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राजस्थान: रोडवेज़ कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

लिखित समझौते को लागू न करने के विरोध में पिछले 16 दिनों से यह हड़ताल जारी हैI
Rajasthan roadways workers' strike

राजस्थान पथ परिवहन निगम (या रोडवेज़) के कर्मचारी सरकार की परिवहन विरोधी नीतियों के विरोध में अन्श्चितकालीन हड़ताल पर हैंI यह पिछले 16 दिनों से जारी है और इसके खत्म होने के कोई आसार नहीं दिख रहेI क्योंकि इस दौरान सरकार ने कर्मचारियों से बात करने की कोई भी कोशिश नहीं की हैI इस हड़ताल से राज्य के वे लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं जो रोज़ाना परिवहन निगम की बसों में सफर करते हैंI साथ ही सरकार को भी करोड़ों का नुकसान हो रहा हैI

रविवार को हड़ताल के 14वें दिन हड़ताली कर्मचारियों ने कटोरा लेकर भीख मांगी और इससे जमा रकम वे सरकार को भेज रहे हैंI कर्मचारियों का कहना है कि सरकार के मुताबिक उसके पास पैसे नहीं है, इसलिए कर्मचारी भीख मांगकर सरकार को पैसे दे रहे हैं जिससे वो परिवहन कर्मचारियों को उनके हक़ का पैसा देI

कर्मचारी हड़ताल पर क्यों

सभी बुनियादी सवालों को लेकर राजस्थान परिवाहन निगम के कर्मचारियों ने पहले भी विरोध प्रदर्श व हड़ताल की थीI इसके बाद सरकार व कर्मचरियों के बीच एक लिखित समझौता हुआ था और सरकार ने कर्मचरियों की सभी मांगो को मानते हुए, इसे समयबद्ध तरीके से लागू करने की बात कही थीI परन्तु समयसीमा बीत जाने के बाद भी जब सरकार ने इनकी मांगो की ओर ध्यान नहीं दिया, तब कर्मचरियों ने आर–पार की लड़ाई लड़ने की ठानी और हड़ताल पर गयेI

राजस्थान रोडवेज़ वर्कर्स यूनियन, सीटू के प्रदेश महासचिव किशन जी ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि “राजस्थान सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी हुई हैI हम तो केवल सरकार से उनके साथ किया गये 27 जुलाई 2018 के लिखित समझौते को लागू करने की मांग कर रहे हैंI परन्तु राजे सरकार उसे लागू नहीं कर रहीI इसी कारण मजबूरन रोडवेज़ कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं।” 

आन्दोलन कर रहे कर्मचारियों की मुख्य माँगे इस प्रकार है:-

  • सभी खली पड़े पदों को जल्द से जल्द भरा जाए
  • सभी को 7वें वेतन आयोग के अनुसार समान वेतन और भत्ता मिले 
  • नई 1,000 रोडवेज़ बसें खरीदी जाएं
  • अनुबंधित बसों की संख्या कम की जाए और गैरकानूनी रूप से चल रही बसों पर प्रतिबन्ध लगाया जाए
  • 522 चालक जिन्होंने अपना परिक्षण पूरा कर लिया है उन्हें जल्द नियुक्त किया जाए
  • सेवानिवृत्त कर्मचरियों के भत्ते का भुगतान जल्द किया जाए

सरकार को रोड़वेज से तकरीबन प्रतिदिन 5.5 करोड़ की कमाई होती हैI 16 दिनों की हड़ताल से सरकार इस भारी नुकसान हुआ हैI अजीब बात यह है कि कर्मचारी जिस 7वें वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने की मांग कर रहे हैं, उसमें सरकार को सिर्फ 22 करोड़ की लागत आएगीI फिर भी सरकार इसे लागू नहीं कर रहीI इस पर एक कर्मचारी ने कहा कि “महारानी (मुख्यमंत्री वसुंधराराजे) के पास हमारे लिए 22 करोड़ नहीं है, परन्तु वो अपने झूठे प्रचार में कई सौ करोड़ रूपये खर्च कर रही हैंI”

राजस्थान परिवहन निगम का निजीकरण करने की कोशिश

सार्वजनिक परिवहन का यह हाल सिर्फ राजस्थान में ही नहीं बल्कि लगभग पूरे देश में है और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सार्वजनिक उद्यमों और निगमों को निजी हाथों में बेच देने की साज़िश हैI कई राज्य पथ परिवहन निगम अनुबंधित बसों (ठेके पर चलने वाली बसों) की आड़ में तेज़ी से निजीकरण की और बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। ये सरकारों की रणनीति का हिस्सा है कि परिवहन निगमों को ठेकेदारी के माध्यम से निजी हाथों में सौंप दिया जायेI पहले की सरकारें भी ऐसा करती आई हैं लेकिन भाजपा की सरकारें, केंद्र और राज्य दोनों, निजीकरण की प्रक्रिया को बहुत तेज़ी से आगे बढ़ा रही हैंI सभी भाजपा शासित राज्यों - राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ आदि- में पथ परिवहन निगमों की बसों के सरकारी बेड़ों में लगातार कमी आ रही है और निगम में तेज़ी से निजी बसों को ठेकों पर रखा जा रहा हैI

रोडवेज़ संगठनों का कहना है कि वर्तमान सरकार सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को अपने कुछ पूंजीपति मित्रों के हाथों बेचना चाहती है जो देश की जनता के हित में नहींI खासतौर पर मज़दूर और श्रमिकों के जीवनयापन पर इससे बहुत बुरा असर पड़ेगाI इसलिए इन नीतियों का प्रतिरोध करना आवश्यक हैI

किशन जी कहते हैं कि “हम कर्मचारियों ने भी ठानी है कि हम सरकार को निगम बेचने नहीं देंगेI जब तक समझौता लागू नहीं कर दिया जाता, तब तक रोडवेज़ कर्मचारियों का आंदोलन जारी रहेगा।”

अंत में कर्मचारियों ने कहा राजस्थान की वसुंधरा राजे खुद को जनप्रतिनिधि  नहीं बल्कि महारानी समझ बैठी हैं और लगातार जनविरोधी काम कर रही हैंI उन्हें इसका जबाब जनता आने वाले चुनावों में देगीI उन्होंने यह भी कहा कि ये आन्दोलन अभी और तेज़ होगा उन्हें अखिल भारतीय किसान सभा जैसे किसान संगठनों के साथ-साथ राजनीतिक दलों - सीपीआई(एम), सीपीआई- का भी साथ प्राप्त हैI और अब कांग्रेस भी इनके समर्थन में आई हैI

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