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कश्मीर में हुई हत्याओं की वजह से दहशत का माहौल, प्रवासी श्रमिक कर रहे हैं पलायन

30 से अधिक हत्याओं की रिपोर्ट के चलते अक्टूबर का महीना सबसे ख़राब गुज़रा है, जिसमें 12 नागरिकों की हत्या शामिल हैं, जिनमें से कम से कम 11 को आतंकवादियों ने क़रीबी टारगेट के तौर पर मारा है। 
Non local laborers waiting for train inside railwaysation Nowgam
रेलवे स्टेशन नौगाम के अंदर ट्रेन का इंतजार कर रहे गैर-स्थानीय या प्रवासी मजदूर। फोटो: कामरान यूसुफ 

श्रीनगर: क्षेत्र में बढ़ते भय और तनाव के बीच, और लगातार बढ़ते संदिग्ध आतंकवादियों के हमलों के मद्देनज़र गैर-स्थानीय श्रमिकों या प्रवासी मजदूरों की हत्या ने जम्मू-कश्मीर से कई गैर-स्थानीय लोगों को घाटी से पलायन करने पर मजबूर कर दिया है।

रेलवे स्टेशन नौगाम के बाहर खड़ा एक गैर-स्थानीय मजदूर ट्रेन का इंतजार कर रहा है। फोटो: कामरान यूसुफ 

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम के वानपोह इलाके में रविवार की शाम को हथियारबंद हमलावरों ने अंधाधुंध फायर कर कम से कम दो गैर-स्थानीय मजदूरों को मार दिया और एक अन्य को घायल कर दिया है। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है। हालांकि, दो पीड़ितों ने गहरे ज़ख़्मों की वजह से दम तोड़ दिया है।

पुलिस ने मृतकों की पहचान राजा रेशी देव और जोगिंदर रेशी देव के रूप में की है। एक अन्य व्यक्ति, चुन-चुन रेशी देव को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सभी पीड़ित बिहार राज्य के रहने वाले हैं और इलाके में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे।

इस जघन्य हमले की प्रशासन, नागरिक अधिकार समूहों और राजनीतिक दलों ने निंदा की है और हत्याओं को "बर्बर" करार दिया है।

वानपोह का हमला उन घटनाओं के एक दिन बाद हुआ जब आतंकवादियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में एक गैर-स्थानीय स्ट्रीट वेंडर और दक्षिण कश्मीर के पुलवामा इलाके में एक लकड़हारे की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्याओं की ताजा बाढ़ ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है, जिसने कई लोगों को 1990 के दशक की याद दिला दी है, जब कश्मीर में सशस्त्र हमले और हत्याएँ अपने चरम पर थी।  

30 से अधिक हत्याओं की रिपोर्ट के चलते अक्टूबर का महीना सबसे खराब गुज़रा है, जिसमें 12 नागरिकों की हत्या शामिल हैं, जिनमें से कम से कम 11 को आतंकवादियों ने करीबी लक्ष्य के तौर पर मारा है। मारे गए लोगों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग और गैर-स्थानीय मजदूर शामिल हैं। इस साल अब तक मारे गए नागरिकों की कुल संख्या 30 को पार कर गई है, सरकार ने इन हत्याओं को 'सॉफ्ट टारगेट' करार दिया है और जो हिंसा में गंभीर वृद्धि का भी संकेत देती है।

कई लोगों (क्षेत्रीय राजनीतिक दलों सहित) के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में 5 अगस्त, 2019 के बाद से स्थिति काफी खराब हो गई है। इस दिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त कर दिया था। इस क्षेत्र से राज्य का दर्जा भी छीन लिया गया था और दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने तर्क दिया था कि इस कदम से क्षेत्र में स्थिरता आएगी और विकास तेज होगा। हालाँकि, क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने सरकार इस कदम का विरोध किया था और दूरगामी परिणामों की चेतावनी दी, जबकि स्थानीय लोगों ने "जनसांख्यिकीय परिवर्तन" की आशंका व्यक्त की थी। अब कई लोग आश्चर्य व्यक्त कर हैं कि क्या इन आशंकाओं ने कश्मीर में गैर-स्थानीय लोगों के खिलाफ दुश्मनी को बढ़ावा दिया है?

वर्ष 2008 से कश्मीर घाटी में काम कर रहे अजय कुमार का कहना है कि हत्याओं के बारे में सुनने के बाद उन्हें पूरी रात नींद नहीं आई। वह अब अपनी जान को खतरे को महसूस कर रहे हैं और काम छोड़ अपने पैतृक गांव वापस जा रहे हैं। “मुझे डर है इसलिए मैं लौट रहा हूं। खासकर रात के समय काफी डर लगता है। अब यहां सुरक्षित नहीं लगता है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि जब चीजें बेहतर होंगी, तो मैं वापस लौटूंगा। 

हाल ही में घाटी में आए मथिलेश कुमार अपनी आजीविका कमाने के लिए नाश्ता बेचते थे,  लेकिन रविवार के हमले के बाद वह डर गया है इसलिए वापस घर रवाना होने के लिए वह आज तड़के श्रीनगर रेलवे स्टेशन पहुंच गया। मथिलेश कुमार ने न्यूजक्लिक को बताया कि “हालात बहुत खराब हैं और सब जा रहे हैं, तो मैं यहाँ क्या करूँगा? मैं वास्तव डर गया हूं और सो नहीं पा रहा हूं। 

कश्मीर में हजारों गैर-स्थानीय श्रमिक बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों से आते हैं, जो मुख्य रूप से निर्माण मजदूरों के रूप में गर्मियों के महीनों के दौरान कश्मीर में काम करते हैं। कई लोग सर्दी के मौसम की शुरुआत में ही घाटी छोड़ देते हैं क्योंकि ठंड के मौसम के कारण निर्माण कार्य बंद हो जाता है, अन्य लोग जो चाय की दुकान या खाने की रेहड़ी लगाते हैं वे वर्षों से रुके हुए हैं। लेकिन, 370 और 35 ए के तहत गारंटीशुदा कानूनों के कारण कोई भी संपत्ति खरीदने या स्थायी रूप से बसने में सक्षम नहीं था, जिसे अब नए कानूनों के जरिए रद्द कर दिया गया है।

गैर-स्थानीय श्रमिकों का पलायन ऐसे समय में हो रहा है जब अधिकारियों ने ताजा आतंकवादी हमलों के मद्देनजर पूरे क्षेत्र में सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं। पुलिस ने नौ मुठभेड़ों में एक दर्जन से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है। इनमें नागरिकों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कुछ हमलों के पीछे आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ भी शामिल है।

बिहार के एक स्ट्रीट वेंडर अरविंद कुमार को लगता है कि सरकार को उनकी सुरक्षा बढ़ानी चाहिए। 

ईदगाह श्रीनगर में संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा मारे गए एक गैर स्थानीय वेंडर अरबिंद कुमार की रहड़ी के पास खड़े सरकारी सुरखा बल। फोटो: कामरान यूसुफ़

अरविंद कुमार ने कहा कि, स्थिति को खराब से बदतर होने से बचाने की जरूरत है। “अगर हम जैसे लोगों को इस तरह निशाना बनाया जाता है, तो चीजें और हिंसक हो सकती हैं। जब बाहर के लोगों को यहां निशाना बनाया जा रहा है तो इसकी भी संभावना बढ़ जाती है कि जम्मू-कश्मीर के बाहर काम करने वाले कश्मीरियों को भी निशाना बनाया जा सकता है। इसलिए मैं अपील करता हूं कि एलजी, सरकार हस्तक्षेप करे और ऐसा होने से रोके। इस स्थिति में कोई नहीं जीत पाएगा।”

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाली केंद्र शासित प्रदेश सरकार ने हत्याओं की निंदा की है की और कहा है कि घटनाओं के खिलाफ सुरक्षा बलों की ओर से “करारा जवाब” दिया जाएगा।

उपराज्यपाल ने कहा कि “मैं शहीद नागरिकों को अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। हम आतंकवादियों, और उनके हमदर्दों को छोड़ेंगे नहीं  और निर्दोष नागरिकों के खून की हर बूंद का बदला लेंगे।”

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Migrant Workers Leave Kashmir as Fear Swells Due to Series of Killings

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