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प्रयागराज हिंसा: पुलिस ने एंटी सीएए प्रदर्शनकारी, वामपंथी और अन्य विपक्षी नेताओं को बताया 'मुख्य आरोपी'

10 जून को प्रयागराज में हुए विरोध के दौरान भड़की हिंसा में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कुल 68 लोगों को गिरफ़्तार किया है जिसमें शहर के सामाजिक कार्यकर्ता जावेद मोहम्मद को मुख्य आरोपी बताया गया है। हालांकि उनकी बेटी आफ़रीन का आरोप है कि शुक्रवार रात को पुलिस ने उन्हें ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से गिरफ़्तार किया है।
प्रयागराज हिंसा: पुलिस ने एंटी सीएए प्रदर्शनकारी, वामपंथी और अन्य विपक्षी नेताओं को बताया 'मुख्य आरोपी'

शुक्रवार, 10 जून को निलंबित बीजेपी सदस्य नूपुर शर्मा और निष्कासित सदस्य नवीन कुमार जिंदल द्वारा पैगंबर मुहम्मद पर विवादित टिप्पणी के विरोध में देश भर में प्रदर्शन हुए। कुछ जगहों पर प्रदर्शन हिंसक हो गए, और आगज़नी गोलीबारी जैसी घटनाएँ भी हुईं। पुलिस ने इस मामले में अब तक क़रीब 70 नामज़द और 5000 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली है। इनमें से 10 लोग ऐसे हैं जिन्हें मुख्य आरोपी बताया जा रहा है। यह10 लोग एआईएमआईएम, पीएफ़आई, आइसा, सीपीआई-एम, सपा से जुड़े हुए हैं। और यह सभी लोग एंटी सीएए प्रदर्शनों के वक़्त भी सक्रिय थे और आंदोलन का हिस्सा रहे थे। पुलिस का दावा है कि इनमें से एक जावेद महम्मद को गिरफ़्तार कर लिया गया है और बाकियों की तलाश की जा रही है। जावेद मुहम्मद शहर के सामाजिक कार्यकर्ता हैं और एंटी सीएए प्रदर्शनों के वक़्त भी सक्रिय थे।

जावेद के अलावा इसमें एआईएमआईएम के ज़िलाध्यक्ष शाह आलम और ज़ीशान रहमानी, प्रयागराज के एक्टिविस्ट उमर ख़ालिद, सीएए प्रदर्शनों के दौरान भी एफ़आईआर झेल चुकीं सारा अहमद, वामपंथी नेता डॉ. आशीष मित्तल और अली अहमद जैसे लोगों के नाम शामिल हैं।

एडीजी प्रेम प्रकाश के मुताबिक जो लोग इन युवाओं को भड़काकर हिंसा फैलाना चाहते थे। उनके खिलाफ पुलिस गैंगस्टर और एनएसए तक की कार्यवाही करेगी। इसके साथ ही अटाला क्षेत्र में जिन लोगों ने अवैध निर्माण उन्हें चिह्नित कर बुलडोजर भी चलाया जाएगा।

वहीं जावेद मोहम्मद की बेटी आफ़रीन फ़ातिमा ने पुलिस पर आरोप लगाए हैं कि पुलिस उनके पिता, उनकी माँ और छोटी बहन को ज़बरदस्ती हिरासत में ले गई थी। आफ़रीन ने राष्ट्रीय महिला आयोग को एक ख़त लिखते हुए कहा कि वह अपने परिवार और अपने घर की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं।

पत्र में उन्होंने बताया, "10 जून को 8 बजे पुलिस मेरे पिता को ले गई, उन्हें कहाँ ले जा रहे थे हमें पता नहीं था, उसके बाद रात 12 बजे मेरी डायबिटिक माँ को और छोटी बहन को भी थाने ले गए। देर रात 2 बजे पुलिस फिर से घर आई और हमें भी थाने चलने को कहा जब हमने मना किया तो हमसे घर ख़ाली करके ताला लगा देने को कहा गया।"

आफ़रीन का एक वीडियो संदेश मकतूब मीडिया ने जारी किया जिसमें उन्होंने पूरी बात बताई।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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न्यूज़क्लिक ने जब करेली थाने में आफ़रीन की माँ और छोटी बहन को हिरासत में लिए जाने की बात पूछी तो थाना इंचार्ज ने कहा, "देखिये सिर्फ़ पूछताछ के लिए लाया गया होगा, गिरफ़्तार नहीं किया गया है।"

बता दें कि घटना से दो दिन पहले आफ़रीन के पिता जावेद मोहम्मद पर आईपीसी की धारा 107(अबेटमेंट) लगाई गई थी, जिसका मतलब यह था कि अगर कोई भी घटना होती है तो उसके ज़िम्मेदार वही होंगे।

एसएसपी अजय कुमार ने मीडिया से बात करते हुए जेएनयू का भी नाम उछाल दिया और कहा, "जावेद की एक बेटी जेएनयू में पढ़ती है वह भी इसी तरह के खुराफ़ाती मामलों में लिप्त रहती है।"

बाक़ी आरोपितों की बात करें तो उमर ख़ालिद ने ट्वीट कर कहा है कि वह घटना के दिन प्रयागराज से 200 किलोमीटर दूर आज़मगढ़ में थे।

रांची की ही तरह उत्तर प्रदेश में भी पुलिस की तरफ़ से प्रदर्शनकारियों पर सख्ती हुई मगर गोली चलने की कोई ख़बर नहीं आई है। इस बीच देवरिया विधायक शलब मनी त्रिपाठी ने ट्विटर पर पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए नौजवानों पर लाठीचार्ज करती पुलिस का एक
वीडियो शेयर किया और इसे 'रिटर्न गिफ़्ट' बताया। हालांकि कुछ देर बाद विधायक ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया था।

प्रयागराज के अलावा पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो यूपी पुलिस ने अब तक कुल 237 लोगों को गिरफ़्तार किया है जिन पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं सहारनपुर में शनिवार शाम पुलिस ने 'बुलडोज़र' से घर भी तोड़े हैं।

अपर पुलिस महानिदेशक (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने बयान जारी कर बताया, "इस संबंध में राज्य में 237 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें प्रयागराज में 68, हाथरस में 50, सहारनपुर में 55, अंबेडकरनगर में 28, मुरादाबाद में 25, अलीगढ़ में 3 और फिरोजाबाद  में 8 लोग शामिल हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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