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सेमेस्टर परीक्षा में फेल करने के खिलाफ डीयू में आंदोलन तेज़

मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर छात्रों ने डीयू के उप-कुलपति के ऑफिस के सामने धरना दिया। इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प भी हुई। इसके अलावा पिछले चार दिनों से गणित विभाग के छात्र रविंद्र अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं।
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दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के गणित और अंग्रेजी विभाग के छात्रों का M.A./MSc के सेमेस्टर परीक्षा में 40 में से 35 छात्रों को फेल करने के खिलाफ मोर्चा जारी है। छात्र एक महीने से प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आज मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर छात्रों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के उप-कुलपति के ऑफिस के सामने धरना दिया। इस दौरान छात्रों ने जब कुलपति से मिलने के लिए अंदर घुसने की कोश्शि की तो उनकी पुलिस से झड़प हो गई।इस प्रदर्शन को SFI, AISF , KYS , DSU सहित कई अन्य छात्र संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है।

आपको बता दें कि गणित विभाग में हर साल सिर्फ 20-30% छात्र 2 वर्ष की समय अवधि के भीतर पाठ्यक्रम को पूरा करने में सक्षम होते हैं। और छात्रों को सामूहिक स्तर पर फेल करने की यह समस्या सिर्फ गणित विभाग तक सीमित नहीं है, इसी तरह के परिणाम पिछले कुछ वर्षों में भौतिकीरसायन विज्ञानअंग्रेजी और NCWEB में देखे गए हैं। गणित विभाग के छात्र संगठित हुए और पिछले चार दिनों से गणित विभाग के छात्र रविंद्र अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चले गए। उनका कहना है कि जबतक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी वो भूख हड़ताल पर बैठे रहेंगे। छात्र 14 फरवरी से ही लगातर कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं। 

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यह भी शिकायत है कि कुछ छात्रों को परीक्षा के दिन उपस्थित होने के बावजूद अनुपस्थित दिखाया गया। इन सभी गड़बड़ियों की जाँच के लिए छात्रों ने एक स्वतंत्र न्यायाधीश समिति द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इसके अलावाकई महिला छात्रों ने विभाग के शिक्षक पर कक्षा में महिला विरोधी टिप्पणियों करने का आरोप लगायाजिससे परेशान होकर कई छात्रों ने अपनी कक्षाओं में जाना बंद कर दिया, क्योंकि इस तरह की शिकायतों को स्वीकार करने के लिए कोई तंत्र नहीं है। हर संस्थान में यौन उत्पीड़न निवारण तंत्र स्थापित करने के लिए विशाखा दिशानिर्देशों के बावजूदप्रशासन द्वारा इस तरह के मुद्दों को हल करने के लिए एक निर्वाचित बॉडी को बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। इसलिएछात्र उत्पीड़न के मामलों की जांच करने के लिए छात्र  हर विभाग में यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक निर्वाचित लिंग संवेदीकरण समिति (GSCACH) की मांग कर रहे हैं |

विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ बातचीत करने की कोशिशों के बादछात्रों ने इस मुद्दे को गंभीरता से न लेने और मांगों को न मानने को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ पिछले हफ्ते एक मार्च निकाला था। बताया जाता है कि इसके बाद छात्रों को विभाग के अंदर बंद कर दिया गया था और अन्य लोगों को अंदर जाने की अनुमति नहीं थीताकि छात्रों को विरोध करने से रोका जा सके। आरोप है कि बहुत ही शर्मनाक तरीके से अचानकसुरक्षा अधिकारियों ने सुरक्षा गार्ड के साथ विभाग में प्रवेश किया और विभाग में ताला लगा दिया,  जब छात्रों ने  ताला खोलने के लिए कहा तब  और विश्वविद्यालय के सुरक्षा गार्डों ने छात्रों के साथ मारपीट और महिला छात्रों के साथ छेड़छाड़ कीइस दौरान कई छात्र घायल भी हो गए।

गणित विभाग की छात्रा स्वाति जो इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रही हैं, उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया की कैसे इस विभाग में छात्रों को परेशान किया जाता है उन्होंने बताया कि संकाय द्वारा लगातार हतोत्साहित करने के कारण आधे से अधिक छात्र जिन्होंने प्रवेश लिया वह एक वर्ष बाद ही विभाग छोड़कर चले गए है। उन्होंने विभाग के संकाय पर उत्तर पुस्तिकाओं को जाँच किये बिना अंक देने का आरोप लगया क्योंकि संकाय उन्हें उत्तर पुस्तिका नहीं दिखा रहा है।

इसी विभाग के एक अन्य छात्र प्रभात ने न्यूज़क्लिक  से बात करते हुए बताया की वो सभी परीक्षा में गए थे और बाकयदा उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी लेकिन उन्हें सभी परीक्षाओं में अनुपस्थित दिखया गया है ऐसा सिर्फ इन्ही के साथ नहीं हुआ है, उन्होंने कहा तकरीबन 10 % छात्रों के साथ ऐसा ही हुआ है। लेकिन विश्वविद्याल प्रशासन इसका हल करने के बजाय अपनी जायज मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को धमका रहा है |

अंदोलन तोड़ने के लिए प्रशासन कई हथकंडे अपना रहा

छात्र-छात्राओं के मुताबिक 14 फरवरी से धरने पर बैठी छात्राओं को परेशान करने के लिए प्रशासन ने गणित विभाग के महिला शौचालय में ताला लगा दिया है। डिप्टी प्रॉक्टर ने छात्राओं को धमकी देकर कहा है कि, “ये सब नहीं चलेगा।” इसके अलावा छात्राओं को पुलिस बुलाकर धमकाया जाता है। लेकिन इन सबके बावजूद छात्र अब भी डटे हुए हैं।

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SFI केे राज्य उपासेध्यक्ष सुमित ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा की  इस शर्मनाक घटना के बादछात्रों ने फिर से संकाय सदस्यों और प्रशासन के साथ बातचीत करने का प्रयास किया। इस बार भी दोनों के बीच बातचीत असफल रही। उन्होंने कहा वीसी और रजिस्ट्रार ने अब तक छात्रों से मिलने और उनकी चिंता का समाधान करने से इनकार कर दिया है। संघर्ष को तेज करने के लिएछात्रों ने सामूहिक रूप से अपनी मांगों को पूरा करने तक अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। इतना समय बात चुका है और अभी भी विभाग और प्रशासन उनकी मांगों और भविष्य के प्रति उदासीन बना हुआ हैं लेकिन जब तक हमरी मांग पूरी नहीं होती तब तक हमारा यह संघर्ष जारी रहेगा |

धरने पर बैठे छात्र-छात्राओं की मांगें

 •          विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका को बिना शुल्क लिए ही पारदर्शी तरीके से पुनर्मूल्यांकित करने के लिए 15 दिन के अंदर एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन किया जाए।

•          हर विद्यार्थी को उसकी उत्तर पुस्तिका दिखाई जाएचाहे वह इंटरनल परीक्षा होया मुख्य परीक्षा हो या सेमेस्टर परीक्षा हो।

•          जांच समिति में जो भी शिक्षक दोषी पाए जाएंडीयू प्रशासन द्वारा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

•          जिन विद्यार्थियों के बैकलॉग आए हैंउनकी पुनर्परीक्षा हर सेमेस्टर परीक्षा के दो महीने के अंदर संपन्न करवाई जाए।

•          हर महीने विद्यार्थियों को शिक्षकों का फीडबैक फार्म भरने का अवसर दिया जाएताकि शिक्षक और छात्रों के संबंध में पारदर्शिता बनी रहे।

 

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