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मिर्ज़ापुर : पत्रकारों का प्रशासन से सवाल, क्या सच को उजागर करना गुनाह है?

मिडडे मील से जुड़ी खबर करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने पर मिर्जापुर में मंगलवार को पत्रकार संघ ने प्रदर्शन किया। 
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उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में पत्रकार और प्रशासन आमने-सामने हैं। जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में मिडडे मील के तौर पर नमक-रोटी परोसने का वीडियो वायरल होने के बाद जिस तरह पत्रकार पवन जायसवाल और अन्य पर प्रशासन ने मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की है, उसके विरोध में मंगलवार यानी 3 सितंबर को पत्रकार संघ ने जिला मंडलायुक्त के कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन कर रहे पत्रकारों का कहना है कि हमारा जिला प्रशासन से एक ही सवाल है कि क्या सच को उजागर करना गुनाह है? अगर इस तरह पत्रकारों की आवाज दबाई गई, तो हम पत्रकारिता कैसे करेंगे?

न्यूज़क्लिक से बातचीत में पत्रकार अमृत ने बताया कि वे लोग पवन जायसवाल पर मुकदमे के संबंध में कमिश्नर को ज्ञापन सौंपने के लिए पहले से समय मांग कर आए थे, लेकिन कार्यालय पर कमिश्नर साहब मौजूद नहीं थे। जिसके चलते उन्हें धरने पर बैठना पड़ा।

एक और पत्रकार सौरभ ने बताया कि प्रशासन कैसे बच्चों को उस दिन रोटी-सब्जी देने की बात कर रहा है। जबकि उस दिन मैन्यू में ही रोटी-दाल थी। ये अपनी नाकामी छिपाने के लिए, इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। एक पत्रकार पर एक खबर करने के लिए इतनी संगीन धाराएं लगाना समझ के परे है।
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इस संबंध में पवन जायसवाल ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा इस खबर के पीछे उनकी मंशा केवल सच को सामने लाने की थी। वे किसी प्रायोजित साजिश को अंजाम देने नहीं गए थे, केवल अपना काम कर रहे थे। अब मामला हाई-प्रोफाइल होने के बाद प्रशासन उन पर द्वेषपूर्ण कार्रवाई कर रहा है।

उधर, कानपुर में एक कार्यक्रम के दौरान इस संबंध में उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि सरकार किसी के खिलाफ द्वेषपूर्ण व्यावहार नहीं करती है। यदि सरकार को बदनाम करने का कोई प्रयास करेगा तो वो उचित नहीं है। यदि कोई निर्दोष होगा तो सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी।

गौरतलब है कि सोमवार 2 सितंबर को स्थानीय पत्रकार के खिलाफ एफआईआर की खबर के तूल पकड़ते ही हर जगह मिर्जापुर प्रशासन की आलोचना होने लगी। इस संबंध में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की कड़ी निंदा की, साथ ही इस कार्रवाई को पत्रकारों के खिलाफ उठाया गया क्रूर कदम बताया।

बता दें कि 22 अगस्त को मिर्जापुर स्थित एक प्राइमरी स्कूल के बच्चों को नमक के साथ रोटी खिलाने का मामला सामने आया था। जिसके तहत पुलिस ने आईपीसी की धारा 186, 193, 120B, 420 के तहत स्थानीय पत्रकार पवन जायसवाल और गांव के राजकुमार पाल पर साजिश करने, गलत साक्ष्य बनाकर वीडियो वायरल करने और छवि खराब करने को लेकर मामला दर्ज किया है।

जाहिर है पत्रकार पर मुकदमे का ये मामला गंभीर है। भले ही प्रशासन के अपने तर्क हो लेकिन आज पत्रकारों पर बढ़ते हमले और दबाव की खबरें भी किसी से छिपी नहीं हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या सरकार और प्रशासन की खामिया उजागर करना, अपराध करना है?

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