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RTI खुलासा: देश की कुल 496 यूनिवर्सिटी में मात्र 48 वीसी ही एससी, एसटी या ओबीसी

आरक्षण होने के बाद भी दलित पिछड़ों की हालत कितना बदली है उसकी जानकारी पाकर आप चौंक जाएंगे.
University

नई दिल्ली. देश को आजाद हुए 70 साल हो गए. आए दिन लोग आरक्षण को लेकर भ्रामक प्रचार करते रहते हैं. लेकिन आरक्षण होने के बाद भी दलित पिछड़ों की हालत कितना बदली है उसकी जानकारी पाकर चौंक जाएंगे. सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) से मिली एक जानकारी से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. आरटीआई में खुलासा हुआ है कि देश की तमाम यूनिवर्सिटी में 496 वीसी हैं जिनमें मात्र 48 वीसी ही एससी, एसटी या ओबीसी हैं.

ट्विटर पर यह जानकारी साझा करते हुए स्वराज इंडिया के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव लिखते हैं, ‘एससी+एसटी+ओबीसी की जनसंख्या 70 प्रतिशत है लेकिन इसके 10 प्रतिशत से भी कम वाइस चांसलर हैं, इनकी संख्या 496 में सिर्फ 48 है. क्या यही सामाजिक न्याय है?’ योगेंद्र यादव ने इस जानकारी को आधिकारिक बताते हुए शेयर किया है.

आरटीआई में जो आंकड़े बताए गए हैं उनके अनुसार साल 2015-16 में यूनिवर्सिटीज में कुल 496 वाइस चांसलर हैं. इनमें 6 एससी, 6 एसटी और 36 ओबीसी हैं. यह जानकारी 5 जनवरी 2018 को भेजी गई है. जिसपर 4 जनवरी को सीनियर स्टेटिकल ऑफिसर एल एन नायक के सिग्नेचर हैं. आरटीआई में जवाब मांगा गया था कि देश में कुल वाइस चांसलर में से कितने एससी एसटी और ओबीसी हैं. इसी सवाल के जवाब में यह जानकारी मिली है.
 

So, it’s official: SC+ST+OBC= 70% in population, but less than 10% among Vice Chancellors (48 out of 496). Social justice? pic.twitter.com/8BolikQ6FH

— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) January 13, 2018

आरक्षण के बावजूद यूनिवर्सिटीज में वाइस चांसलरों की संख्या काफी चौंकाने वाली है. नब्बे के दशक में मंडल कमीशन लागू होने के बाद भी ओबीसी वीसी की संख्या सिर्फ 36 तक पहुंची है जबकि एससी एसटी को आरक्षण संविधान लागू होने के बाद से ही मिला हुआ है. इस संख्या के बारे में एक फैक्टर योग्यता का भी लिया जा सकता है लेकिन एससी एसटी और ओबीसी के उच्च शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. अकसर सामाजिक न्याय के लिए आंदोलन भी समय समय पर चलते रहे हैं. इसके बावजूद शैक्षणिक संस्थानों में उच्च स्तर तक एससी एसटी ओबीसी की भागीदारी उस अनुपात में नहीं हो पाई जितना जरूरत है.

Courtesy: Sabrang India

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