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पिछले 17 सालों में अज्ञात स्रोतों से मिला राष्ट्रीय पार्टियों को कुल आय का 65 फ़ीसदी हिस्सा

वर्ष 2004-05 से 2020-21 तक राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को 15,077 करोड़ रूपये अज्ञात स्रोतों से मिले हैं, जिसमें से सबसे अधिक 53 फीसदी धनराशि अकेले बीजेपी को मिले।  
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पिछले 17 वर्षों में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को विभिन्न स्रोतों से कुल 23,149 करोड़ की आय हुई है,जिसमें से 15,077 करोड़ रूपये अज्ञात स्रोतों से मिले हैं।अज्ञात स्रोतों से मिली रकम सभी दलों की कुल आय का 65 फ़ीसदी है। यदि हम राजनीतिक दलों में देखे तो सबसे अधिक भाजपा ने कमाई की है, भाजपा ने पिछले 17 सालों में कुल 12,691 करोड़ रूपये इकठ्ठा किये हैं, जोकि सभी दलों की कुल कमाई का आधे से अधिक हिस्सा है।  

देश की राजनीति में पार्टियों के चंदे में पारदर्शिता का आभाव रहा हैं, जिसने हमेशा से संविधान द्वारा अनिवार्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों पर प्रश्न चिन्ह लगाया हैं। इस लेख में दलों की आय का विश्लेषण, चुनावी और राजनीतिक सुधार के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की वर्ष 2004-05 से 2020-21 की रिपोर्ट पर आधारित हैं, एडीआर की रिपोर्ट पार्टियों द्वारा दाखिल आयकर रिटर्न (ITR) और भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के समक्ष चंदे के संबंध में दायर हलफनामे पर आधारित है। इन रिपोर्ट से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2004-05 से 2020-21 के बीच देश के राजनीतिक दलों को विभिन्न स्रोतों से कितना चंदा हासिल हुआ है?

एडीआर संस्था ने आठ राष्ट्रीय और 27 क्षेत्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से मिली धनराशि का विश्लेषण किया, राष्ट्रीय दलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) शामिल थीं। 

राष्ट्रिय राजनीतिक दलों की ज्ञात, अज्ञात और अन्य दूसरे ज्ञात स्रोतों से आय 

हमारे देश के लोकतान्त्रिक ढाँचे में राजनीतिक दलों का मुख्य स्थान हैं, वह चुनाव लड़कर और सरकार बनाकर नीतियों का गठन करते हैं। राजनीतिक दलों को अपनी नीतियों और लक्ष्यों को जनता तक पहुंचाने के लिए धन कि आवयश्कता होती है और यह धनराशि विभिन्न माध्यमों से एकत्र करते हैं, आय के विभिन्न माध्यमों को मुख्यतौर पर तीन भागों में बाँटा जाता है। 

❖    ज्ञात स्रोत 
❖    अज्ञात स्रोत
❖    अन्य ज्ञात स्रोत 

राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपयों से अधिक के दान देने वाले दान दाताओं का विवरण चुनाव आयोग को वार्षिक जमा करना आवयश्क है। दान रिपोर्ट में दलों को दान देने वाले दान दाता का नाम, पता, पैन, राशि, और भुगतान का माध्यम आदि जानकारी  देनी होती है। यह दलों की आय का एकमात्र ज्ञात स्रोत हैं। 

अज्ञात स्रोतों की जानकारी का विवरण दलों द्वारा घोषित आयकर विवरण से लिया जाता हैं, 20 हजार रुपयों से कम दान का विवरण न ही ऑडिट रिपोर्ट और न ही दान रिपोर्ट में सर्वजनिक तौर पर उपलब्ध होता है, इस तरह के दान को अज्ञात स्रोत माना जाता हैं। अज्ञात स्रोतों में चुनावी बांड द्वारा प्राप्त दान, सेल ऑफ़ कूपन, रिलीफ फंड्स, मिसलेनियस आय, वॉलंटरी कंट्रीब्यूशन, कंट्रीब्यूशन फ्रॉम मीटिंग/मोर्चा आदि हैं। ऐसे योगदान देने वाले दान दाताओं का ब्यौरा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
 
राजनीतिक दलों के आय के अन्य ज्ञात स्रोतों में चल और अचल संपत्ति, पुराने अखबार, सदस्यता शुल्क, डेलिगेट फी, बैंक ब्याज, सेल ऑफ़ पब्लिकेशन और लेवि आदि विवरण कि जानकारी दलों के बही खातों में किया होता हैं। 


वर्ष 2004-05 से 2020-21 के मध्य राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने कुल 23,149 करोड़ रूपये विभिन स्रोतों से आय के रूप में एकत्र किये हैं, जिसमे से 5,125 करोड़ रूपये ज्ञात स्रोतों से, जो कि कुल प्राप्त आय का 22 फीसदी हैं, इसके साथ ही 2946 करोड़ रूपये अन्य ज्ञात स्रोतों से, जो कि कुल आय का 13 फीसदी हैं, और कुल आय में सबसे अधिक 15,077 करोड़ रूपये अज्ञात स्रोतों से राजनीतिक दलों ने एकत्रित किये है जो कि कुल आय का 65 प्रतिशत हैं। 

पिछले 17 सालों में यदि हम दलों की कुल आय देखे तो पाते है कि सभी दलों की कुल आय में अकेले भाजपा ने 12,691 करोड़ रूपये इकठ्ठा किये है जोकि सभी दलों की कुल आय का 55 फ़ीसदी है, इसके बाद दूसरे स्थान पर कांग्रेस है, जिसने पिछले 17 सालों में 6,554 करोड़ रूपये इकठ्ठा किये हैं, इसके बाद सीपीएम ने 1,636 करोड़ रूपये, बीएसपी ने 1,217 करोड़ रूपये, एनसीपी ने 557 करोड़, तृणमूल कांग्रेस ने 457 करोड़ और सीपीआई ने इस अवधि में 37 करोड़ की कुल आय प्राप्त की हैं | इसके साथ ही आपको बता दें कि कुल आय में बड़ा हिस्सा अज्ञात स्रोतों से मिलने वाली आय का है, जिसका विवरण हम आगे लेख में करेंगे।  
 

ऊपर दिए गए चार्ट में आप देख सकते है कि 2004-05 से 2020-21 के बीच अलग-अलग स्रोतों से दलों को कुल कितनी आय हुई हैं। चार्ट में दिए आंकड़ों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि कुल आय में अधिकांश हिस्सा भाजपा और कांग्रेस को मिला हैं और कुल आय में बड़ा हिस्सा अज्ञात स्रोतों से मिलने वाली आय का हैं। यदि हम प्रत्येक दल कि अज्ञात स्रोतों से प्राप्त आय को देखे तो पता चलता है कि 17 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी ने अज्ञात स्रोतों से 7,960 करोड़ रूपये एकत्र किये हैं, जोकि सभी राजनीतिक दलों कि अज्ञात आय का 53 फीसदी हैं। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने अज्ञात स्रोतों से 5,189 करोड़ रूपये इकठ्ठा किये है जोकि कि सभी राजनीतिक दलों की अज्ञात आय का 34.4 प्रतिशत हैं।  इसके साथ ही हम अन्य दलों की आय ऊपर चार्ट में देख सकते हैं।  

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बड़े दल है और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों का कार्यक्षेत्र पूरा देश होता है और राजनीतिक दलों को बड़ी संख्या में छोटे-छोटे धनराशि के दान मिलते हैं और यह दान बीस हजार रूपये से कम होने के कारण अज्ञात स्रोतों की श्रेणी में आ जाते हैं, इलेक्टोरल बांड योजना शुरू होने से पहले अज्ञात स्रोत से प्राप्त होने वाली आय का बड़ा हिस्सा स्वैच्छिक दान और कूपन से प्राप्त होता था, परन्तु इलेक्टोरल बांड योजना आने के बाद से अज्ञात स्रोतों की आय का बड़ा हिस्सा चुनावी बॉन्ड से आता हैं, चुनावी बॉन्ड से होने वाली आय पर चर्चा हम इस लेख में आगे करेंगे। अज्ञात स्रोतों की आय के सम्बन्ध में एडीआर संस्था की सिफारिश है कि दलों को मिलने वाला चंदा चाहे वो छोटी धनराशि का हो या बड़ी उसको ऑडिट रिपोर्ट में घोषित किया जाना चाहिए।  
 
राष्ट्रीय पार्टियों को चुनावी बांड से प्राप्त धनराशि 

एडीआर की वर्ष 2017-18 से 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय पार्टियों को 5,244 करोड़ रूपये चुनावी बांड से प्राप्त हुए हैं। वर्षवार क्रमश: 2017-18 में 215 करोड़ रूपये,  2018-19 में 1961 करोड़ रूपये, 2019-20 में 2,994 करोड़ रूपये तथा 2020-21 में 74 करोड़ रूपये मिले हैं।
 
चुनावी बांड की यह राशि मुख्यतौर पर भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और एनसीपी को प्राप्त हुई हैं। इन तीन सालों में सबसे अधिक इलेक्टोरल बांड की राशि भाजपा को मिली हैं, भाजपा को इस अवधि में 4,238 करोड़ रूपये इलेक्टोरल बांड से मिले हैं और कांग्रेस को 716 करोड़ रूपये, तृणमूल को 240 करोड़ रूपये और एनसीपी को 50 करोड़ रूपये प्राप्त हुए हैं। 


 आपको बता दें कि इलेक्टोरल बांड योजना शुरुआत से ही वालों के घेरे में रही हैं, इलेक्टोरल बॉन्ड के ख़िलाफ़ तर्क दिया जाता है कि इसमें दानदाता की पहचान गुप्त रखी जाती हैं। एक आलोचना यह भी है कि यह योजना बड़े कॉरपोरेट घरानों को उनकी पहचान बताए बिना पैसे दान करने में मदद करने के लिए बनाई गई थी, इसके साथ ही योजना के आलोचक कहते हैं कि आरबीआई, चुनाव आयोग, और कई सांसदों ने समय-समय पर इस योजना पर आशंका और आपत्तियां जताई हैं | 

जब से यह योजना शुरू हुई है तब से भाजपा को इसके तहत बड़ी धनराशि मिली हैं, जिससे अक्सर यह सवाल उठता रहता है कि क्या इलेक्टोरल बॉन्ड योजना इसी मंशा से बनाई गई थी कि सत्ताधारी बीजेपी को लाभ पहुँच सके?

एडीआर संस्था ने राजनीतिक दलों कि आय को लेकर सिफारिश कि है कि पारदर्शिता के लिए दान दाताओं की पूरी जानकारी, आम जनता को उपलब्ध होनी चाहिए। आय के सभी स्रोतों कि जानकारी जैसे सभी तरह का चंदा/दान(रूपये 20,000 से अधिक या कम), कूपन की बिक्री से आय, सदस्यता शुल्क आदि आय के स्रोतों कि जानकारी दलों को अपने ऑडिट रिपोर्ट में घोषित करनी चाहिए। इसके साथ ही राजनीतिक दलों की धनराशि में पारदर्शिता और जबाबदेही को बढ़ाने के लिए दलों द्वारा घोषित सारे वित्त सम्बन्धी दस्तावेजों को कैग और चुनाव आयोग द्वारा स्वीकृत संस्था को वार्षिक रूप से जाँच करनी चाहिए। .
 

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