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श्रीलंका संकट : आम जनता के साथ खड़े हुए खिलाड़ी, सरकार और उसके समर्थकों की मुखर आलोचना

श्रीलंका में ख़राब हालात के बीच अब वहां के खिलाड़ियों ने भी सरकार और सरकार के समर्थकों की कड़ी निंदा की है और जवाब मांगा है। क्रिकेट जगत के कई दिग्गज अपनी-अपनी तरह से आम जनता के साथ एकजुटता और सरकार के प्रति अपना गुस्सा ज़ाहिर कर रहे हैं।
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पड़ोसी देश श्रीलंका के आर्थिक और राजनीतिक हालात बद से बदतर हो जाने के बाद श्रीलंकाई खिलाड़ियों का भी दर्द छलक पड़ा है, लंका के महान खिलाड़ी और 1996 के क्रिकेट विश्वकप में श्रीलंका को विश्वकप जिताने वाले पूर्व श्रीलंकाई कप्तान अर्जुन रणतुंगा, कुमार संगकारा, महेला जयवर्धने, सनथ जयसूर्या, वानिंदू हसरंगा और निरोशन डिकवेला जैसे खिलाड़ियों ने श्रीलंकाई सत्ताधार राजनेताओं को जमकर आड़े हाथों लिया और देश में चल रहे संकट पर मुखर होकर बोलते दिखे।
 
श्रीलंका साल 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद अब तक के अपने सबसे भयावह और मुश्किल दौर में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बेकाबू हो चुकी भीड़ अभी तक 8 निर्दोष लोगों की जान ले चुकी है, प्रधानमंत्री समेत तमाम सांसदों और सचिवों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया है। हर तरफ आगज़नी और हिंसक झड़पें देखने को मिल रही हैं, क्योंकि आम जनता का गुस्सा अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ चुकी सरकार के कुप्रबंधन पर भारी दिख रहा है। महिन्द्रा राजपक्षे की पार्टी के समर्थक और आम जनता एक दूसरे से भिड़ते दिखे। ऐसे वीभत्स हालात के बाद श्रीलंकाई खेल जगत का खेमा मौजूदा सरकार के प्रति इस कदर नाराज दिखा की एक साथ श्रीलंका के कई महान खिलाड़ियों ने वहां के शासकों और सेनापतियों को निशाने पर लिया और श्रीलंका में जारी राजनीतिक और आर्थिक असंतोष से पनपे गृहयुद्ध जैसे माहौल के लिए सीधे तौर पर तमाशबीन बने सत्ताधारियों को जिम्मेदार ठहराया है।
कुमार संगकारा ने महिंदा राजपक्षे को दिया करारा जवाब-
श्रीलंका के सफलतम विकेटकीपर बल्लेबाज और आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के मुख्य कोच कुमार संगाकारा देश के संकट पर सबसे मुखर दिखे उन्होंने श्रीलंका के प्रधानमंत्री के ट्वीट को कोट करते हुए कहा कि-  
केवल आपके “समर्थकों” –गुंडो और ठगों द्वारा हिंसा को अंजाम दिया गया था, जो शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमला करने से पहले आपके कार्यालय आए थे।

कुमार संगाकारा ने इस मामले पर और भी कई ट्वीट किए और श्रीलंका के हालात पर दुख जताया।
सनथ जयसूर्या ने सड़क पर उतरकर जताया विरोध-
पूर्व श्रीलंकाई ओपनर और दिग्गज क्रिकेटर सनथ जयसूर्या ने श्रीलंकाई सरकार का विरोध सड़क पर उतरकर किया। उन्होंने हाथ में पिस्टल लेकर प्रदर्शनकारियों के साथ मार्च किया। पोस्टर पर श्रीलंका को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाने की अपील की गई थी।
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महेला आंदोलनकारियों पर हमले के वीडियो को पोस्ट करते हुए श्रीलंकाई दिग्गज महेला-जयवर्धने की तीखी टिप्पणी-

महेला जयवर्धने जो कि श्रीलंका की ओर से खेलते हुए दुनियाभर में नाम कमा चुके हैं, और मौजूद वक्त में मुंबई इंडियंस के कोच के तौर पर भारत में हैं, उन्होंने सरकार समर्थक दंगेबाजों की एक वीडियो को पोस्ट किया है जिसमें वे समर्थक सरकार के खिलाफ महिला प्रदर्शनकारियों से खुलेआम मारपीट कर रहें हैं, महेला ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा की – इस तरह वे महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार कर रहें हैं। महिला प्रदर्शनकारियों को पीटा जा रहा है। घसीटा जा रहा है और पुलिस मूकदर्शक बनी है। श्रीलंका की सरकार को शर्म आनी चाहिए, जो हिंसा का सहारा लेती है।
वानिंदू हसरंगा ने लिखा “कायरता और बरबरता”-
श्रीलंका के प्रसिद्ध लेग स्पिनर और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलौर के श्रीलंकाई खिलाड़ी वानिंदू हसरंगा ने शांतिपूर्ण विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर हुए हमले का वीडियो पोस्ट करते हुए ट्वीट किया –
कायरता और बर्बरता ! आज शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रही श्रीलंकाई जनता पर हुए हमले को दो शब्दों में इसी तरह से पिरोया जा सकता है। मैं तो यह सोचकर भी निराश हूं कि हमारे देश में ऐसी लीडरशिप है। मेरा दिल उस व्यक्ति के साथ है जो इन विपरीत हालातों में खड़ा है।

 

 

दुनियाभर में श्रीलंकाई सरकार के कृत्य से लोग नाराज
आपको बता दें कि इन खिलाड़ियों के मुखर होकर अपने सरकार के प्रति नाराजगी जताने के वजह से न केवल श्रीलंका के लोगों पर इसका असर पड़ा है बल्कि दुनियाभर में श्रीलंकाई फैंस,  श्रीलंकाई सरकार के कृत्य की आलोचना कर रहे है।
कुमार संगकारा को ट्विटर पर 16 लाख से अधिक लोग फॉलो करते हैं,वहीं महेला जयवर्धने को भी 12 लाख से अधिक लोग फॉलो करते हैं। अब ऐसे मुखरता से बोलने के कारण दुनियाभर में श्रीलंकाई शासकों की जमकर थू-थू हो रही है। क्रिकेट जगत के तमाम समर्थक और क्रिकेट बोर्डों ने श्रीलंका में अस्थिरता और हिंसा को देखते हुए, विदेशी दौरों को भी टालने की बात होने लगी है।
एशिया कप के आयोजन पर भी फिर सकता है पानी
श्रीलंका में इस साल 27 अगस्त से 11 सितंबर के बीच एशिया कप के आयोजन की भी मेजबानी श्रीलंका को मिली थी लेकिन अब देश में मौजूदा संकट को देखते हुए श्रीलंकन क्रिकेट बोर्ड सीएलसी ने बैठक भी शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो अब श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ये सीरीज यूएई (दुबई) में कराने की सोच रही है। जल्द ही इस बात पर मुहर भी लगाई जा सकती है।
टल सकती है श्रीलंका-ऑस्ट्रेलिया सीरीज भी
अगले महीने में 7 जून से श्रीलंका की घरेलू सीरीज ऑस्ट्रेलिया के साथ शुरू होनी थी, इस दौरे पर ऑस्ट्रेलिया को श्रीलंका के साथ दो टेस्ट मैच, 3 वनडे मैच और 3 टी-20 मैच खेलना था। लेकिन मौजूदा संकट और हिंसात्मक झड़पों के बाद ये कयास लगाए जाने लगें हैं कि इस सीरीज से श्रीलंका को हाथ धोना पड़ सकता है।
जरा सोचिए की आर्थिक हालात के बद से बदतर हो जाने और महंगाई, बिजली कटौती और अब राजनीतिक संकट के कारण किसी देश को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कितनी समस्याओं से दो-चार होना पड़ सकता है । ये एक विडंबना है कि किसी देश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण आम जनता से लेकर खिलाड़ियों तक को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

क्या भारतीय खिलाड़ियों में इतनी मुखरता है?
 
किसी भी देश की दूसरे देश से तुलना करना सही नहीं हो सकता लेकिन मौजूदा दौर में अगर देखा जाए तो हिंदुस्तान में भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। बेतहाशा महंगाई से आम जनता परेशान है, बिजली संकट को आप झेल ही रहे होंगे। ऐसे में एक सवाल बेहद लाज़मी हो जाता है कि जिस तरह से श्रीलंका के खिलाड़ियों ने मुखर होकर आवाज़ उठाई है, क्या भारत में भी यहां के खिलाड़ी, सिनेमा के प्रसिद्ध लोग महंगाई पर या ग़रीबी और भ्रष्टाचार पर मुखर होकर बोल सकते हैं? क्या देश में बोलने की इतनी आजादी है? क्या भारत का कोई खिलाड़ी प्रधानमंत्री की कहे बात का जवाब कोट करके ट्वीट कर सकता है? 
 
फिलहाल श्रीलंका में व्याप्त आर्थिक और राजनीतिक संकट के कारण आपातकाल का दौर जारी है। राष्ट्रीय मुद्रा कोष खाली हो चुका है, महंगाई चरम पर है, पीएम महिंदा राजपक्षे इस्तीफा देकर सरकारी सैन्य शरण में हैं, सड़कों पर आगजनी और तोड़फोड़ के बाद तनावपूर्ण शांति है। 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।) 

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