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राजस्थान : जन आंदोलनों के साथ उभरता वामपंथी विकल्प

राजस्थान के सीकर, हनुमानगढ़ और चूरू ज़िले में पिछले साल नवंबर से किसानों की कर्ज़ माफ़ी की माँग को लेकर आंदोलन चल रहा है। जिसका नेतृत्व सीपीएम से जुड़ी अखिल भारतीय किसान सभा कर रही है।
AIKS

राजस्थान में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं और शासक वर्ग की दोनों पार्टियाँ कांग्रेस और बीजेपी चुनाव प्रचार में लगी हुई हैं। लेकिन इनके बरक्स किसान आंदोलनों की लहर पर सवार सीपीएम भी इन चुनावों में अपनी अलग जगह बनाने की तलाश में है। राजस्थान के सीकर, हनुमानगढ़ और चूरू ज़िले में पिछले साल नवंबर से किसानों की कर्ज़ माफ़ी की माँग को लेकर आंदोलन चल रहा है। जिसका नेतृत्व सीपीएम से जुडी अखिल भारतीय किसान सभा कर रही है। लेकिन इस प्रख्यात आंदोलन के अलावा किसान सभा और सीपीएम से जुड़े लोग एक और किसानों से जुड़े मुद्दे पर आंदोलन कर रहे हैं। 

चूरू ज़िले के सूत्र बताते हैं कि सरकारी बैंक एसबीआई नियमों को ताक पर रखते हुए किसानों से दुगना ब्याज़ वसूल रहे हैं। बताया जा रहा है कि जहाँ आरबीआई के नियमों के मुताबिक जहाँ एक साल के लिए 3,00,000 रुपये के क़र्ज़ पर 7% ब्याज़ लिया जाना चाहिए। वहीं एसबीआई जो सबसे बड़े सरकारी बैंकों में से एक है 14% ब्याज वसूल कर रहा है। 

चूरू ज़िले के किसान सभा के नेता उमराव ने बताया कि "एसबीआई के ज़रिये किसान क्रेडिट कार्ड मिलता है। इसका विचार यह था कि किसानों को आसानी से कम ब्याज पर कर्ज़ मिल जाए। इसमें किसान हर साल अगर 3,00,000 का कर्ज़ लेता है तो उसे 7% ब्याज देना पड़ेगा। इसके साथ ही साल में एक बार किसानों को पैसा भरना पड़ेगा। अगर वह ऐसा करते हैं तो उन्हें ब्याज में छूट मिलेगी और उन्हें फिर सिर्फ 4% ब्याज देना होगा। लेकिन इसके विपरीत एसबीआई बैंक पिछले कई सालों से 7% या 4% के बजाये 13 से 14% ब्याज वसूल कर रहा है। 

जब इस बात पर से पर्दा उठा तो किसान सभा ने चूरू, सीकर, हनुमानगढ़ और जयपुर ज़िलों में बैंकों के आगे धरने देने शुरू किये। जहाँ धरने दिए गए वहाँ वहाँ बैंक ने लोगों के पैसे वापस किये। 
द वायर की 31 मई रिपोर्ट के हिसाब से हनुमानगढ़ के चन्नी बरी गाँव में फरवरी से मई तक इसी ज़्यादती के खिलाफ धरना किया गया। जिसके बाद बैंक ने 350 किसान क्रेडिट कार्ड एकाउंट्स में 16,52,000 रुपये वापस डाल दिए गए। लेकिन फिर भी हज़ारों किसानों के पैसे वापस नहीं आये थे। इस मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए सीपीएम नेता बलवान पुनिया ने कहा था कि हनुमानगढ़ के इस गाँव से ही 3,800 किसान क्रेडिट कार्ड अकाउंट हैं। उनका कहना था कि हर अकाउंट से इस तरह ज़्यादा ब्याज वसूला जा रहा था, बैंक वाले किसानों को अनपढ़ समझकर इन्हें धोखा दे रहे थे। जब किसान सभा ने यह मुद्दा उठाया तो जगह-जगह पैसे वापस अकाउंट में डाले जाने लगे। बता दें कि इस बार विधानसभा चुनावों में बलवान पुनिया सीपीएम से विधायक  के टिकट पर लड़ रहे हैं और इस बात से आम लोगों काफी उत्साह है। 

एसबीआई बैंक के अधिकारियों ने माना है कि उनसे गलती हुई है। लेकिन किसी भी प्रकार के घपले ने उन्होंने इंकार कर दिया है। लेकिन सवाल यह है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि प्रदेश भर में किसानों के क्रेडिट कार्ड अकाउंटस में ज़्यादातर में ऐसा हो रहा है? दूसरी बात यह है कि ऐसा क्यों है कि जहाँ जहाँ आंदोलन किया गया वहीं पर एसबीआई ने ब्याज का पैसा वापस किया। बाकी जगहों पर ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा। 

हनुमानगढ़ के किसान नेता उमराव का कहना है कि यह बहुत बड़े स्तर का घपला है। उन्होंने बताया कि तारानगर तहसील में करीब 25000 किसानों में से 6000 लोगों के अकाउंट एसबीआई बैंक में है। इन सभी में ज़्यादातर में ज़्यादा ब्याज किया जा रहा था। आंदोलन करने के बाद बैंक ने किसानों के 10 करोड़ रुपये वापस देने की बात की है। उमराव का कहना है कि यह देश व्यापी घोटाला है क्योंकि उन्होंने देश के दूसरे क्षेत्र के किसानों से भी बात की है। उन्होंने कहा कि अभी तक बहुत ही काम लोगों का ब्याज वापस हुआ है , चुनावों के बाद इस मुद्दे पर लड़ाई आगे ले जाई जाएगी। 

किसानों से जुड़े इस आंदोलन की वजह से सीपीएम इलाके में के ताक़तवर पार्टी उभरकर आयी है। बता दें कि 2008 के विधान सभा चुनाव में इस इलाके में सीपीएम 3 सीटों पर विजय रही थी। चूरू, सीकर, हनुमानगढ़ और गंगानगर ज़िले में करीब 60 सीटें हैं जिसमें सीपीएम 10 से 15 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। सूत्र बताते हैं कि इसमें से 5 से 6 सीटों पर पार्टी की स्थिति काफीअच्छी हैI 

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