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सऊदी अरब और चीन: अब सबसे अच्छे नए दोस्त?

मध्य पूर्व का यह देश चीन की तरफ झुक रहा है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ उसके लंबे समय से चले रहे मजबूत संबंधों को खत्म करने की एक धमकी है। अब देखना है कि दोनों के बीच यह अनबन कितनी गंभीर है?
Xi Jinping
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (दाएं) जल्द ही सऊदी अरब की यात्रा पर जा सकते हैं 

द वॉल स्ट्रीट जर्नल में यह खबर छापी है कि चीनी नेता शी जिनपिंग इसी साल मई में सऊदी अरब जाने का निमंत्रण स्वीकार कर सकते हैं। इसके बाद, दुनिया के इस सबसे बड़े तेल उत्पादक देश ने कहा है कि वह चीन को अमेरिकी डॉलर के बजाय अपनी मुद्रा, युआन में तेल का भुगतान करने की अनुमति दे सकता है। 

सऊदी अरब अपने सभी तेल निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा चीन को करता है। इस साल के पहले दो महीनों में, उसने इस क्षेत्र में रूस को पीछे छोड़ते हुए चीन को सबसे अधिक तेल निर्यात करने वाला देश बन गया है। 

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से इस क्षेत्र में पैदा हुए भूराजनीतिक तनावों के बीच, और जैसा कि दुनिया उन दोनों के बीच जारी युद्ध के दोनों तरफ खड़ी दिखती है, इस खबर से यह आशंका पैदा हो गई है कि सऊदी अरब रूस के पक्ष में जा सकता है। 

युआन मुद्रा में तेल के भुगतान की अनुमति देने से अंतरराष्ट्रीय भुगतान के लिए एक समानांतर प्रणाली बनाने में मदद मिल सकती है, जहां चीनी युआन अमेरिकी डॉलर के रूप में विनिमय का महत्त्वपूर्ण माध्यम हो सकता है। यह रूस को भी अपने पर लगे प्रतिबंधों को दरकिनार करने में मदद करेगा, क्योंकि तब मास्को युआन का उपयोग कर सकता है। चीन सार्वजनिक रूप से, रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष में अब तक तटस्थ रहा है, लेकिन उस पर रूस को गुप्त समर्थन देने का व्यापक संदेह किया जाता है।

क्या सऊदी अरब वास्तव में युआन भुगतान की अनुमति देगा?

विशेषज्ञों का कहना है कि सऊदी नेतृत्व की यह घोषणा ज्यादातर उनके पश्चिमी सहयोगियों पर दबाव बनाने की एक रणनीति है। वास्तव में, जैसा कि यूरोपियन काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस (ECFR) ने 2019 की एक नीति में इसे मध्य पूर्व में चीन का महान खेल बताया था, इसके मुताबिक सऊदी अरब ऐसा पहले भी कर चुका है।

ईसीएफआर के विश्लेषकों ने यह भी रेखांकित किया कि अमेरिका के मुकाबले चीन को अक्सर "सौदेबाजी के एक चिप" के रूप में उपयोग किया जाता है।

विश्लेषकों का कहना है कि"उदाहरण के लिए, सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के कुछ महीने बाद, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अपने देश में हथियारों की बिक्री के मसले पर अमेरिका और यूरोपीय देशों में चल रही बहस को प्रभावित करने के लिए एशिया के अपने दौरे का उपयोग करते दिखाई दिए।"

saudi2018 में जमाल खशोगी की क्रूर हत्या के मामले में सऊदी अरब को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी जलालत झेलनी पड़ी थी 

क्या है सऊदी अरब पर दबाव?

अमेरिका और यूरोप द्वारा सऊदी समर्थन को बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार ब्रेट मैकगर्क पिछले सप्ताह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की तरह खाड़ी देश की यात्रा पर गए थे। 

अभी तक, हालांकि, अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों ने तेल की कीमतों को कम करने के प्रयास में सऊदी अरब से और अधिक तेल निकालने पर जोर देने की कोशिश की पर वे असफल रहे। संयुक्त अरब अमीरात के साथ, सऊदी अरब अतिरिक्त क्षमता वाले एकमात्र तेल उत्पादक देशों में से एक है। यदि वैश्विक बाजार में अधिक तेल उपलब्ध होता तो यह तेल की कीमतों को राहत देने में मदद कर सकता है, जो रूस से तेल आपूर्ति में व्यवधान के कारण उसका दाम रिकॉर्ड ब्रेकिंग उच्चतम स्तर तक बढ़ गया है। 

वॉल स्ट्रीट की खबर में यह नहीं बताया गया था कि हाल ही में सऊदी अरब के अधिकारियों के साथ हुई बातचीत में युआन करेंसी में तेल भुगतान का मुद्दा भी शामिल था या नहीं। 

यूरोपीय परिषद के वैदेशिक संबंध के बर्लिन कार्यालय में एक विजिटिंग फेलो सिंज़िया बियान्को ने डायचे वेले को बताया "भले ही पश्चिमी कूटनीति इन देशों को एक साथ लाने में सफल रही है,परंतु उनकी [सऊदी अधिकारी] चिंता यह है कि मध्य पूर्व की अहमियत एशिया-प्रशांत क्षेत्र की ओर अमेरिकी धुरी के रुझान और जीवाश्म ईंधन से उसकी दूरी के संदर्भ में कम हो गई है-भले ही उसमें ज्यादा कमी नहीं आई हो।" 

britishब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (बाएं) ने पिछले सप्ताह सऊदी अरब के युवराज के प्रति अपना सम्मान जताया था

खाड़ी क्षेत्र की एक विशेषज्ञ बियान्को ने पिछले हफ्ते ही प्रकाशित एक ब्रीफिंग में इस पर रोशनी डाली है। इसके मुताबिक, "उनका (सऊदी अधिकारियों) मानना है कि वाशिंगटन के पास उन्हें पेशकश करने के लिए कम विकल्प है और धमकी से अधिक कुछ नहीं है, जिसे एक बार वे दे चुके हैं।" 

बियान्को लिखते हैं,  "गल्फ राजशाही का रूस के खिलाफ अमेरिका और यूरोप का पक्ष लेने से इनकार करना, रूस के खिलाफ कतई नहीं है।Iयह नई बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को नेविगेट करने, अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एक व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाने के बारे में है।”

चीन किस तरह से शामिल है?

और यही वह जगह है, जहां से चीन इस परिदृश्य में दाखिल होता है। सऊदी अरब और चीन के बीच संबंध कई सालों से गहरा रहे हैं। 2020 में,सऊदी अरब इस क्षेत्र में चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, दोनों के बीच आयात और निर्यात $ 67 बिलियन ( 60.6 बिलियन) से अधिक था।

ज्यादातर, ये संबंध पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक संबंधों पर आधारित हैं, जो चीन के ट्रिलियन-डॉलर, व्यापार बढ़ाने वाले बेल्ट एंड रोड इनिशियटिव (बीआरआइ) और सऊदी अरब के अपने आधुनिकीकरण की परियोजना, विजन 2030 के बीच तालमेल को उजागर करता है। एक ऐसे देश से संबंध बनाने के अपने स्पष्ट लाभ हैं, जो गैस और तेल का दीर्घकालिक खरीदार होगा, जबकि यूरोपीय ग्राहक ऊर्जा के विकल्प के रूप में सौर और पवन ऊर्जा की तरफ तेजी से उन्मुख हो रहे हैं। 

विजन 2030 का एक अंश सऊदी अरब को भविष्य के लिए तैयार करने के बारे में है, जबकि तेल कम महत्त्वपूर्ण  हो जाएगा और उसका एक पहलू मध्य पूर्व में रसद केंद्र के रूप में सऊदी अरब की क्षमता को बढ़ावा देना है। बीआरआइ इसमें फिट बैठता है, और चीन-सऊदी अरब के पास एक "व्यापक रणनीतिक साझेदारी" है। हालांकि बियान्को जैसे विशेषज्ञ दोनों देशों को परस्पर "सहयोगी" कहने में सावधानी बरतते हैं। 

कुछ विश्लेषकों ने हाल ही में इस घटनाक्रम को चीनी-मध्य पूर्व संबंधों में एक नए युग की शुरुआत माना है। वाशिंगटन स्थित मध्य पूर्व संस्थान के एक अनिवासी विद्वान रोई येलिनेक ने पाया कि इस क्षेत्र के कई विदेश मंत्री जनवरी में चीन के दौरे पर गए थे।

vision35विजन 2030 ने सऊदी जीवन के कुछ हिस्सों को उदार बना दिया है, लेकिन वहां मानव अधिकारों जैसे अन्य पहलू अब भी अपरिवर्तित हैं

येलिनेक ने अपने लेख में कहा कि,  "तथ्य तो यह है कि व्यापार या अर्थव्यवस्था के मंत्रालयों के मंत्रियों की बजाय विदेश मंत्रियों की चीन की यात्रा पर जाना उनके फोकस में आए बदलाव को जाहिर करते हैं।" यह लेख उनके संस्थान की वेबसाइट पर उपलब्ध है। लेख में कहा गया है कि "वर्षों तक आर्थिक उन्मुख संबंधों के बाद...हाल की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भू-राजनीति पर अधिक ध्यान देने के साथ एक नए युग की शुरुआत हो गई है।."

इसमें चीन-सऊदी संबंधों के लिए एक बढ़ता सैन्य घटक शामिल है। जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के फरवरी के अंक में प्रकाशित एक शोध पत्र में अनुसार, 2016 और 2020 के बीच, सऊदी अरब में चीनी हथियारों के हस्तांतरण में 386 फीसदी की वृद्धि हुई। 

पहले चीन ने सऊदी को बैलिस्टिक मिसाइलें बेचीं, फिर सऊदी अरब के अंदर उनके उत्पादन में उसकी सहायता करना शुरू कर दिया। 

यह भी ध्यान देने योग्य है: चीनी दुनिया के उन नेताओं से तालमेल करेंगे, जिनके साथ अमेरिकी डील नहीं करेंगे। जैसा कि ईसीएफआर के विश्लेषकों ने अपनी 2019 नीति ब्रीफिंग में स्पष्ट किया है, "अधिनायकवादी पूंजीवाद का चीनी मॉडल पहले से ही कई मध्य पूर्वी शासनों को आकर्षित करता रहा है, जो चीन के साथ सहयोग को शासन सुधारों और मानवाधिकार उत्तरदायित्व का पीछा करने के लिए पश्चिमी दबाव का विरोध करने के एक साधन के रूप में देखते हैं।"

Chinaचीन के पास दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे विविध मिसाइल भंडार है

क्या यह अमेरिकी डॉलर के लिए अंत है?

सऊदी ने पहली बार आज से लगभग चार वर्ष पूर्व ही चीनी लोगों को युआन में अपने तेल का भुगतान करने का सुझाव दिया था। लेकिन अगर ऐसा होता भी है, तो अल्पावधि और यहां तक कि मध्यम अवधि में विदेशी मुद्रा बाजार पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है, जैसा कि आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं। अधिकांश तेल की कीमत डॉलर में होती है और इससे अलग होने के लिए यह एक लंबी, जटिल प्रक्रिया अपनानी होगी। 

विश्लेषकों ने यह भी बताया कि भले ही सभी सऊदी और चीनी व्यापार का भुगतान युआन में किया गया था, लेकिन यह केवल प्रति कार्य दिवस 320 मिलियन डॉलर (€ 289 मिलियन) के बराबर ही होगा। जबकि इस बीच, दुनिया भर में अमेरिकी डॉलर में सभी व्यापार लगभग $6.6 ट्रिलियन (€ 6 ट्रिलियन) हर कार्य दिवस के बराबर है। 

लंबी अवधि में, हालांकि, इस बात की आशंका है कि विदेशी मुद्रा विनिमय की एक समानांतर वैश्विक प्रणाली अंततः एक वैकल्पिक मुद्रा के रूप में चीन के युआन का उपयोग करके उभर सकती है। भारत अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने के लिए रूस से तेल खरीद के लिए युआन का उपयोग करने पर भी विचार कर रहा है। 

यह कुछ विश्लेषकों द्वारा यह चीन के लिए एक ऐसे दिन के लिए सावधान रहने का तरीका है, जब वह संभावित रूप से पश्चिमी प्रतिबंधों का शिकार बन सकता है, जैसे कि अभी रूस को प्रतिबंधित किया जा रहा है। 

संपादन: मार्टिन कुएब्लर , सौजन्य: डायचे वेले (DW)

अंग्रेजी में इस लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें

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