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देश में पुलिसकर्मियों की भारी कमी, पांच लाख से ज़्यादा पद रिक्त

संयुक्त राष्ट्र के मानक के अनुसार एक लाख व्यक्तियों पर 222 पुलिकर्मी होने चाहिए जबकि भारत में ये आंकड़ा 156 है। वहीं भारत में स्वीकृत पुलिसकर्मियों की संख्या प्रति एक लाख व्यक्तियों पर 195 है।
देश में पुलिसकर्मियों की भारी कमी, पांच लाख से ज़्यादा पद रिक्त
तस्वीर सौजन्य : ClearIAS

देश भर में पुलिस बल में करीब पांच लाख से ज्यादा पद खाली हैं। ये जानकारी संसद की एक समिति की रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस बल में रिक्त पदों के अलावा जम्मू और कश्मीर समेत देश के 600 से अधिक पुलिस थानों में मौजूदा समय में फोन नहीं है वहीं ढाई सौ से अधिक थानों में कोई वाहन भी नहीं है।

जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक संसद में गृह मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थाई समिति की पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि एक जनवरी 2020 की स्थिति के अनुसार राज्य पुलिस बलों में 26,23,225 पदों की स्वीकृत संख्या की तुलना में 5,31,737 पद खाली हैं। इस तरह पुलिस बल में करीब 21% पद खाली हैं। रिपोर्ट के अनुसार खाली पड़े पदों में अधिकतर कांस्टेबल स्तर के हैं।

इस रिपोर्ट में आगे बताया गया, ‘‘देश में अपराध और सुरक्षा के मद्देनजर ये अपेक्षित आंकड़े नहीं हैं। कमेटी की राय है कि कर्मियों की संख्या में कमी से पुलिस की क्षमता पर सीधा असर पड़ता है।’’ इसमें आगे कहा गया है कि देश भर में 16,833 थानों में से 257 थानों में वाहन नहीं है वहीं 638 थानों में टेलीफोन नहीं है और 143 थानों में वायरलेस या मोबाइल फोन नहीं हैं। कमेटी की राय है कि एडवांस पुलिस सिस्टम में बढ़िया और मजबूत कम्युनिकेशन सपोर्ट, नए उपकरण और तेज ऐक्शन के लिए अधिक गतिशीलता जरूरी है।

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट आगे कहती है कि 21वीं सदी में भी भारत में खासकर अरुणाचल प्रदेशओडिशा और पंजाब जैसे अनेक संवेदनशील सूबों में थाने बिना टेलीफोन या उचित वायरलैस कनेक्टिविटी के हैंजबकि इनमें से कुछ राज्यों को 2018-19 में बेहतर प्रदर्शन प्रोत्साहन के लिए सम्मानित किया गया। समिति यह भी बोली, ‘‘जम्मू कश्मीर जैसे बहुत संवेदनशील सीमावर्ती केंद्र शासित प्रदेश में भी ऐसे थाने बड़ी संख्या में हैंजिनमें टेलीफोन और वायरलेस सेट नहीं हैं।’’ कमेटी ने कहा कि इससे मौजूदा कर्मियों पर काम का अतिरिक्त बोझ भी पड़ता है। साथ ही उन्हें अतिरिक्त समय तक काम करना पड़ता है।

वर्ष 2019 में सामने आए गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश भर में पुलिस के करीब 5.28 लाख पद खाली थें। इनमें सबसे अधिक पद करीब 1.28 लाख पद उत्तर प्रदेश में थें। इसके बाद बिहार में 50,000 पद और पश्चिम बंगाल में 49,000 पद खाली थें।

उक्त वर्ष सभी राज्यों के पुलिस बलों में 23,79,728 स्वीकृत पद थें जिनमें से 18,51,332 पदों को एक जनवरी, 2018 तक भर लिया गया था। इस तारीख तक कुल 5,28,396 पद खाली पड़े थे। उत्तर प्रदेश में पुलिस बल में स्वीकृत पदों की संख्या 4,14,492 थी। इनमें से 2,85,540 पद भरे गए थे जबकि 1,28,952 पद खाली थें।

पुलिस बल में कमी के चलते मौजूदा पुलिसकर्मियों पर काम का अतिरिक्त बोझ रहता है। कई बार रिपोर्ट सामने आई है कि पुलिसकर्मियों को अपने जरूरी कार्य के लिए भी छुट्टी नहीं मिल पाती है और उन्हें अतिरिक्त ड्यूटी करनी पड़ती है। संयुक्त राष्ट्र के मानक के अनुसार एक लाख व्यक्तियों पर 222 पुलिकर्मी होने चाहिए जबकि भारत में ये आंकड़ा 156 है। वहीं भारत में स्वीकृत पुलिसकर्मियों की संख्या प्रति एक लाख व्यक्तियों पर 195 है।

बीते वर्ष आए एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 के दौरान अपराध के मामलों में वर्ष 2019 की तुलना में 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। देश भर में वर्ष 2020 में प्रतिदिन औसतन 80 हत्याएं दर्ज की गईं और कुल 29,193 लोगों की हत्या की गई थी। इस मामले में राज्यों की सूची में यूपी सबसे उपर रहा। अपहरण की सबसे ज्यादा घटनाएं भी उत्तर प्रदेश में सामने आईं। एनसीआरबी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में कुल 66,01,285 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए। प्रति लाख जनसंख्या पर दर्ज अपराध दर वर्ष 2019 में 385.5 से बढ़कर वर्ष 2020 में 487.8 हो गई है।

वर्ष 2020 में पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,71,503 मामले दर्ज किए गए जो कि वर्ष 2019 में 4,05,326 थे और 2018 में 3,78,236 थे। महिलाओं के खिलाफ अपराध में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर था।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में देश भर में अपहरण के 84,805 मामलों में 88,590 पीड़ित थे। इनमें अधिकतर अर्थात 56,591 पीड़ित बच्चे थे। अपहरण के सबसे ज्यादा 12,913 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे।

 

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