मोदी की हवाई यात्राएं भी सवालों के घेरे में, कौन देगा जवाब?
चुनावी माहौल अपने अंतिम दौर में पहुंच चुका है। और चुनावी चर्चा की गरिमा हर दिन जनता के जमीनी हितों से दूर होती हुई पाताल में जा रही है। चर्चा राजीव गांधी के घोटालों से लेकर राजीव गांधी की छुट्टियों तक पहुँच चुकी है। जबकि चुनाव साल 2019में हो रहा है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका प्रधानमंत्री निभा रहे हैं। खुद को पाक साफ़ बताकर दूसरों के दोष गिनाकर चुनावी राजनीति करने के दौर में प्रधानमंत्री की चुनाव यात्राओं से जुड़ा खुलासा हुआ है।
इस सम्बन्ध में हिंदुस्तान टाइम्स में एक खबर छपी है। इस खबर के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ मोदी जी के हवाई यात्राओं के खर्चे का ब्यौरा दिया गया है। जिसके तहत यह जानकारी मिली है कि मोदी जी के 128 नॉन ऑफिसियल घरेलू हवाई यात्राओं पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने इंडियन एयर फोर्स को 89 लाख रुपये भुगतान किए हैं। इस रिपोर्ट में इस तरफ ध्यान दिलाया गया है कि कि अगर यह यात्राएं प्रधानमंत्री की बजाय एक व्यक्ति करता तो इन हवाई यात्राओं का खर्चा बहुत अधिक होता। यहां एक व्यक्ति इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री ने यह सारी यात्राएं एक चुनावी दावेदार के तरह की है न कि प्रधानमंत्री की हैसियत से और न ही किसी ऑफिशियल काम की वजह से। इस तरह की यात्राओं पर चुनाव आयोग का नियम है कि मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक जब चुनावी यात्राएं सरकारी साधन से करेंगे तो इसका भुगतान सरकार के खाते में जरूर करेंगे।
रिटायर्ड कोमोडोर लोकेश के बत्रा ने सूचना के अधिकार तहत इंडियन एयर फोर्स से प्रधानमंत्री की हवाई यात्राओं के बारें में सवाल पूछे थे। इंडियन एयर फोर्स से मिले जवाब पर लोकेश बत्रा ने कहा कि ये सारी 128 नॉन-ऑफिसियल यात्रायें प्रधानमंत्री ने साल2014 में अपने कार्यभार सँभालने के बाद से लेकर फरवरी 2017 के दौरान की थी। यह सारी यात्राएं चुनावी प्रचार से जुड़ी हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्मिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, असम के विधानसभा चुनाव के दौरे पर थे।
कोमोडोर ने सूचना के अधिकार के तहत यह सवाल भी पूछा था कि हवाई यात्राओं के खर्चे के भुगतान का जरिया क्या था? इंडियन एयर फोर्स के किस नियम के तहत प्रधानमंत्री को यह अधिकार मिलता है वह अपनी घरेलू नॉन-ऑफिसियल यात्राओं के लिए आईएएफ के प्लेन का इस्तेमाल कर सकते हैं? इस पर इंडियन एयर फोर्स का जवाब था कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ पदाधकारी ऑफिसियल कामों के लिए बिना किसी भुगतान के इंडियन एयर फोर्स के हवाई जहाज का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर नॉन ऑफिसियल और अन्य कामों के लिए हवाई जवाज का इस्तेमाल किया जा रहा है तब रेगुलर कमर्शियल सेवा के तहत खर्चे की राशि तय की जायेगी। जबकि हकीकत यह है कि रक्षा मंत्रलाय द्वारा 1999 में निर्धारित किया हुए दर अब तक रेगुलर कमर्शियल सेवाओं की तहत चलते आ रहा है।
पीएमओ ने दिल्ली-गोरखपुर-दिल्ली उड़ान के लिए 31,000 रुपये और मैंगलोर-कासरगोड-मंगलौर उड़ान के लिए 7,818 रुपये का भुगतान किया। इस पर प्राइवेट चार्टर्ड एयरलाइन ऑपरेटरों ने कहा कि यह कमर्शियल दरों से काफी कम है। कालीकट -विक्रम के बीच की दूरी के लिए केवल 5693 रुपये भुगतान किए गए जो कामर्शियल दरों से बहुत कम है। इन सारी यात्राओं का भुगतान का एक चुनावी दावेदार के तौर पर भाजपा को करना चाहिए था लेकिन भुगतान प्रधानमंत्री कार्यालय से हुआ। इस तरह से यह एक ऐसा घोटाला है जिसे प्रधानमंत्री खुद कर रहे हैं और करते जा रहे हैं। जिसपर सवाल-जवाब करने वाला कोई नहीं है। यहाँ अजीब बात यह है कि प्रधानमंत्री खुद आरोपों के घेरे में हैं और सारे सवाल साल 1989 के राजीव गाँधी से कर रहे हैं। सवाल सबसे पूछे जाने चाहिए,जरूर पूछे जाने चाहिए लेकिन किस समय कौन जवाबदेह है ये देखना और सोचना ज़रूरी है।
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।