यूक्रेन में विपक्षी राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध और 'एकीकृत सूचना नीति' लागू की गई
यूक्रेन में असहमतिपूर्ण राजनीतिक विचारों पर एक और हमला करते हुए, राष्ट्रपति वलोदीमीर ज़ेलेंस्की ने रूस के साथ विपक्षी दलों के गहरे संबंध होने का आरोप लगाते हुए देश में प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने "एकीकृत सूचना नीति" को लागू करने के नाम पर देश के सभी टीवी चैनलों के विलय की भी घोषणा की है, ताकि सूचना पर सरकार का एकाधिकार बना रहे।
देश की एकता को बनाए रखने की जरूरत का हवाला देते हुए, ज़ेलेंस्की ने एक बयान में दावा किया कि "राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद ने, रूस द्वारा शुरू किए गए बड़े पैमाने के युद्ध और रूस साथ कई राजनीतिक दलों के राजनीतिक संबंधों को देखते हुए, मार्शल लॉ लगा दिया गया है इस अवधि के दौरान किसी भी राजनीतिक दल को किसी भी किस्म की गतिविधि नहीं करने दी जाएगी।”
ज़ेलेंस्की ने देश के अन्य सभी टीवी चैनलों को बंद करने और उन्हें राष्ट्रीय टीवी के साथ विलय करने की भी घोषणा की है। उन्होंने दावा किया कि इस कदम से मार्शल लॉ के तहत "एकीकृत सूचना नीति" को लागू करने में मदद मिलेगी। यूक्रेन ने पहले ही रूसी टीवी चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है।
जिन 11 राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें अपोजीशन प्लैटफ़ार्म फॉर लाइफ मंच फॉर लाइफ शामिल है, जिसकी 450 सीटों वाली यूक्रेनी संसद में 39 सीटें हैं। प्रतिबंधित अन्य दलों में पार्टी ऑफ शेयरिटी, नशी (हमारी) पार्टी, लेफ्ट, अपोजीशन यूनियन ऑफ लेफ्ट और सोसियलिस्ट पार्टी शामिल हैं। इनमें से कई वामपंथी दल हैं जो नाटो और यूरोपीय यूनियन में यूक्रेनी सदस्यता का विरोध कर रहे हैं।
प्रतिबंध की घोषणा के बाद, अपोजीशन प्लैटफ़ार्म फॉर लाइफ ने इस कदम को "अवैध" कहा और इसे अदालत में चुनौती देने की कसम खाई है। पार्टी ने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को काम करना जारी रखने के लिए भी कहा है, और आगे कहा कि "राजनीतिक संवाद और समझौता और देश को एकजुट करने के तरीकों की खोज करने के प्रयासों के बजाय, सरकार के अधिकारी अपने विरोधियों के खिलाफ छापेमारी, धमकी, दमन और प्रतिशोध की गतिविधियों पर भरोसा कर रहे हैं।"
यूक्रेन के पूर्वी हिस्से की रूसी भाषी आबादी में अपोजीशन प्लैटफ़ार्म फॉर लाइफ का पर्याप्त जन आधार है। इसका नेतृत्व विक्टर मेदवेदचुक करते हैं जिन पर यूक्रेनी सरकार ने राजद्रोह का आरोप लगाया गया है। रूसी हमले के बाद उन्हें नजरबंद कर दिया गया था। हालांकि, यूक्रेन सरकार का आरोप है कि वह नजरबंद होने से बच गए हैं। मेदवेदचुक के वकील ने इस आरोप का खंडन किया है।
कुछ हफ्ते पहले 6 मार्च को, यूक्रेन के लेनिनवादी कम्युनिस्ट यूथ यूनियन के नेताओं, अलेक्जेंडर कोनोनोविच और मिखाइल कोनोनोविच को भी यूक्रेनी सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। तब से, उनके बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिली है।
कई टिप्पणीकारों ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए विपक्षी समूहों पर प्रतिबंध की आलोचना की है।
Ukraine has just banned 11 opposition parties, most of them left-wing, in addition to the ban on Communist parties since 2015.
If these parties have no support, why are they a threat?
If they have support, why hasn't there been a hint of this in our media until now?
— Steve Howell (@FromSteveHowell) March 20, 2022
इस बाबत कुछ ने पश्चिमी मीडिया में आलोचना की कमी पर भी सवाल उठाया है, जो अन्यथा इस तरह के कार्यों को लोकतंत्र की हत्या के रूप में लेबल करते हैं। कई लोगों ने टिप्पणी की है कि यह पश्चिमी मीडिया के "दोहरे मानदंड" को दर्शाता है।
If Putin banned 11 opposition parties under the pretext of war, just as Zelensky has done today, Western media would be likening it to a Stalinesque purge.
— Richard Medhurst (@richimedhurst) March 20, 2022
पश्चिमी सरकारें जो औपचारिक रूप से इन घटनाओं पर कोई भी बयान जारी करने में विफल रही हैं, उन्हें भी कुछ वर्गों की आलोचना का सामना करना पड़ा है।
NOT A WORD FROM EU, BRITAIN OR NATO - the US and Ukraine voted against banning neo-Nazism now Ukrainian President Zelensky, has suspended eleven opposition parties. In the meantime the supposed democratic West continues to supply arms without condemnation or talk of peace. pic.twitter.com/NBQINsBMTr
— Communist Party ☭ (@CPBritain) March 20, 2022
विपक्ष पर प्रतिबंध लगाने का लंबा इतिहास
यूक्रेन में वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था पर पश्चिमी और नाटो समर्थक नीतियों को लागू करने की महत्वपूर्ण किसी भी स्थिति के प्रति असहिष्णु होने का आरोप लगाया गया है। राजनीतिक क्षेत्र में दक्षिणपंथी और नव-नाजी समूहों का प्रभुत्व 2014 में यूरोमैडन आंदोलन के बाद से देखा गया है, जिसने तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को यूरोपीय यूनियन की नीतियों को अपनाने के लिए उनकी सरकार की अनिच्छा और रूस के साथ उनकी कथित निकटता के कारण इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था।
यूक्रेनी सरकार ने देश के सोवियत अतीत के प्रति एक मजबूत नफरत दिखाई है और इसकी स्मृति को सार्वजनिक डोमेन से मिटाने के लिए विवादास्पद कदम उठाए हैं।
24 फरवरी को युद्ध शुरू होने से बहुत पहले, ज़ेलेंस्की ने विपक्षी दलों के कथित संबंध होने के बहाने कम से कम तीन टीवी चैनलों की गतिविधियों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। चैनल ज़िक, न्यूज वन, और 112 यूक्रेन, वे चैनल हैं जिन्हें बंद करने पर मजबूर किया गया था, इनका स्वामित्व टारस कोज़ाक के पास है, जो अपोजीशन प्लेटफ़ॉर्म फॉर लाइफ पार्टी के संसद सदस्य हैं।
यूक्रेनी अधिकारियों ने 2015 में देश में कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया था, यह आरोप लगाते हुए कि उसने क्रीमिया के रूसी कब्जे और डोनेट्स्क और लुहान्स्क में स्वतंत्रता आंदोलनों के पक्ष में स्टैंड लिया था और अलगाववाद और जातीय संघर्ष का समर्थन किया था। इसकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए, अधिकारियों ने मई 2015 में पारित एक विवादास्पद "विसंवाद कानून" का इस्तेमाल किया था, जिसके लिए पार्टी को अपना नाम और लोगो को बदलना आवश्यक था। यह कानून सरकार को देश के अतीत के कम्युनिस्ट और सोवियत के पदचिन्हों को मिटाने की भी अनुमति देता है।
व्यापक आलोचना के बावजूद, यूक्रेनी अधिकारियों ने विवादास्पद कानून को रद्द करने से इनकार कर दिया है, जिसका इस्तेमाल नव-नाजी समूहों को बढ़ावा देने के लिए भी किया जात है। यह भी रेखांकित किया गया कि ज़ेलेंस्की दक्षिणपंथी समूहों पर कार्यवाही करने की अनिच्छा रखते हैं जबकि वे कथित रूप से रूसी समर्थक समूहों को निशाना बना रहे हैं, क्योंकि दक्षिणपंथी समूह देश में उनके राजनीतिक विचार को स्थापित करने में उनकी मदद करते हैं।
साभार : पीपल्स डिस्पैच
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