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मोदी-2 में सबकुछ निजी कंपनियों के हाथ सौंपने की तैयारी : दीपंकर

पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में भाकपा-माले का एकदिवसीय कार्यकर्ता कन्वेंशन हुआ जिसमें ‘एकजुट रहो-प्रतिरोध करो’ का नारा देते हुए सात सूत्रीय प्रस्ताव पास किया गया।
भाकपा-माले का कार्यकर्ता कन्वेंशन

पटना : भाकपा-माले के राज्य स्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन को संबोधित करते हुए माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी-2 शासन में सबकुछ निजी कंपनियों के हाथों सौंपने की तैयारी चल रही है। मुनाफे में चलने वाली कंपनियों को भी बेचा जा रहा है। रेलवे, बीएसएनएल आदि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निगमीकरण/निजीकरण करने का हम पुरजोर विरोध करते हैं और इसके खिलाफ इन संस्थानों के कर्मचारियों के आंदोलन का स्वागत व समर्थन करते हैं।

गुरुवार, चार जुलाई को पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में हुए इस कन्वेंशन में माले महासचिव ने कहा कि भाजपा-आरएसएस संपूर्ण लोकतंत्र का निषेध कर देना चाहते हैं। हमने चुनाव के दौरान भी देखा और चुनाव बाद भी देख रहे हैं कि किस प्रकार लोकतांत्रिक संस्थाओं का गला घोंटा जा रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने झूठा प्रचार चलाके व जनता को गुमराह करके चुनाव जीता है। जनता के असली सवाल वहीं के वहीं हैं। 

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दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि ऐसे वक्त में जब भाजपा-आरएसएस का हमला बहुत ही तीखा है, कम्युनिस्ट होने के कारण भाजपा के खिलाफ सशक्त आंदोलन खड़ा करना हमारा दायित्व बनता है। हमने नारा दिया है - एकजुट रहो-मुकाबला करो।

उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के बाद बिहार में सामंती-सांप्रदायिक-मनुवादी ताकतों का मनोबल सर चढ़कर बोल रहा है। भोजपुर-बेगूसराय आदि इलाकों में दलितों, गरीबों और कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं व समर्थकों पर हमले व उनकी हत्या तक कर देने की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।

उन्होंने चिंता जताई कि देश भर में भाजपाई उन्मादी ताकतों द्वारा सुनियोजित तरीके से मॉब लिंचिंग की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय पर एक बार फिर से हमला बोल दिया गया है। कठोर कानूनों के जरिए नागरिकों अधिकारों को खत्म करने की साजिश चल रही है।

माले महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि नीतीश शासन में महिलाओं के सशक्तीकरण की बात तो खूब की गई लेकिन पुलिस विभाग में भी महिलायें सुरक्षित नहीं है। वहां उनका जबरदस्त शोषण हो रहा है। आशा, आंगनबाड़ी, रसोइया के साथ-साथ आज हमें पुलिस को भी संगठित करने की जरूरत है। स्नेहा कांड इसका ज्वलंत उदाहरण है।

आज बिहार व देश में पेयजल का घोर संकट है लेकिन यह संकट देश के बड़े नेताओं, कॉरपोरेट घरानों के लिए नहीं बल्कि आम लोगों के लिए है। भोजन, राशन, शिक्षा की तरह मोदी सरकार पानी का भी निजीकरण कर देना चाहती है। 

हमें यह सवाल पूछना चाहिए कि यदि आयुष्मान भारत जैसी योजनायें हैं तो फिर बिहार में चमकी बुखार से बच्चे क्यों मर रहे हैं? लोग बीमार पड़े तो उसी समय उसका इलाज हो जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जनता की वैचारिक-राजनीतिक चेतना को उन्नत करने की जरूरत है। लोगों के पास गलत प्रचार तेजी से पहुंचता है इसलिए हमें जनता के साथ और भी मजबूत व गहरा रिश्ता बनाने की आवश्यकता है।

कन्वेंशन की शुरुआत में सबसे पहले भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कन्वेंशन का विषय प्रवेश रखा। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के एक महीने के भीतर जो परिस्थितियां उभर कर सामने आई हैं, वे बेहद गंभीर है। कन्वेंशन को अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, विधायक महबूब आलम, भोजपुर जिला सचिव जवाहर लाल, अरवल जिला सचिव महानंद, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, सिवान से महिला नेता सोहिला गुप्ता आदि नेताओं ने संबोधित किया।

कन्वेंशन से पारित सात प्रस्ताव

1. भाजपाइयों द्वारा सुनियाजित हिंसा व मॉब लिंचिंग का प्रतिवाद करने और जहां कहीं ऐसी घटनाएं होती हैं वहां के पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को दंडित किया जाए।

2. रेलवे, बीएसएएनएल व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निगमीकरण/निजीकरण का विरोध किया जाएगा।

3. चमकी बुखार के जिम्मेवार स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को बर्खास्तगी किया जाए।

4. बिहार को सूखाग्रस्त घोषित कर राहत कार्य चलाया जाए।

5. हर जगह सामंती-सांप्रदायिक ताकतों के हमले का जोरदार विरोध किया जाए।

6. महिलाओं का यौन उत्पीड़न और हमले रोके जाएं।

7. सम्मेलन में अरवल के माले नेता गणेश यादव व अन्य नेताओं को उम्र कैद होने पर कहा गया कि इन लोगों को झूठे मुकदमे में फंसाया गया है। इस मामले को आगे लेकर जाया जाएगा।

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