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महाराष्ट्र किसान आंदोलन: इन चार नेताओं के बारे में आपको पता होना चाहिए

किसान लॉन्ग मार्च के नेताओं के बारे में जानें जिन्होंने महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार को हिलाकर रख दिया |
AIKS Maharastra

अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में महाराष्ट्र के किसानों द्वारा नासिक से मुंबई तक बड़े पैमाने पर सात दिवसीय मार्च का जीत के साथ अंत हो गया है, साथ ही राज्य सरकार ने संघर्ष की माँगों को स्वीकार कर लिया है I

विशेष रूप से, आंदोलन ने मुख्यधारा के मीडिया से कुछ ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

भारत में कॉरपोरेट मीडिया में सामान्य प्रथा है कि जब कामगार लोग अपनी वैध माँगों के लिए सड़कों पर उतरते हैं  तो ये इन्हें पूरी तरह से अनदेखा करते  हैं, जैसा कि पूरे भारत के दो लाख कर्मचारी नवंबर 2017 में तीन दिनों के लिए जंतर-मंतर, नई दिल्ली में एकत्र हुए थे| यदि यह ऐसा नहीं कर पाते है, तो दूसरा विकल्प अपनाते है और विरोध प्रदर्शन को बदनाम करते  हैं और यह दावा करते हैं कि वे ट्रैफिक जाम की समस्या पैदा कर रहे हैं!

किसान लॉन्ग मार्च में अलग बात यह रही कि कई मास मीडिया आउटलेट्स द्वारा इसे कवर किया जा रहा है, संभवतः क्योंकि मार्च की तस्वीरों और वीडियो को व्यापक रूप से सोशल मीडिया पर साझा किया गया, इसीलिए इन्हें अनदेखा नहीं किया जा सका।

लेकिन कई कॉर्पोरेट मीडिया रिपोर्टों से ऐसा प्रतीत होगा कि किसान लॉन्ग मार्च नेतृत्त्वहीन विरोध था जहाँ कुछ अजीब कारणों से किसान लाल झंडे लेकर आये !

फिर भी, तथ्य यह है कि किसान लॉन्ग मार्च कोई अचानक हुई घटना नहीं है, यह अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा किये गये परिश्रमी प्रयासों का परिणाम है, जिसने भारत में किसानों के बीच काम किया है ताकि वह आत्महत्या करने की बजाय नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठा सकें, जो उनके जीवन को दुख की खोह में धकेल देती हैं । किसान सभा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) - सीपीआई (एम) से जुड़ा किसान संगठन है ।

वर्ष 1995 से चार लाख किसानों ने अपना जीवन त्याग दिया है और किसान सभा का नारा "आत्महत्या करने के लिए नहीं, लड़ने के लिए एकजुट हो"  किसानों के बीच ये नारा तेजी से फैल  रहा है।

महाराष्ट्र में किसान लांग मार्च किसान सभा की अगुवाई वाली सबसे नया आंदोलन है, इससे पूर्व सितंबर 2017 में और साथ ही फरवरी 2018 में राजस्थान में विशाल किसानों के विरोध प्रदर्शनों को चलाया है,और महाराष्ट्र में भी पहले विरोध प्रदर्शन किया जो कि 2016 में शुरू हुआ था, किसान लांग मार्च उसी आन्दोलन का अगला कदम है |

इसलिए, हम महाराष्ट्र में एआईकेक्स के कुछ नेताओं को जानने की जरूरत  हैं जो इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं, जो कि मध्य वर्ग के मुंबईकरों का समर्थन भी जीत रहे हैं, जो किसानों को भोजन और पानी बांट रहे हैं, और यहां तक ​​कि उन पर फूलों कि  वर्षा भी कर रहे हैं।

अशोक धवले

एआईकेएस (AIKS)के वर्तमान अखिल भारतीय अध्यक्ष अशोक ढवले, एक चिकित्सक हैं। वह बॉम्बे मेडिकल कॉलेज में अध्ययन करते हुए भारतीय छात्र संघ (एसएफआई) के माध्यम से वामपंथ आंदोलन में आए थे। वह एमए (राजनीति विज्ञान) का अध्ययन करने के लिए बॉम्बे विश्वविद्यालय में शामिल हुए थे , जहां वे एसएफआई के एक पूर्ण कार्यकर्ता बने। बाद में वह संगठन के महाराष्ट्र राज्य सचिव बने | छात्र जीवन के बाद, ढवले मौजूदा वामपंथी युवा आंदोलन में सक्रिय हो गए, और भारत के डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया( DYFI) राज्य अध्यक्ष बने।

कृष्णा खोपकर, वरिष्ठ श्रमिक वर्ग और किसान नेता, और एल बी धांगर, ठाणे के अनुभवी आदिवासी नेता के प्रभाव और संरक्षण के तहत अशोक ढवले ने अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के साथ काम करना शुरू किया। सुप्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेता गोदावरी परुळेकर के निधन के बाद एआईकेएस(AIKS) की महाराष्ट्र इकाई कमजोर हुई थी, और अशोक धवले ने इसे फिर से मजबूत बनाने के लिए राज्य का नेतृत्व किया और सभी गांवों में यात्रा किया। महाराष्ट्र में कार्यकर्ता कहते हैं कि राज्य में अखिल भारतीय किसान सभा की वर्तमान ताकत के सबसे अधिक श्रेय धवले को जाता है। वो  राज्य सचिव और अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे है ।

2005 में, अशोक ढवले को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव के रूप में चुने  गये थे , वह 2015 तक इस पद पर  कार्यरत रहे । वह वर्तमान में सीपीआई (एम) के एक केंद्रीय सचिवमंडल के सदस्य हैं और एआईकेएस (AIKS) के अखिल भारतीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने मरियम ढवले से विवाह किया है, जो कि एक प्रमुख वामपंथी नेता और अखिल भारतीय जनवादी महिला संगठन ((AIDWA).) की महासचिव हैं।

जीवा पांडू गावित

जेपी गावित, महान दर्शन(विज़न) वाले के एक आदिवासी नेता हैं, सात बार सीपीआई (एम) से विधायक रहे हैं। वह नासिक जिले में सुरगन(Surgan) से छह बार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए, और वर्तमान में कलवान (Kalwan)से विधायक हैं।

गोदावरी परुलेकर (Godavari Parulekar) और नाना मालुसरे (Nana Malusare )का काम जब उन्होंने 1972 की सूखा के दौरान देखा जब उन्होंने ग्रामीण नासिक का दौरा किया और बेहतर राहत की मांग के लिए ग्रामीणों को इकट्ठा किया | उसके बाद उन्होंने वाम आंदोलन में शामिल हुए थे |

डिंडोरी, सुरगाणा और कलवान के आदिवासी क्षेत्रों में गावित ने मुख्य रूप से शिक्षा और आदिवासियो  के लिए भूमि अधिकार सुनिश्चित करने के लिए काम किया है। वन अधिकार अधिनियम 2014 ,के तहत आदिवासियों द्वारा किए गए 12,000 भूमि के दावों में से गावित और अखिल भारतीय किसान सभा ने यह सुनिश्चित किया था कि सरकार कम-से –कम 7,300 से ज्यादा दावों को स्वीकार किया जाये ,और उन्होंने वो सरकार से मनवाया |शेष के लिए किसान सभा संघर्ष जारी है।

जेपी गावित वर्तमान संघर्ष में अग्रणी नेताओ में से एक  हैं, जिस संघर्ष की मुख्य मांग हैं की  वन अधिकार अधिनियम का  उचित कार्यान्वयन हो | किसान लॉन्ग मार्च की एक बड़ी संख्या इस क्षेत्र से आये लोगो की हैं जहां उन्होंने पिछले चार दशकों में सबसे सक्रिय रूप से कार्य किया है।

हजारों आदिवासी बच्चों और युवाओं के लिए एक शिक्षक, गावित ने नाशिक जिले के अपने गांव अलंगुन में एक असाधारण शैक्षिक परिसर बनाया है: आदर्श समता शिक्षा प्रसारक मंडल, जो जिले में आदिवासी बच्चों के लिए कई स्कूलों और छात्रावास को चलाता है।

गावित और स्थानीय सीपीआई (एम) यूनिट ने " Doorstep Ration Scheme " शुरू की, जिससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कम हुआ है |

 

अजित नवाले

अजित नवाले एआईकेएस (AIKS) के महाराष्ट्र राज्य सचिव हैं जो किसान लांग मार्च की अगुवाई कर रहे हैं।

पेशे  से एक आयुर्वेद चिकित्सक, उन्होंने अहमदनगर जिले के अकोले में एआईकेएस (AIKS) के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नवाले भुव नावले के पौत्र  हैं, जिन्हें एआईकेएस के महाराष्ट्र इकाई के पहले अध्यक्ष  के रूप में चुना गया था जब 1945 में टिटवाला में हुए एक बड़े राज्य सम्मेलन में राज्य में किसान सभा का गठन किया गया था।

जब अजीत नवाले कॉलेज में थे तो वो सक्रिय कार्यकर्ता नहीं थे; उनके दादाजी के निधन के बाद उनके परिवार ने वामपंथ आंदोलन के से उतना नाता नहीं रखा था। अशोक ढवले के साथ लंबी दूरी की एक ट्रेन यात्रा के दौरान यह पूरी तरह से एक संयोग था जिसमें उन्हें आंदोलन में शामिल किया गया था। उस यात्रा के दौरान जब वे एक साथ यात्रा कर रहे थे , तो धवले ने अपने सह यात्री से पूछा कि क्या वह भुआ नवाले से संबंधित हैं हालांकि यह पता चला कि अजीत को तब तक उनके दादाजी के काम के बारे में बहुत कुछ नहीं पता था। उसे दौरान एन दोनों के मध्य जीवन परिवर्तती करने वाली वार्ता शुरू हुई ,इसके बाद, अशोक ढवले और अजीत नवाले लगातार संपर्क में रहे और धवले की सलाह के साथ अजित नवाले एक प्रतिबद्ध कार्यकर्ता और किसान सभा के नेता बने।

अकोले (Akole) के आदिवासी वर्चस्व वाले बेल्ट में नवले के काम ने इस क्षेत्र में उन्हें  बेहद लोकप्रिय व्यक्ति बन दिया  है।

महाराष्ट्र में किसान आंदोलन के दौरान उनके नेतृत्व और 2017 में किसान के मुद्ये पर उनके हस्तक्षेप ने अधिक ध्यान आकर्षित किया, विशेष रूप से जब उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को धोखेबाज़  बुलाया , क्योकि फडणवीस किसानों को खाली वादों से तंग करने की कोशिश कर रहे थे ।

किसन गुजर

वह अखिल भारतीय किसान सभा के महाराष्ट्र राज्य अध्यक्ष हैं। वो खुद एक किसान है , गुजर एक अपेक्षाकृत " silent player " के रूप में जाना जाता है। वह लो  प्रोफ़ाइल रखते है, लेकिन किसानों को उनकी समस्याओं पर संगठित करने में मास्टर है और वो अच्छी तरह जानते है की किसानो को कैसे संगठती करना है |, एआईकेएस में सक्रिय होने से पहले,वह ट्रेड यूनियन आंदोलन में थे , जो कि सेंट्रल इंडियन ट्रेड यूनियनों (सीआईटीयू) के साथ काम कर रहा थे|

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