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सरकार शिक्षा उपकर का 1.16 लाख करोड़ रुपया दबाए बैठी है

सर्व शिक्षा अभियान और मिड-डे मील (एमडीएम) योजनाओं के बजट आवंटन का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा प्रारम्भिक शिक्षा कोष (पीएसके) से आता है। सरकार ने पीएसके के लिए जो उपकर एकत्रित किया वह उसे हस्तांतरित करने में विफ़ल रही है।
सरकार शिक्षा उपकर का 1.16 लाख करोड़ रुपया दबाए बैठी है

पिछले 10 वर्षों से, एक ख़ास उद्देश्य के लिए शिक्षा उपकर को केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किया जा रहा है जो राशि क़रीब 1.16 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, इस धन का इस्तेमाल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए किया जाना था लेकिन इस पैसे को ना तो पूरी तरह से समर्पित कोष में स्थानांतरित नहीं किया गया है और ना ही इसका इस्तेमाल ठीक तरीक़े से हो रहा है।

देश में प्राथमिक शिक्षा और सरकारी स्कूली शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षा उपकर का भुगतान करता है, लेकिन सरकार इस उपकर को प्राम्भिक शिक्षा कोष (पीएसके) में स्थानांतरित नहीं कर पा रही है। पिछले 10 वर्षों में वित्त वर्ष 2009-10 और 2019-20 के बीच 1,16,898 लाख करोड़ रुपये प्राम्भिक शिक्षा कोष (पीएसके) को हस्तांतरित नहीं किया गया है, जबकि सरकार ने यह राशि जनता से शिक्षा उपकर के नाम पर वसूल की है।

शिक्षा उपकर क्या है

शिक्षा में कुल किये गए बजट आवंटन और अनुमानित वित्तीय आवश्यकताओं के बीच के अंतर को पाटने के लिए, शिक्षा उपकर पहली बार 2004 में 2 प्रतिशत से शुरू किया गया था। प्रमुख केंद्रीय करों, सीमा शुल्क और संघ उत्पाद शुल्क पर उपकर लगाया जाता है। इसे वित्त अधिनियम, 2004 के माध्यम से लगाया गया था, और इसका मक़सद "शिक्षा की वित्तीय सार्वभौमिक गुणवत्ता प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करना था"।

2007 में, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिए अतिरिक्त 1 प्रतिशत उपकर शुरू किया गया था। 2019 में, अंतरिम बजट में, सरकार ने 'निगम कर' और 'आय पर कर' पर 4 प्रतिशत स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर की घोषणा की। जबकि सीमा शुल्क, संघ उत्पाद शुल्क और सेवा कर पर लगाया जाने वाला उपकर अपरिवर्तित रहा।

इस लेख में, हम मुख्य रूप से शिक्षा उपकर पर ध्यान केंद्रित करेंगे। यह उपकर केवल प्रारंभिक शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए लगाया जाता है और इसका समर्पित कोष प्राम्भिक शिक्षा कोष (पीएसके) है, जो एक ग़ैर-देय निधि (नॉन-लैप्सबल फ़ंड) है - जिसका अर्थ है कि यदि एक वर्ष में एकत्रित राशि का उपयोग नहीं किया जाता है, तो इसे आगे इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इस निधि का उद्देश्य प्रारंभिक शिक्षा और मध्याह्न भोजन योजना का वित्तपोषण करना हैं। प्राम्भिक शिक्षा कोष का रखरखाव केंद्र सरकार के मानव संसाधन और विकास मंत्रालय द्वारा किया जाता है।

उपकर का कम हस्तांतरण

वित्त वर्ष 2009-10 से 2019-20 तक के बजट दस्तावेज़ों पर नज़र डालने के बाद पाया गया कि अब तक, शिक्षा उपकर के तहत कुल 3.38 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए जा चुके हैं। हालांकि, पीएसके का रिकॉर्ड इस अवधि के दौरान केवल 2.21 लाख करोड़ रुपये की प्राप्ति दिखाते हैं। इससे पता चलता है कि कुल एकत्रित उपकर का लगभग 35 प्रतिशत (जो 1,16,897.81 करोड़ रुपये बैठता है) को पीएसके को हस्तांतरित नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त, शिक्षा उपकर संग्रह और पीएसके को दिए गए धन के बीच एक बड़ा अंतर है।

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स्रोत: बजट दस्तावेज़ 2009-10 से 2019-20 तक

डॉ. निसार अहमद, निदेशक, बजट विश्लेषण और अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) ट्रस्ट ने न्यूज़क्लिक को बताया कि सरकार को एकत्रित किये गए कुल उपकर को पीएसके में हस्तांतरित करना चाहिए, और फिर बाद में इसे राज्य सरकारों को स्थानांतरित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में सुविधाओं में सुधार और प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए राज्य सरकारों द्वारा इस अतिरिक्त फ़ंड का उपयोग किया जाना चाहिए।

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स्रोत: बजट दस्तावेज़ 2009-10 से 2019-20 तक

अगर हम कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए -2 और बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए- I की तुलना करते हैं, तो हम पाते हैं कि यूपीए-2 ने 75.48 प्रतिशत उपकर को पीएसके को हस्तांतरित कर दिया था, जबकि एनडीए-1 ने केवल 63.91 प्रतिशत हस्तांतरित किया था।

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यदि हम प्रारंभिक शिक्षा की स्थिति को देखते हैं, तो प्राथमिक विद्यालयों का बुनियादी ढाँचा आदर्श स्तर से काफ़ी नीचे है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है जबकि वित्तीय सहायता को बढ़ाना और प्राथमिक शिक्षा को मज़बूत करना समय की ज़रूरत है। राज्यसभा में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विभागीय संसदीय समिति ने भी कहा है कि संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिए और धनराशि का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए।

भारत के संविधान के अनुसार, शिक्षा के वित्तपोषण की ज़िम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त रूप से है, लेकिन सरकार का आवंटन सकल घरेलू उत्पाद के साथ नहीं बढ़ पा रहा है। सरकारों का वित्तपोषण भी सार्वजनिक योगदान पर अत्यधिक निर्भर है। विभिन्न वर्षों के केंद्रीय बजट के आंकड़ों से पता चलता है कि शिक्षा उपकर का संग्रह लगातार बढ़ रहा है। और पीएसके पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा बजट में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन गया है। सर्व शिक्षा अभियान और मिड-डे मील (एमडीएम) योजनाओं के लिए बजट आवंटन का 60 प्रतिशत से अधिक पीएसके से आता है।

शिक्षा पर उपकर प्राथमिक शिक्षा को मज़बूत करने और महत्वपूर्ण योजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए सरकार की राजकोषीय क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। यह पूरी तरह से अनुचित है कि एकत्रित उपकर को समर्पित धन में स्थानांतरित नहीं किया गया है और कई वर्षों तक बिना इस्तेमाल किए पड़ा है। इस पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है।

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