ऋतांश आज़ाद - चुप रहना (अच्छे दिनों पर एक व्यंग )
देश में लगातर बढ़ती बेरोज़गारी, बैंक घोटाले, फेक न्यूज़, मज़दूरों, किसानों और दलितों के ख़राब होते हालात, गाय के नाम पर हत्यायें और कठुआ रेप मामले जैसे मुद्दों पर न्यूज़क्लिक के ऋतांश आज़ाद द्वारा एक व्यंग I
देश में लगातर बढ़ती बेरोज़गारी, बैंक घोटाले, फेक न्यूज़, मज़दूरों, किसानों और दलितों के ख़राब होते हालात, गाय के नाम पर हत्यायें और कठुआ रेप मामले जैसे मुद्दों पर न्यूज़क्लिक के ऋतांश आज़ाद द्वारा एक व्यंग I
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