मुस्लिम उग्र प्रदर्शन की राजनीति के मायने और राज्यसभा चुनावों में वोट-बदल की लीला
किसी भी कोण से शुक्रवार के कुछ उग्र मुस्लिम-प्रदर्शनों के मुद्दे को CAA-NRC की तरह मुस्लिम समाज के नागरिक जीवन के बड़े सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ पर आधारित नहीं कहा जा सकता. यह सत्ताधारी दल के कुछ अभद्र और नफरती जहनियत वाले नेताओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर केंद्रित था.
गोलबंदी का परिप्रेक्ष्य और आधार भी धार्मिक था. हिन्दुत्ववादी शक्तियां भी इस तरह के परिप्रेक्ष्य और आधार पर गोलबंदी करती दिखती हैं. जिस समाज में लोकतंत्र और संविधान पर स्वयं सत्ताधारियों की तरफ से ही खतरे मंडरा रहे हों, वहां ऐसी गोलबंदियों का क्या है मतलब? साथ में 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव के कुछ दिलचस्प उलटफेर पर एक नजर. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार Urmilesh का विचारोत्तेजक विश्लेषण
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