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शोषण की भयावह कहानी : पढ़ाने और ज़िंदगी बनाने के नाम पर देहव्यापार में धकेला

एक मज़दूर परिवार की 13-14 साल की इस लड़की का पिछले चार साल में इस कदर यौन उत्पीड़न किया जाता है कि सुनकर रूह कांप जाती है। उसके गांव की ही एक प्रभावशाली महिला द्वारा उससे जबरन देह व्यापार कराया जाता है और फिर बेच दिया जाता है।
पीड़िता

देश  में इन दिनों महिलाओं के खिलाफ भयानक अपराध सामने आ रहे हैं और तमाम राज्य सरकारें आलोचना के घेरे में है लेकिन सरकारों के मुखिया चुप हैं। हमने हाल ही में उत्तर प्रदेश के आगरा में देखा किस तरह से एक दलित किशोरी को जिन्दा जला दिया गया, ये मामला अभी थमा भी नहीं था कि इसी प्रकार कि अन्य घटना उत्तराखंड के पौड़ी से वहां भी इसी प्रकार से एक अन्य लड़की को जिन्दा जला दिया गया।

अब हम आपको ऐसी ही एक घटना बताने जा रहे हैं जो आपको अंदर से झकझोर देगी और यह कहीं और की नहीं बल्कि उसी  हरियाणा राज्य की है जहाँ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओअभियान की शुरुआत की थी। लेकिन ये घटना बताती है कि ये नारा ज़मीनी हकीकत  से कितनी दूर है और ये सरकार के साथ ही हमारे समाज पर भी सवाल उठाती है कि हम कहां जा रहे हैं।

मुश्किल से 13-14 वर्ष आयु की एक लड़की का पिछले चार साल में इस कदर यौन उत्पीड़न किया जाता है कि सुनकर रूह कांप जाती है। उसके गांव की ही एक प्रभावशाली महिला द्वारा उससे जबरन देह व्यापार कराया जाता है। रोजाना नए आदमी के साथ उस किशोरी को रखा जाता है। ये दर्द ये बच्ची  चार साल तक झेलती है और किसी तरह कुछ महीने पहले ही इस नरक से बाहर आई है लेकिन आज भी वो और उसका परिवार डरा हुआ है। उन्हें अपना घर बार छोड़कर किसी दूसरी जगह रहना पड़ रहा है। आज के समय में उनके पास दो वक्त कि रोटी का भी गंभीर संकट है। ये पूरी घटना हमारे सरकारों के लिए शर्म कि बात है परन्तु एक मानव समाज होने के नाते हमारे ऊपर भी कई सवालिया निशान लगती है?

क्या है पूरा वाकया ?

बच्ची और उसके परिवार की सुरक्षा की दृष्टि से हम आपको उस बच्ची या उसके परिजनों का नाम या पूरा पता नहीं बताएंगे। ये पूरा वाकया हरियाणा के पानीपत जिले के समालखा इलाके के एक गाँव का है। ये पूरी भयावह घटना एक मुस्लिम परिवार जो कि दिहाड़ी मज़दूर है की बच्ची के साथ घटती है। इस परिवार के पास न तो खेती के लिए जमीन है न ही कोई पशु है। वो रोज़ाना मेहनत मजदूरी कर किसी तरह से अपना गुज़ारा करते हैं। आपको बता दें कि ये पूरा इलाका गुर्जर बहुल इलाका है।

आरोप है कि इस गाँव के एक प्रभावशाली गुर्जर परिवार की महिला कुसुम 2014 में इस दिहाड़ी मजदूर परिवार के पास आती है और कहती है कि वो उनकी एक लड़की को अपने साथ ले जाना चाहती है जिससे वो उसके घर के कामों में उसका हाथ बंटा देगी और वो उसे अपनी बेटी की तरह रखेगी। उसे पढ़ाने के साथ ही उसकी शादी भी कराएगी। शुरू में तो इस गरीब परिवार ने मना किया लेकिन बाद में कुसुम द्वारा बार बार यह कहने पर कि वो इसका पूरा ख्याल रखंगे तो गरीबी से परेशान परिवार को लगा शायद इसी बहाने उनकी एक बच्ची कि जिंदगी बन जाएगी, वो पढ़ लेगी, वे कुसुम की बात मान लेते हैं।

लेकिन परिवार यहीं गलती कर जाता है क्योंकि कुसुम का तो कुछ और ही इरादा था। वो इस लड़की को पढ़ाने या परवरिश के लिए नहीं बल्कि उससे यौनाचार व यौन हिंसा  के लिए लेने आई थी, जिसे ये गरीब परिवार न समझ सका। 

2014 में जब ये बच्ची कुसुम के साथ उसके घर गई, उसके कुछ दिनों बाद से ही उसका शोषण शुरू हो जाता है। कुसुम उसको घर में आने वाले लोगों से सम्बन्ध बनाने के लिए मजबूर करना शुरू कर देती है। जब वो इसका विरोध करती थी तो उसे उसके पिता, भाई और जीजा को जान से मारने कि धमकी दी जाती है। इस दौरान एक ही गाँव के होने के बावजूद बच्ची को उसके परिवार से मिलने नहीं दिया जाता है

पूरे मामले का खुलासा कैसे हुआ ?

जब परिवार ने बच्ची को वापस भेजने को कहा तब लगातर कुसुम उन्हें मना कर देती थी शायद उसे डर था कि उसके घिनौने कृत्य का खुलासा न हो जाए परन्तु जब परिवार ने गाँव के सरपंच और अन्य लोगो से गुहार लगाई तब जाकर कुसुम बच्ची को घर भेजने को राज़ी तो हुई लेकिन उसने बच्ची को इतना डरा दिया था कि अगर वो किसको भी कोठी में हुई घटना के बारे में बोलेगी तो उसकी और उसके परिवार को जान से मरवा देंगी  इसी कारण बच्ची घर आने के बाबजूद भी किसी को अपने साथ हुई क्रूरता के बारे में नही बताती।

बच्ची के घर वापस आने के कुछ दिनों बाद ही कुसुम एक दिन दोपहर के समय फिर उसके घर आती है। बच्ची उस समय घर पर अकेली थी क्योंकि उसके माता  पिता दोनों ही दिहाड़ी मजदूर थे और दोनों ही काम पर गए हुए थे। कुसुम बच्ची को डरा-धमका कर वापस अपने साथ ले जाती है।

जब बच्ची के माता पिता वापस आये तो देखा कि उनकी बच्ची घर पर नहीं है, तो उन्हें समझ आ गया कि उनकी बच्ची को वापस कुसुम ले गई है,  इसलिए वो कुसुम के पास गए लेकिन कुसुम ने साफ इंकार कर दिया कि बच्ची उसके पास है। लेकिन परिवार को यकीन था कि उनकी बच्ची उसके अलावा और कहीं नहीं जा सकती है।

परिवार ने  बार बार कुसुम से आग्रह किया कि वो उनकी बच्ची को लौटा दें परन्तु कुसुम इंकार करती रही। तब हारकर परिवार ने स्थानीय थाने में अपने बच्ची की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करा दी।

आपको बता दें कि कुसुम परिवार को  बच्ची सौंपती कैसे, उसने तो बच्ची को कुरुक्षेत्र के एक ढाबे पर बेच दिया था लेकिन जब पुलिस ने कुसुम पर दबाव डाला तब जाकर कुसुम बच्ची को लेने ढाबे पर गई लेकिन उसने बच्ची को बताया कि उसके घर वाले उसे जान से मार देंगे क्योंकि उन्हें पता चल गया है कि वो गलत कम करती है इसलिए वो सबके सामने यह कहे कि उसके साथ गलत काम उसके पिता, भाई और जीजा ने किया है। उसके बाद उसने बच्ची को किसी अन्य आदमी के माध्यम से पुलिस के समक्ष पेश कराया। बच्ची को जब कोर्ट में पेश किया तो उसने वही  कहा जो उसे कुसुम ने कहने को कहा था। उसके बाद बच्ची को नारी निकेतन भेज दिया गया। इस दौरन बच्ची की मेडिकल जाँच हुई तो पता चला कि वह गर्भवती है। उसके बाद प्रशासन ने उसका गर्भपात करवाया।

लेकिन लड़की जब नारी निकेतन में मिली तब जाकर उसने अपनी पूरी व्यथा बताई तब जाकर पूरी सच्च्चाई सामने आई कि किस तरह से कुसुम द्वारा उसका शोषण पिछले लम्बे समय से किया जा रहा था।

अभी इस मामले में कुसुम और ढाबे के मालिक पुलिस की गिरफ्त में है और पुलिस कि जाँच जारी है लेकिन परिवार ने पुलिस के रैवये पर भी गंभीर सवाल उठाए और कहा कि अगर वो सही समय पर उचित कार्रवाई करती तो उनकी बच्ची जल्दी मिल सकती थी।

परिवार को अभी पुलिस पर यकीन नहीं है। उनका कहना है अभी भी पुलिस कुसुम और उसके साथियों की सहायता कर रही है, क्योंकि कुसुम बहुत ही प्रभावशाली घर से और पुलिस भी उन से मिली हुई है इसलिए वो लोग अपना घर छोड़कर भागे हुए हैं इन सबसे छुपकर रह रहे हैं।

(हम इस पीड़ित परिवार से जाकर मिले और उनसे बातचीत के आधार पर ही यह सारी रिपोर्ट तैयार हुई है।)

पूरा वीडियो यहां देखें :

 

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