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गुजरात शैली में कोविड-19 के दौरान जन सुनवाई

गुजरात में तेल रिफ़ाइनरी के लिए किसी पर्यावरणीय मंज़ूरी के सिलसिले में चौथी सुनवाई अब से एक महीने के लिए निर्धारित की गयी है। कोविड-19 मामलों में राज्य पहले ही 50,000 का आंकड़ा पार कर चुका है।
GUJRAT
फ़ोटो साभार: पीटीआई

25 जुलाई, 2020 को 50,072 मामलों के अबतक की सबसे बड़ी दर्ज की गयी दैनिक छलांग के साथ हमारे देश में कोविड-19 के मामलों की संख्या इस सप्ताह 13 लाख को पार कर गयी है (अब 15 लाख)। देश भर में राज्य सरकारें, ज़िला प्रशासन और नगरपालिकायें उन ख़ास जगहों पर कर्फ़्यू और श्रेणीबद्ध लॉकडाउन जैसे उपायों का सहारा ले रही हैं, जहां-जहां मामलों की भरमार होती है।

गुजरात राज्य में भी स्थिति अलग नहीं है, जहां 26 जुलाई, 2020 को कुल 55,822 कोविड-19 के मामलों की पुष्टि की गयी, उसी दिन राज्य में एक दिन में अबतक की होने वाली सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी थी। राज्य प्रशासन ने अब अपनी कोविड-19 प्रबंधन योजना में बदलाव का ऐलान कर दिया है, क्योंकि राज्य वायरस की लहर को रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है। हालांकि राज्य में इस स्थिति के बीच ही गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB) पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना, 2006 के तहत विभिन्न परियोजनाओं को लेकर पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए ज़रूरी कई सार्वजनिक सुनवाई का समय निर्धारित कर रहा है।

26 जून, 2020 को, गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB) ने इस साल 28 और 29 जुलाई को देश में दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफ़ाइनरी, नायरा एनर्जी लिमिटेड (परियोजना) के विस्तार प्रस्ताव के लिए एक सार्वजनिक सुनवाई का ऐलान करते हुए एक सार्वजनिक सूचना प्रकाशित की थी। इस परियोजना के आसपास के क्षेत्र स्थित नाना मंडा, खम्बलिया के रहने वाले गफ़रभाई हाजीभाई सांधी उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने तीसरी बार निर्धारित किये गये इस सार्वजनिक सुनवाई को रद्द करने के लिए अपना लिखित अनुरोध जीसीबी को भेजा था। पिछले दिनों सांधी की तरफ़ से उठाये गये सवालों के जवाब पर गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB) ने यह संकेत दिया था कि सुनवाई की तारीख़ को रद्द करने का आदेश अपनी प्रक्रिया में है। हालांकि, राज्य में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बावजूद, गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB) ने जनसुनवाई को रद्द करने के बजाय अब इसे 28 और 29 अगस्त, 2020 को चौथी बार फिर से तय कर दिया है।

भाग-1: जनसुनवाई प्रक्रिया को दरकिनार करना

गुजरात की क़र्ज़ में डूबे एस्सार ऑयल लिमिटेड (EOL) नामक कंपनी के फिर से नये ब्रांड में बदल दिये जाने और अगस्त 2017 में इसकी होल्डिंग में भारी बदलाव किये जाने के बाद नायरा एनर्जी लिमिटेड अपने वजूद में आयी थी। रूसी ऑयल की प्रमुख कंपनी,रोसनेफ़्ट ने अपनी सहायक कंपनी,पेट्रोल कॉम्प्लेक्स पीटीई लिमिटेड के ज़रिये ईओएल के 49.13% का अधिग्रहण कर लिया, और वस्तु व्यापार कंपनी,ट्रैफ़िगुरा और यूसीपी इन्वेस्टमेंट ग्रुप के बीच एक विशेष उद्देश्य संयुक्त उद्यम, जिसे केसनी एंटरप्राइजेज कंपनी लिमिटेड कहा जाता है, इसने एस्सार ऑयल लिमिटेड (EOL) का एक और 49.13% अंश का अधिग्रहण कर लिया। ईओएल की बिक्री ने अपने नये मालिकों को 20 एमएमटीपीए क्षमता की एक तेल रिफ़ाइनरी, एक बिजली संयंत्र और गुजरात के वाडिनार में बंदरगाह और तेल टर्मिनल दे दिया, और इन नये मालिकों ने इस रिफ़ाइनरी को एक वैश्विक स्तर की रिफ़ाइनरी के तौर पर विकसित करने का इरादा जता दिया।

अपनी मंशा के अनुरूप ही नायरा एनर्जी लिमिटेड ने अपनी तेल रिफ़ाइनरी की क्षमता 20 एमएमटीपीए से बढ़ाकर 46 एमएमटीपीए और 2018 में 10.75 एमएमटीपीए पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स के विस्तार का प्रस्ताव रखा। जून 2018 में इस परियोजना की पर्यावरण मंज़ूरी (EC) के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) से संपर्क किया गया। ईसी को हासिल करने के लिए प्रक्रिया को पूरा करने वाली 2006 के ईआईए अधिसूचना के मुताबिक़ इस परियोजना को अगस्त 2018 में विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) द्वारा संदर्भ की शर्तें (Terms of Reference-ToR) जारी की गयी थी, जिसके लिए इस परियोजना को ईआईए रिपोर्ट मसौदा तैयार करने की ज़रूरत थी। 

इस ईआईए मसौदा रिपोर्ट का इस्तेमाल उन समुदायों के साथ सार्वजनिक परामर्श करने के लिए किया जाता है, जो परियोजना से प्रभावित होंगे। इस रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले परामर्श के दौरान लोगों द्वारा उठायी गयी चिंताओं और उन चिंताओं के लिए शमन उपायों के साथ ईआईए रिपोर्ट के मसौदे में शामिल किया जाता है। संदर्भ की शर्तों (Terms of Reference-ToR) को लेकर अपने इस आवेदन में परियोजना ने सार्वजनिक सुनवाई प्रक्रिया से छूट मांगी थी। हालांकि, ईएसी ने संदर्भ की शर्तों (Terms of Reference-ToR) की सिफ़ारिश करते हुए खंड 6 (i) में साफ़ तौर पर इस बात का ज़िक़्र किया है कि इस परियोजना को ईआईए अधिसूचना के मुताबिक़ सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया को पूरा करने की ज़रूरत है, जिसमें दो तत्व शामिल हों- साइट पर ही सार्वजनिक सुनवाई का संचालन, और अन्य हितधारकों से लिखित प्रतिक्रियाओं को आमंत्रण।

2 जून, 2019 को गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB) ने स्थानीय समाचार पत्र,गुजरात समचार में एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित किया, जिसमें परियोजना के विस्तार प्रस्ताव के सार्वजनिक परामर्श के लिए 5 अगस्त, 2019 तक गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB)  को भेजे जाने के लिखित परामर्श को आमंत्रित किया गया था। हालांकि इस नोटिस में सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, अर्थात् साइट पर ही सार्वजनिक सुनवाई का कोई उल्लेख नहीं किया गया था। इस परियोजना के आसपास के प्रभावित होने वाले समुदायों ने 23 जून, 2019 को इस सार्वजनिक नोटिस पर अपनी आपत्तियां जताते हुए गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB) को एक लिखित आवेदन भेजा था।

उन्होंने अपने आवेदन में बताया था कि ईआईए अधिसूचना में निर्धारित परियोजना और सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया के लिए जारी किये गये टीओआर का उल्लंघन करने वाले नोटिस देने के अलावे इसने उन्हें एक प्रभावित पक्ष के रूप में सुने जाने के उनके अधिकार से भी इनकार कर दिया है। इस तरह के किसी नोटिस में उन लोगों को शामिल नहीं किया गया है, जो परियोजना के बारे में अपनी चिंताओं को व्यक्त करने करने के लिए लिखित आवेदन नहीं भेज सकते हैं और सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया को व्यर्थ बना देते हैं।

हालांकि यह आवेदन गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB)  को संबोधित किया गया था, लेकिन हैरत इस बात की है प्रभावित समुदायों को अपने पत्र का जो जवाब मिला, वह जीपीसीबी के बजाय नायरा एनर्जी लिमिटेड की तरफ़ से दिया गया था। प्रभावित होने वाले  समुदायों ने जीपीसीबी को इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए लिखा और जन सुनवाई नोटिस के ख़िलाफ़ अपनी आपत्तियों और मांगों को फिर से दोहराया। उन्हें जीपीसीबी की तरफ़ से कोई जवाब नहीं मिला और से उस नोटिस की स्थिति के बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिली।

सार्वजनिक सुनवाई के उस नोटिस के ख़िलाफ़ सितंबर 2019 में गुजरात उच्च न्यायालय में 2019 के विशेष नागरिक आवेदन संख्या 15322 दिलीपसिंह भीकाभाई जडेजा बनाम गुजरात राज्य भी दायर किया गया था। इस याचिका में कहा गया कि यह नोटिस 2006 के ईआईए अधिसूचना और भारत के संविधान के तहत हासिल मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इस बीच पता चला कि 26 फ़रवरी, 2020 को उद्योग-2 ईएसी के लिए 17वीं बैठक के लिए विस्तार प्रस्ताव को एजेंडा में शामिल किया जाना था। मूल्यांकन के लिए परियोजना द्वारा प्रस्तुत ईआईए रिपोर्ट के अंतिम संस्करण में केवल 5 अगस्त 2019 तक प्राप्त लिखित प्रतिक्रियायें ही शामिल थीं। यह परियोजना एक पूरी तरह सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया के बिना ही ईसी को लेकर आवेदन करने के लिए आगे बढ़ गयी थी, जबकि उनके संदर्भ की शर्तों (Terms of Reference-ToR) में परामर्श प्रक्रिया का उल्लेख किया गया था।

इस मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए 2019 के एससीए संख्या 15322 के याचिकाकर्ताओं ने गुजरात उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर किया था, जिसकी सुनवाई की तारीख़ 26 फ़रवरी, 2020 को निर्धारित की गयी थी। काठी देवड़िया, सोढा तारागढ़ी, टिम्बाड़ी, भराना, झंकार, मोटा मंडा और नाना मंडा से सम्बन्धित स्थानीय समुदाय, जो परियोजना के आसपास के क्षेत्र में रहते हैं, उन्होंने भी ईएसी को जन सुनवाई प्रक्रिया को दरकिनार करने के साथ-साथ परियोजना के साथ जुड़ी पर्यावरण की अपनी चिंताओं के बारे में भी लिखा। ईसी पर अनुदान के विस्तार प्रस्ताव पर सुनवाई करते हुए ईएसी ने गुजरात उच्च न्यायालय में चल रहे मामले को स्वीकार किया है। उन्होंने यह भी माना है कि "परियोजना के प्रस्तावक ने ईआईए अधिसूचना, 2006 में निहित प्रावधानों के मुताबिक़ सार्वजनिक परामर्श नहीं किया है।" उन्होंने इस परियोजना को अधिसूचना के अनुसार ही सार्वजनिक परामर्श करने के लिए कहा और उसी के मुताबिक़ ईआईए और ईएमपी रिपोर्ट को संशोधित किया। ईएसी ने परियोजना द्वारा प्रस्तुत उस विस्तार प्रस्ताव को लौटा दिया।

भाग 2: महामारी के दौरान एक सार्वजनिक सुनवाई पर ज़ोर

ईएसी की तरफ़ से की गयी सिफ़ारिश उन समुदायों के लिए राहत के रूप में सामने आयी थी, जिन्हें अब एक जन सुनवाई में परियोजना के बारे में अपनी चिंताओं को उठाने का मौक़ा मिल गया था। हालांकि, इस राहत को एक बड़े झटके का सामना करना पड़ा, क्योंकि 24 मार्च, 2020 को कोविड-19 महामारी के कारण राष्ट्रीय लॉकडाउन के ठीक दो दिन बाद जीपीसीबी ने सार्वजनिक परामर्श के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी किया था। स्थानीय समाचार पत्र, गुजरात समचार और द टाइम्स ऑफ़ इंडिया में 26 मार्च, 2020 को प्रकाशित नोटिस के तहत साइट पर ही की जाने वाली जनसुनवाई की तारीख़ 1 मई, 2020 को तय की गयी, लेकिन इस दरम्यान देश बढ़ते महामारी के भय से जूझ रहा था, सभी तरह की आर्थिक और सामाजिक गतिविधियां अनिश्चित समय के लिए अचानक बंद कर दी गयी थीं। इस स्थिति के बीच इन समुदायों ने सार्वजनिक सुनवाई के लिए इस नोटिस को तबतक के लिए स्थगति करने के अनुसरोध के साथ फिर से जीपीसीबी को लिखा,जबतक कि सुरक्षा के लिहाज से जन स्वास्थ्य और कल्याण फिर से बहाल नहीं हो जाता। इस पत्र के बाद,जीपीसीबी ने 18 अप्रैल, 2020 को एक आदेश जारी कर सुनवाई को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया।

लेकिन, ‘अगली सूचना तक’ का विचार बहुत लंबे समय तक नहीं चल पाया, क्योंकि जीपीसीबी ने 26 जून, 2020 को तीसरी बार सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिया और नायरा एनर्जी लिमिटेड के लिए स्थगित जनसुनवाई की तारीख़ फिर से 28 और 29 जून, 2020 को तय कर दी गयी। यह नोटिस तब जारी किया गया,जब राज्य में कोविड -19 मामलों की संख्या 35,000 के क़रीब थी। इस नोटिस में इस बात का उल्लेख था कि इस महामारी के लिए सरकार द्वारा जारी किये गये सभी दिशानिर्देशों के मुताबिक़ सुनवाई की जायेगी।

हालांकि, यह नोटिस गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किये गये अनलॉक-2 के दिशानिर्देश का स्पष्ट उल्लंघन है, जो 31 जुलाई, 2020 तक लागू है। ये दिशानिर्देश विवाह या दाह संस्कार में सीमित लोगों की संख्या के शामिल होने को छोड़कर किसी भी प्रकार की सार्वजनिक सभा पर रोक लगाते हैं। इन दिशानिर्देशों में इस बात का भी साफ़ तौर पर उल्लेख किया गया है कि हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करेगा और किसी भी तरीक़े से नियमों में ढिलाई या नरमी नहीं बरतेगा।

यह नोटिस ईआईए अधिसूचना, 2006 का भी उल्लंघन था, क्योंकि इसमें सार्वजनिक सुनवाई को लेकर 'व्यापक संभव सार्वजनिक भागीदारी' को प्रतिबंधित किया गया था। इन्हीं बिंदुओं और आपत्तियों को स्थानीय समुदायों ने अपने पत्र में जीपीसीबी के सामने उठाया था। चूंकि राज्य में कोविड-19 के मामले 50,000 के आंकड़ा को पार कर लिए हैं और लोगों को पहले से कहीं ज़्यादा वायरस के संक्रमण का ख़तरा है, इसलिए जामनगर और देवभूमि द्वारका के समुदाय जीपीसीबी की तरफ़ से मौजूदा हालात को समझने और सुनवाई को बार-बार स्थगित करने के बजाय इसे रद्द करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

लेखक द सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रिसर्च से जुड़े हैं। इनके विचार व्यक्तिगत हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Public Hearings During COVID-19, the Gujarat Way 

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