Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

प्रो. आनंद तेलतुंबडे रिहा, अदालत ने पुलिस की कार्रवाई को अवैध बताया

दलित बुद्धिजीवी व प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे की गिरफ्तारी को लेकर पुणे पुलिस को भारी झटका लगा है। पुणे के सेशन कोर्ट ने प्रो. आनंद तेलतुंबडे को रिहा करने के आदेश दिए हैं।

प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे

दलित बुद्धिजीवी व प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे की गिरफ्तारी को लेकर पुणे पुलिस को भारी झटका लगा है। पुणे के सेशन कोर्ट ने प्रो. आनंद तेलतुंबडे को रिहा करने के आदेश दिए हैं। अदालत के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की समय सीमा के मुताबिक प्रो. आनंद को रिहा कर दिया जाए।

आपको बता दें कि पुणे पुलिस ने शनिवार तड़के मुंबई हवाईअड्डे से प्रो. आनंद तेलतुंबडे को गिरफ्तार किया था। उन्हें तड़के करीब 3.30 बजे छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के घरेलू टर्मिनल से गिरफ्तार किया गया।

दरअसल भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे सत्र न्यायलय ने शुक्रवार 1 फरवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इससे पहलेसुप्रीम कोर्ट ने तेलतुंबडे को उचित अदालत में जमानत के लिए आवेदन करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था। जिसके बादउन्होंने पुणे की सत्र न्ययालय में एक आवेदन किया था, जहां सुनवाई 28 जनवरी को शुरू हुईऔर तीन दिनों तक जारी रही।

गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में पढ़ाने वाले तेलतुंबडे पर प्रतिबंधित 'कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया' (माओवादी) और साथ ही यलगार परिषद के साथ संबंध रखने का आरोप है जिसे कथित तौर पर पुणे में कोरेगांव-भीमा में एक जनवरी, 2018 हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है।

इससे पहलेइस मामले में जून के महीने में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं- शोमा सेनमहेश राउतसुरेंद्र गडलिंगरोना विल्सन और सुधीर धवले को गिरफ्तार किया गया था। फिरजुलाई और अगस्त के महीनों में,सुधा भारद्वाजगौतम नवलखाअरुण फरेरावर्नन गोंसाल्वेस और वरवर राव को गिरफ्तार किया गया।

प्रो. आनंद तेलतुम्बडे की गिरफ्तारी की देशभर के बुद्धिजीवियोंमानवाधिकार कार्यकर्ता और कवि-लेखकों के बीच तीखी प्रतिक्रिया हुई  और सभी ने इस गिरफ्तारी की निंदा की। सभी का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से उनके पास 11 फरवरी तक का समय था तो ऐसी क्या जल्दी थी कि उन्हें तड़के इस तरह चोरी-छिपे गिरफ़्तार किया गया। अदालत ने भी सुप्रीम कोर्ट की मोहलत को संज्ञान में लेते हुए प्रो. आनंद की गिरफ्तारी को अवैध बताया और सत्र न्यायलय ने पुलिस पर सख्त टिप्पणी करते हुए पुलिस कि करवाई को सुप्रीमकोर्टआदेश का उलंघन बतया है |

 

 

 

 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest