और ग्रामीण लोग दहनू में इकट्ठे हुए और विभिन्न परियोजनाओं, मुख्य रूप से मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल गलियारे (एमएएचएसआरसी) के लिए भूमि अधिग्रहण के विरोध में एक रैली निकाली। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के बैनर के तहत रैली करने वाले प्रदर्शनकारियों ने प्रस्तावित एमएएचएसआरसी परियोजना से प्रभावित किसानों और ग्रामीणों के मुद्दों पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया।

एमएएचएसआरसी परियोजना, या बुलेट ट्रेन परियोजना, 1.1 लाख करोड़ रुपये की लागत से बनेगी और इसके लिए लिए सरकार जापान से 80 लाख करोड़ रुपये  ऋण लेगी। इस परियोजना में महाराष्ट्र और गुजरात सरकार दोनों शामिल हैं और यह ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद के बीच काम करेगी। रेल गलियारा मुंबई में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स से निकलकर, महाराष्ट्र के ठाणे और पालघर जिलों से गुज़रेगा और गुजरात में साबरमती में समाप्त होगा। कुल 508 किमी रेलवे लाइन में से 108 किमी महाराष्ट्र के गांवों से गुज़रेगी।

बुलेट ट्रेन परियोजना के निष्पादन के लिए, राष्ट्रीय स्पीड रेल निगम को स्थानीय किसानों की आजीविका की कीमत पर गुजरात, महाराष्ट्र और दादरा और नगर हवेली में 850 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण करनी है। गुजरात में लगभग 192 गांव और महाराष्ट्र के लगभग 120 गांव इस परियोजना से प्रभावित होंगे।

महाराष्ट्र में, अधिकारियों ने किसानों की भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एआईकेएस का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों में से एक ने कहा, "सरकार ने लोगों को केवल मौखिक आश्वासन दिया है और मौजूदा कदम सरकार के साथ हमारी पिछली बनी समझ का उल्लंघन करता है।"

बुधवार को, एमएएचएसआर के अधिकारियों ने बुलेट ट्रेन मार्ग के लिए सर्वेक्षण करने के लिए पालघर जिले के दहानू गांव में आये। निवासियों ने कहा कि वे इस तरह के सर्वेक्षण से अनजान थे। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के संबंध में उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया था।

सर्वेक्षण और बैठक के बारे में सूचना के बाद, बैठक को नियोजन भवन में कलेक्टर के कार्यालय में आयोजित किया गया था, वहां वसई, पालघर, दहानू और तालासरी के ग्रामीणों ने कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने विभिन्न परियोजनाओं के खिलाफ नारे लगाए, वे परियोजनाएं जिन्हें नागपुर-मुंबई सुपर संचार एक्सप्रेसवे और महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग  परियोजनाओं के रूप में इस क्षेत्र में स्थापित किया जाना है।

बुलेट ट्रेन परियोजना ने गुजरात किसानों के बीच असंतोष पैदा किया है। 9 अप्रैल को, किसान वडोदरा में इकट्ठे हुए जहां हितधारकों (स्टेकहोल्डर) की बैठक हुई थी। विभिन्न परियोजना से प्रभावित क्षेत्रों से वहां इकट्ठे हुए किसानों ने कहा कि बैठक के सिर्फ एक ही दिन पहले बैठक के बारे में उन्हें सूचित किया गया था।

इससे पहले भी, किसानों के संगठनों ने इंगित किया था कि हालांकि दोनों राज्य इन परियोजना में एक साथ शामिल हैं, फिर भी भूमि अधिग्रहण के लिए कानून गुजरात और महाराष्ट्र में बहुत अलग हैं। गुजरात में कानून किसानों की जमीन हासिल करने की उनकी सहमति नहीं लेता है।

"2016 में, गुजरात सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून में कुछ बदलाव किए और नए अधिनियम के साथ आए थे जिसमें किसानों की सहमति की आवश्यकता नहीं थी और जमीन जबरन अधिग्रहित की जा सकती थी। इसके विपरीत महाराष्ट्र में भूमि केवल किसानों के साथ वार्ता के बाद ही अधिग्रहित की जाएगी। एक ही परियोजना के लिए, दो राज्य सरकारें भूमि अधिग्रहण के लिए अलग-अलग कानूनों के जरिए काम कर रही हैं, "जयपुर पटेल, अध्यक्ष खेदुत समाज (गुजरात) ने कहा।

हालांकि, महाराष्ट्र राज्य के अधिकारियों के कार्यों से पता चलता है कि वे किसानों की आजीविका को छीन रहे हैं। बीजेपी की अगुआई वाली राज्य सरकार के कृत्य से किसानों, कृषि उपज की कम कीमतों और जलवायु के प्रतिकूल प्रभावों के कारण पहले ही किसानों पर संकट बढ़ गया है और अब भूमि के अधिग्रहण से तो उनकी कमर ही टूट जायेगीI

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