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किसान आंदोलन की दूसरी सालगिरह : एसकेएम ने किया पूरे देश में 'राजभवन मार्च' का आह्वान

एसकेएम समन्वय समिति और मसौदा समिति की ऑनलाइन हुई बैठक में पूरे देश में राजभवन तक मार्च निकालने का आह्वान किया गया
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दिल्ली: एकबार फिर देश के किसान आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को ऐतिहासिक किसान आंदोलन की दूसरी सालगिरह पर 26 नवंबर को पूरे देश में ‘राजभवन मार्च’ निकालने का आह्वान किया है।

एसकेएम समन्वय समिति और मसौदा समिति की ऑनलाइन हुई बैठक में पूरे देश में राजभवन तक मार्च निकालने का आह्वान किया गया।

विभिन्न किसान संगठनों के साझा मंच एसकेएम ने कहा कि ‘राजभवन मार्च’ और पूरे देश में राज्यपालों को सौंपे जाने वाले ज्ञापन को अंतिम रूप देने के लिए 14 नवंबर को दिल्ली में बैठक होगी।

इस बैठक में किसान नेता हन्नान मुल्ला, दर्शन पाल, यदुवीर सिंह, मेधा पाटकर, राजाराम सिंह, अतुल कुमार अंजान, सत्यवन, अशोक धावले,अविक साहा, सुखदेव सिंह, रामिंदर सिंह, विकास शिशिर और डॉ. सुनीलम ने हिस्सा लिया।

एसकेएम ने बयान जारी कर कहा, ‘‘बैठक में फैसला किया गया कि एसकेएम किसानों के ऐतिहासिक संघर्ष के दो साल पूरे होने के अवसर पर 26 नवंबर को बड़े पैमाने पर राजभवनों तक किसान मार्च निकालेगा।”

किसान नेताओं ने कहा कि राजभवन तक मार्च निकालने के लिए विभिन्न राज्यों में तैयारी और तैयारी बैठकें की जा रही हैं।

उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा वन संरक्षण अधिनियम में किए गए बदलाव की निंदा की। किसान नेताओं ने फैसला किया कि आदिवासी संगठनों के प्रति एकजुटता प्रकट करेंगे जो 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर अपने अधिकारों के लिए कार्यक्रम करेंगे।

गौरतलब है कि हजारों की संख्या में किसानों ने नवंबर 2020 में केंद्र से वर्ष 2019 में पारित तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली का घेराव किया था। इनमें से मुख्यतः किसान पंजाब, हरियाणा , उत्तर प्रदेश और राजस्थान के थे। इस आंदोलन के दबाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नवंबर 2021 में इन कानूनों को वापस लेना पड़ा था। 

हालांकि किसानों कानून वापसी के बाद भी दिल्ली के बॉर्डर छोड़ने से इनकार कर दिया था । क्योंकि उनकी कई और मांगें आंदोलन में जुड़ गई थी । उसमें से प्रमुख थी को आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने, एमएसपी पर कानूनी गारंटी और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की थी । जिसके बाद केंद्र ने पिछले साल नौ दिसंबर को किसानों की अन्य लंबित मांगों पर विचार करने पर सहमति जताई थी। इसके बाद एसकेएम ने एक साल से अधिक समय से चल रहे आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की थी।

हालांकि कानून वापसी को छोड़ बाकी अन्य मांगों को आज भी सरकार ने पूरा नहीं किया है। इसलिए किसान संगठन एक बार फिर देशव्यापी आंदोलन तैयार करने का प्रयास कर रहे है । 

 

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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