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तिरछी नज़र: कोविड जी फिर पधार रहे हैं

सरकार जी अभी से इस प्लानिंग में लग गए हैं कि इस बार कोविड से किस तरह लाभ उठाया जाए। 'आपदा में अवसर' का नारा तो सरकार जी पिछली बार ही दे चुके हैं।
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कोविड जी फिर से पधार रहे हैं। वहीं से पधार रहे हैं जहां से पिछली बार पधारे थे। अरे भाई, वहीं चीन से। हो सकता है चीन से सीधे न आए, कहीं और होते हुए आएं। पिछली बार भी ऐसे ही आए थे। हम सब और सरकार जी भी चीन की बनी चीजों को हाथों हाथ लेते हैं। इसीलिए सरकार भी चीन से आयात साल दर साल बढ़ाती जा रही है। कोविड भी चीन से आयातित वस्तु ही है।

जैसे ही कोविड के दुबारा आने की आहट सुनी, सरकार जी ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई। उस मीटिंग में सरकार जी ने कहा है कि इस बार कोविड से लड़ने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। तो इस तरह से सरकार जी ने मान लिया कि पिछली बार कोताही बरती गई थी। मीटिंग में कुछ छोटे मोटे अन्य निर्णय भी लिए गए। छोटे निर्णय जैसे सार्वजनिक स्थानों पर मास्क लगाना अनिवार्य करना है, जैसे अस्पतालों को दुरूस्त करना है, आक्सीजन प्रचूर मात्रा में उपलब्ध होनी चाहिए, आदि इत्यादि। वैसे सरकार जी ने उस मीटिंग में और क्या प्रमुख निर्णय लिए, यह अभी भविष्य के गर्भ में है।

अभी पता नहीं है कि सरकार जी कोविड से लड़ने के लिए पिछली बार की तरह इस बार भी बर्तन भांडे ही पिटवाएंगे या फिर कुछ और पिटवाएंगे। पिटवाना लेकिन जरूरी है। रात को नौ बजे नौ मिनट के लिए दिया और टार्च जलवाएंगे या फिर उसका कोई और नया मुहूर्त निकाला जाएगा। उनके उर्वरक दिमाग में कोविड के खात्मे को लेकर इसी तरह की कोई नई प्लानिंग भी हो सकती है। सरकार जी के दिमाग की थाह शायद ही कोई लगा सकता है। कम से कम मैं तो नहीं। असलियत में कोविड को लेकर सरकार जी की क्या प्लानिंग है, वह तो तब ही पता चलेगी जब सरकार जी रात के आठ बजे अपने मुखारविंद से उसकी घोषणा करेंगे।

सरकार जी अभी से इस प्लानिंग में लग गए हैं कि इस बार कोविड से किस तरह लाभ उठाया जाए। 'आपदा में अवसर' का नारा तो सरकार जी पिछली बार ही दे चुके हैं। वह नारा इस बार भी बरकरार रहेगा। सरकार जी इस सोच में हैं कि पिछली बार बने कोष को ही दुबारा चालू किया जाए या फिर कोई नया कोष बनाया जाए जिसमें कारपोरेट उनके लिए चंदा दे सकें। और फिर उस कोष का पैसा कैसे और कहां इस्तेमाल किया जाए। पिछली बार तो कोविड काल में अपने लिए हवाई जहाज खरीदा था, इस बार नया क्या खरीदा जाए।

'आपदा में अवसर' कार्यक्रम के तहत सरकार जी और उनका सारा मंत्रीमंडल इस लिस्ट को बनाने में व्यस्त है कि कोविड काल में क्या क्या नए अध्यादेश लाने हैं। पिछली बार के काले कृषि कानूनों की तरह इस बार कौन सा काला कानून बनाना है। इस प्लानिंग में लगे हैं कि इस बार किस काले कानून को अमलीजामा पहनाना है और किन किन लोगों को निशाना बनाना है।

सरकार जी को पिछली बार की दूसरी लहर का अनुभव तो है ही। अनुभव है कि बीमारों की संख्या को, मृत हुए लोगों की संख्या को किस तरह से छिपाना है। अगर इस बार भी लहर उतनी ही प्रबल हुई तो यह अनुभव तो काम आएगा ही, साथ ही जो उस बार नहीं कर पाए, इस बार वह भी कर पाएंगे। पिछली बार जो कमियां रह गईं थीं उन्हें इस बार नहीं रहने दिया जाएगा। इस बार किसी को भी श्मशान घाटों के बाहर की तस्वीर नहीं खींचने दी जाएंगी। किसी को भी यह नहीं बताने दिया जाएगा कि कितने लोग अस्पतालों के बिना, आक्सीजन के बिना मारे गए। और यह भी नहीं कि जीवन रक्षक दवाएं कितने ब्लैक में मिल रही हैं। इस तरह से पिछली कमियों से सीख ले, सरकार जी इस बार कोविड से अधिक अच्छी तरह निपट सकेंगे।

सरकार जी के 'आपदा में अवसर' कार्यक्रम से सरकार जी ही नहीं, अन्य लोग भी लाभ उठा पाएंगे। जिन लोगों की कोरोनिल दवाई का स्टाॅक बचा रह गया है, वे उसे नये लेवल लगा बेच पाएंगे। दो चार लोग देश की बची कुची संपत्ति भी औने पौने दामों पर खरीद पाएंगे। लोगों को समझा देंगे कि कोविड से बचाने के लिए यह कितना जरूरी है। सरकार जी बूस्टर डोज़ के नाम पर पैट्रोल और डीजल की कीमत बेइंतहा बढ़ा सकेंगे और हम सरकार जी के गुणगान में मस्त रहेंगे।

कोविड कितना भी जोर से आए, कभी भी आए, सरकार जी की सभाएं, जन सभाएं होती रहेंगी। जी 20 तो होगा ही, नमस्ते बाइडेन भी हो सकता है। सरकार जी और मंत्रीगण सुपर स्प्रैडर बने रहेंगे पर रैलियों, यात्राओं पर रोक लगेगी विपक्षियों की। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी बराबर बीमार होंगे, बराबर मरेंगे। पर बीमारी फैलाने की आरोपी एक क़ौम बनेगी, एक धर्म बनेगा। नफ़रत विपक्षियों और मुसलमानों के खिलाफ ही फैलाई जाएगी। पिछली बार यह सफलता पूर्वक किया गया था, इस बार और अधिक सफलता से किया जाएगा।

तो भाईयों, कोविड जी पधार सकते हैं। और सरकार जी की तो हर हाल में पों बारह है। अगर नहीं पधारे, तो सरकार जी ने पधारने नहीं दिया, रोक लिया। अगर धीरे से पधारे, तो सरकार जी ने मैनेज कर लिया। और अगर ज़ोर से पधारे, फिर तो अवसर ही अवसर है। आपदा जितनी बड़ी, अवसर भी उतना ही बड़ा। तो हे कोविड, अब तुम पधारो या ना पधारो, सरकार जी से महानता का एक और अवसर नहीं छीन सकते हो। 

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