Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

मुज़फ्फरपुर सुधारगृह कांड: बिहार सरकार ने मुख्य आरोपी के अखबार को दिये थे लाखों के विज्ञापन

जाँच के दौरान यह सामने आय है कि बृजेश ठाकुर के पास न तो 60000 कॉपियाँ छपने के लिए मशीन है और न ही कर्मचारी हैं |
bihar

बिहार के मुज़फ्फरपुर बालिका गृह में बच्चियों के यौन शोषण का मुख्य आरोपी एक हिंदी  अखबार चलाता था,जिसका नाम प्रातः कमल था |इस मामले मे चौकाने वाला खुलासा हुआ है ,जिसमें पता चला है कि 300 कॉपियाँ छपती हैं परन्तु उसका वितरण 60000 से ज़्यादा का दिखाया गया है । इसी आधार पर ठाकुर सरकार से लाखों के विज्ञापन हासिल किया करता था |

ठाकुर  मुज़फ्फरपुर बालिका सुधार गृह यौन शोषण के आरोप में दस और लोगों के साथ आरोपी है और अभी वह जेल में है  | इस सुधारगृह में 7 वर्ष से 14 वर्ष की बच्चियों के साथ  ठाकुर की सरपरस्ती में सालों से बलात्कार और यौनशोषण हो रहा था |पीड़ितों ने यह भी आरोप लगाया है कि आश्रय गृह प्रशासन से बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद उन्हें अपने परिवार से संपर्क नहीं करने दिया गया था। राज्य के सामाजिक कल्याण विभाग की शिकायत के बाद उन्हें मंगलवार को भी गिरफ्तार किया गया था। उसके एनजीओ सेवा संकल्प विकास समिति द्वारा चलाए गए एक और आश्रय घर से 11 महिलाएं गायब होने की खबर है।

अब इस मामले की जाँच सीबीआई कर रही है पुलिस ने सीबीआई को अपनी पर्यवेक्षण(सुपरविज़न) रिपोर्ट में यह बात बताई है कि  प्रातःकमल 300 कॉपियाँ प्रकाशित करता हैं |हालांकि, राज्य सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (आईपीआरडी) के आंकड़ों के अनुसार, समाचार पत्र 60,862कॉपियों का दैनिक वितरण करता है।जाँच के दौरान यह भी सामने आय है कि बृजेश ठाकुर के पास न तो 60000 कॉपियाँ छपने के लिए मशीन है और न ही कर्मचारी हैं |

हालांकि, स्थानीय पत्रकारों ने दैनिक विज्ञापन के नियमित प्रवाह पर प्रश्न उठाए हैं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, एक अनुभवी पत्रकार ज्ञानेश्वर वत्सयान ने कहा कि ब्रजेश ठाकुर "आईपीआरडी-डीएवीपी के खेल" के लाभार्थी रहे हैं। वह यहाँ निष्क्रिय समाचार पत्रों के  गठजोड़ का जिक्र कर रहे थे। जिन्हें सूचना जनसंपर्क विभाग, बिहार और केंद्र सरकार के विज्ञापन निदेशालय और दृश्य प्रचार के भ्रष्ट नौकरशाहों की मदद से नियमित विज्ञापन मिल रहे हैं ।

कशिश न्यूज़ के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह ने कहा कि स्थानीय समाचार पत्रों के लिए नियमित सरकारी विज्ञापन प्राप्त करना बहुत मुश्किल है। सिंह ने कहा, "उन्हें इस पैमाने के विज्ञापन प्राप्त करने के लिए रिश्वत  देना होता है । सरकारों ने स्थानीय समाचार पत्रों को समर्थन देने के लिए योजनाएं शुरू की हैं,  परन्तु यह भी सत्य है कि किसी सामान्य समाचार पत्र के लिए  इस योजना का लाभ लेना इतना आसान नहीं है और यह बात किसी से छुपी नहीं है कि ठाकुर का सरकारी तंत्र पर कितना अधिक प्रभाव था | ठाकुर पैसे पाने के लिए अपने उसी  प्रभाव का इस्तेमाल किया करता था ।"

 सिंह आगे कहते हैं कि ,ठाकुर के प्रभाव का अंदाज़ा  इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि वह न केवल बिहार सरकार के सूचना जनसंपर्क विभाग (आईआरपीडी) के एक मान्यता प्राप्त पत्रकार थे, बल्कि तीन सत्रों के लिए प्रेस मान्यता समिति के सदस्य भी थे। अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए, ठाकुर ने शुरू में इस मामले को दबाने के लिए  किसी भी बड़े समाचार पत्र में यह  खबर नही आने  दी। मुजफ्फरपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष होने के नाते, उन्होंने घोटाले की रिपोर्टिंग को बंद करने के लिए अपने संपर्कों का प्रयोग किया जो विभिन्न समाचार पत्रों और चैनलों में थे ।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest