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कैप्टन की नाराज़गी और सिद्धू का इस्तीफ़ा : कांग्रेस का फ़ायदा या नुक़सान!

विश्लेषकों का मानना है कि पंजाब कांग्रेस की आंतरिक कलह के कारण कांग्रेस के लिए प्रदेश में भले ही तात्कालिक नुक़सान दिख रहा हो, लेकिन चन्नी के चुनाव और उनके साथ खड़े रहने के चलते कांग्रेस को पंजाब ही नहीं देशभर में फ़ायदा हो सकता है।
Punjab crisis
image credit- Social media

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के 18 सितंबर को इस्तीफ़ा देने के दस दिन बाद अब नवजोत सिंह सिद्धू ने भी पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। सिद्धू ने मंगलवार, 28 सितंबर को ट्विटर पर इस्तीफ़े की घोषणा करके एक बार फिर यह दोहरा दिया कि पंजाब कांग्रेस में अभी भी सब कुछ ठीक नहीं हुआ है।

सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान 23 जुलाई को सौंपी गई थी। जिसके बाद कैप्टेन अमरिंदर सिंह का इस्तीफ़ा सामने आया और फिर 28 सितंबर को नए सीएम चन्नी ने अपने नए मंत्रियों के बीच मंत्रालयों का बंटवारा किया। इसके कुछ ही घंटे बाद सिद्धू का इस्तीफा सामने आ गया। सिद्धू् के इस्तीफ़े के कुछ ही घंटों के भीतर पंजाब कांग्रेस कमेटी के कोषाध्‍यक्ष गुलजार इंदर सिंह चहलपंजाब कांग्रेस के महासचिव जोगिंदर ढींगरा ने भी अपने पद से दिया इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार की महिला मंत्री रज़िया सुल्तान ने इस्तीफ़ा भी सामने आयाउन्होंने कहा कि ये इस्तीफ़ा वो नवजोत सिंह सिद्धू के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए दे रही हैं।

आपको बता दें कांग्रेस नेतृत्व ने नवजोत सिंह सिद्धू का पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफ़ा मंज़ूर नहीं किया है और स्थानीय नेतृत्व से इस मामले को सुलझाने को कहा है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी सिद्धू के इस्तीफ़ा पत्र को एक 'भावुक प्रतिक्रियाबताते हुए कहा है कि सबकुछ ठीक हो जाएगा। खबरों की मानें तो सिद्धू से विवाद को सुलझाने के लिए सीएम चरणजीत चन्नी ने दो सदस्यों की कमेटी भी बना दी है। जिसके बाद एक बार फिर सिद्धू की वापसी के कयास तेज़ हो गए हैं।

क्या है पूरा मामला?

अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू अपने प्रधान सलाहकार मोहम्मद मुस्तफ़ा के साथ बीते दो दिनों से पंजाब में राजनीतिक बदलावों पर चर्चा कर रहे थे। उनके इस्तीफ़े ने सबको चौंका दिया है क्योंकि डीजीपी रैंक के पूर्व अधिकारी मुस्तफ़ा के साथ मैराथन बैठक करने के बाद उन्होंने सोमवार को ही अपना फ़ैसला ले लिया था। हालांकि इसकी जानकारी मंगलवार को सामने आई।

द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को 'सकारात्मक प्रतिक्रियामिल रही थी और वो नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब सरकार का रिमोट कंट्रोल नहीं बनने देना चाहता था। खबर में सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि यही सिद्धू के अचानक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने का कारण है। कहा जा रहा है कि हाईकमान चन्नी के साथ खड़ा था जबकि सिद्धू वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर नियुक्तियांमंत्रियों के चुनाव और उन्हें विभाग ख़ुद बांटना चाहते थे। शीर्ष पदों पर नियुक्ति की उनकी सलाह को नज़रअंदाज़ करने के बाद सिद्धू इससे बेहद 'ख़फ़ा और दुखीथे।

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ये भी लिखा है कि सिद्धू राणा गुरजीत सिंह को नहीं चाहते थे क्योंकि साल 2018 में रेत खनन मामले के आरोपों के बाद गुरजीत को अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देना पड़ा था और अब उनको चन्नी की कैबिनेट में शामिल किया गया था।

इसके अलावा यह भी कहा गया है कि सिद्धू एपीएस देओल को एडवोकेट जनरल नियुक्त करने के ख़िलाफ़ थे और दीपिंदर सिंह पटवालिया को इसकी जगह चाहते थे। दोनों ही मामलों में सिद्धू से अलग रुख़ अपनाया गयाजिसके कारण सिद्धू नाराज़ दिखाई दिए।

अफ़सरों और नेताओं की नियुक्ति पर सवाल

इस्तीफ़े के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने एक वीडियो जारी कर अफ़सरों और नेताओं की नियुक्ति पर सवाल भी उठाए। ये इस्तीफ़े के बाद उनका पहला वीडियो थाजिसे ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है कि ‘हक़-सच की लड़ाई आख़िरी दम तक लड़ता रहूंगा।

वीडियो में सिद्धू कह रहे हैं, “प्यारे पंजाबियों, 17 साल के राजनीतिक सफ़र एक उद्देश्य के साथ तय किया है। पंजाब के लोगों की ज़िंदगियों को बेहतर करना और मुद्दे की राजनीति पर एक स्टैंड लेकर खड़े रहना। यही मेरा धर्म और फ़र्ज़ रहा है और आज तक मेरा किसी से निजी झगड़ा नहीं रहा है।

उन्होंने आगे लिखा, “मेरी लड़ाई मुद्दों की और पंजाब के एजेंडे की है। मैं हमेशा हक़ की लड़ाई लड़ता रहा हूं और इससे कोई समझौता नहीं किया है। मेरे पिता ने यही सिखाया है जब भी कोई द्वंद्व हो तो सच के साथ रहो और नैतिकता रखो। नैतिकता के साथ कोई समझौता नहीं है।

सिद्धू इसके बाद मुद्दों के साथ समझौता की बात लिखते हैं, “मैं देखता हूं कि छह-छह साल पहले जिन्होंने बादलों को क्लीन चिट दे दी उन्हें उत्तरदायित्व दिया गया है। मैं न हाईकमान को गुमराह कर सकता हूं और न ही गुमराह होने दे सकता हूं। गुरु के इंसाफ़ के लिएपंजाब के लोगों की ज़िंदगी बेहतर करने के लिए मैं किसी भी चीज़ की कुर्बानी दूंगा।

नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि 'दाग़ी अफ़सरों और लीडरों का सिस्टम हमने तोड़ दिया था। दोबारा उन्हीं को लाकरवो सिस्टम एक बार फिर खड़ा नहीं किया जा सकतामैं इसका विरोध करता हूं।'

दरअसल सिद्धू एडवोकेट जनरल की नियुक्ति पर भी सवाल उठा रहा थे। सिद्धू ने कहा कि जो ब्लेंकेट बेल दिलवाते रहे वो आज एडवोकेट जनरल बन गए हैं। उनका इशारा अमर प्रीत सिंह देओल की ओर था देओल को चन्नी सरकार ने दो दिन पहले ही पंजाब के एडवोकेट जनरल के पद पर नियुक्त किया है।

नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने वीडियो में आगे कहा, "जिन लोगों ने बड़े अफ़सरों का दायित्व निभाते हुए उन लोगों को प्रोटेक्शन दीजिन्होंने मांओ की कोख सूनी कर दी। उनको पहरेदार नहीं बनाया जा सकता।"

सिद्धू ने कहा, " मैं अड़ूंगा और लड़ूंगासबकुछ लुटता है तो लुट जाए।उन्होंने कहा कि ये उनकी रूह की आवाज़ है और वे पंजाब की प्रगति के लिए कोई समझौता नहीं करेंगे।

मालूम हो कि इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर के बीच काफी तनाव भी रहा था। कैप्टन के इस्तीफा के बाद पंजाब के नए मुख्यमंत्री की घोषणा को लेकर काफी ड्रामा भी हुआ। मीडिया में कभी सुनील जाखड़ का नाम आया तो कभी सुखजिंदर रंधावा का। आख़िरकार चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया गया।

 पक्ष-विपक्ष का क्या कहना है?

अमरिंदर सिंह ने सिद्धू के इस्तीफ़े पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैंने बताया था न....ये व्यक्ति संतुलित नहीं है और पंजाब जैसे बॉर्डर वाले राज्य के लिए ठीक नहीं है।"

इस मामले पर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने मीडिया से कहा, ''हम बैठ कर सिद्धू साहब से बात करेंगे। वे एक अच्छे नेता हैं। मुझे अभी तक नहीं पता कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। मैंने उनसे अभी तक बात नहीं की है। मुझे नवजोत सिंह सिद्धू पर पूरा भरोसा है।"

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दिल्ली आने और अमित शाह से मिलने की अटकलों पर चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा, "अमरिंदर सिंह हमारे मुख्यमंत्री रहे हैंवह पंजाब के अधिकारों के लिए बोलेंगे।"

सिद्धू के इस्तीफ़े के मामले में बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए सिद्धू को दलित विरोधी कहा है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद मनीष तिवारी ने बिना नाम लिए सिद्धू पर निशाना साधा।

मनीष तिवारी ने कहा कि पंजाब उनके हाथों में दे दिया गयाजिन्हें वहां की समझ ही नहीं है। पंजाब पाकिस्तान का सीमा से लगा राज्य है। इसे सही तरीके से हैंडल नहीं किया गया। तिवारी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। सिद्धू का नाम लिए बिना तिवारी ने कहा कि पंजाब के हालात देख इस वक्त अगर कोई सबसे ज्यादा खुश होगा तो वह पाकिस्तान है। उन्होंने कहा कि पंजाब में इस वक्त राजनीतिक स्थिरता की जरूरत है।

बीजेपी के महासचिव तरुण चुग ने कहा, “सिद्धू को एक दलित मुख्यमंत्री बर्दाश्त नहीं हो रहा है वो अपने आपको सुपर सीएम मानते थे। वो अपने लोगों को बड़े-बड़े पदों पर लाना चाहते थे और जब उनकी सिफारिशों को नहीं माना गया तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया।"

उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि सिद्धू एक स्थिर सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं। पंजाब एक बॉर्डर स्टेट है और वहां कांग्रेस ने मजाक बना रखा है।

कांग्रेसियों को सिर्फ़ अपनी कुर्सी की चिंता"

इस पूरे प्रकरण पर आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "ना पंजाब की चिंता, ना किसान की चिंता, ना मजदूर की जिंता, ना व्यापारी की चिंता, कांग्रेसियों को सिर्फ़ अपनी कुर्सी की चिंता।"

आप नेता राघव चड्ढा ने ट्वीट किया, “कांग्रेस में पूरी तरह से अराजकता की स्थिति है। पंजाब के लोग इन स्वार्थी नेताओं से एक स्थिरप्रगतिशील और समावेशी प्रशासन देने की उम्मीद कैसे कर सकते हैंजिस राज्य की सीमा पाकिस्तान से 550 किलोमीटर हैउस पर इन लोगों पर कैसे भरोसा किया जा सकता है?”

जालंधर से शिरोमणि अकाली दल के विधायक पवन कुमार टीनू ने कहा कि सिद्धू कांग्रेस का कबाड़ा करने आए थे और वह अपना काम करके दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिद्धू का कोई भी स्टैंड नहीं है और 14 साल बीजेपी में रहकर उन्होंने बीजेपी के लिए कुछ नहीं किया तो कांग्रेस के लिए वह क्या करेंगे।

बहुजन समाज पार्टी के पंजाब चीफ जसवीर सिंह गढ़ी ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू दीवाली का गट्ठा पटाखा है जो अपने घर में ही फट गया और कांग्रेस पार्टी को ले डूबेगा। उन्होंने कहा कि इसके बारे में वे पहले से ही बोल चुके थे कि सिद्धू कांग्रेस पार्टी के लिए घातक साबित होंगे और वही हुआ है। उन्होंने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू गाइडेड मिसाइल है। उन्होंने पहले बीजेपी का नुकसान किया और अब कांग्रेस पार्टी का नुकसान कर रहे हैं।

2022 विधानसभा चुनावों पर असर

गौरतलब है कि पंजाब कांग्रेस फिलहाल कई खेमों में बंटकर अपना ही नकुसान करती नज़र आ रही है। इस उठापटक के चलते पार्टी ने अपना काफ़ी कीमती वक़्त खोया है। इससे साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत की संभावनाओं पर भी असर पड़ेगा।

हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि पंजाब कांग्रेस की आंतरिक कलह के कारण कांग्रेस के लिए प्रदेश में भले ही तात्कालिक नुक़सान दिख रहा हो, लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर दलित सिख चरणजीत सिंह चन्नी के चुनाव और उनके साथ खड़े रहने के चलते कांग्रेस को पंजाब ही नहीं देशभर में फ़ायदा भी हो सकता है।

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