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तेलंगाना चुनावः टीआरएस और कांग्रेस नीत गठबंधन ने महिला और ओबीसी की नुमाइंदगी को नज़रअंदाज़ किया

सीपीआई(एम) के अगुवाई वाले बहुजन वाम मोर्चा ने इस विधानसभा चुनावों में एक ट्रांसवुमैन और 55 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया।
Telangana elections

विधानसभा चुनावों के प्रचार के लिए अब तीन सप्ताह से भी कम समय बचा है। तेलंगाना के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने आख़िरकार चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की अपनी आख़िरी सूची की घोषणा कर दी है। लेकिन इस राज्य में अल्पसंख्यकों और महिलाओं के प्रतिनिधित्व को नज़रअंदाज़ किया गया है जो के चंद्रशेखर राव के तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) या कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा सीटों के बटवारे से परिलक्षित होता है।

हालांकि सीपीआई(एम) के अगुवाई वाली बहुजन वाम मोर्चा (बीएलएफ) ने चुनावों लड़ने के लिए लगभग 50 प्रतिशत पिछड़े जाति के उम्मीदवारों को टिकट देकर एक उदाहरण स्थापित किया और एक ट्रांसवुमैन उम्मीदवार को मैदान में उतारा जो देश के इतिहास में पहली बार हुआ है।

ट्रांस-जेंडर के अधिकार के लिए काम करने वाले एम चंद्रमुखी गोशामहल विधानसभा क्षेत्र से बीएलएफ का प्रतिनिधित्व कर रहे है। चंद्रमुखी को टीआरएस उम्मीदवार प्रेम सिंह राठौड़ और अपने विवादास्पद सांप्रदायिक बयान के लिए जाने मौजूदा विधायक और बीजेपी उम्मीदवार राजा सिंह के ख़िलाफ़ खड़ा किया गया है।

टीआरएस और प्रजाकुटामी द्वारा पिछड़ी जाति के उम्मीदवार को अपर्याप्त प्रतिनिधित्व

6 सितंबर को राज्य विधानसभा भंग होने के बाद टीआरएस ने फौरन अपना चुनाव अभियान शुरू कर दिया और उसी दिन उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची की घोषणा की। तब से टीआरएस पार्टी के नेता उनका समर्थन हासिल करने के लिए कई जाति के नेताओं से मुलाक़ात में व्यस्त रहे। रिपोर्ट के अनुसार गजवेल में जो कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का निर्वाचन क्षेत्र है यहाँ अक्टूबर महीने में टीआरएस नेताओं ने यादव और पद्माशली समुदाय (दोनों ओबीसी समुदाय हैं) के लोगों के साथ दो अलग-अलग बैठकें की थीं। दूसरी तरफ टीआरएस पार्टी ने दिसंबर महीने में होने वाले चुनावों के लिए 30 से कम ओबीसी उम्मीदवारों का चयन किया है। पार्टी ने वेलामास, रेड्डी और खम्मास सहित ऊंची जातियों के उम्मीदवारों के लिए 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटों को छोड़ दिया।

इसी तरह का मामला प्रजकुटामी के साथ है। इस गठबंधन में कांग्रेस शामिल है जो 94 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं तेलुगू देशम पार्टी 14,प्रोफेसर कोडनडराम की नई तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) पार्टी 8 और सीपीआई 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 94 सीटों में से कांग्रेस ने केवल21 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया जबकि रेड्डी समुदाय के 33 उम्मीदवारों खड़ा किया है।

सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही बीजेपी ने 30 से कम ओबीसी उम्मीदवार को टिकट दिया है।

मिरयालागुडा निर्वाचन क्षेत्र

राज्य में स्व घोषित ओबीसी नेता आर कृष्णय्या ने आख़िरकार मिरयालागुडा निर्वाचन क्षेत्र के लिए कांग्रेस से अपना परचा भरा है। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में टीडीपी के टिकट पर कास्ट लीडर कृष्णय्या विधायक (एलबी नगर निर्वाचन क्षेत्र से) बने। चूंकि राज्य में चुनावी मौसम शुरू हो गया है ऐसे में कृष्णय्या सुर्खियों में थे क्योंकि वे कांग्रेस और बीएलएफ समेत सभी प्रमुख दलों से मुलाकात कर रहे थें। पहले उन्होंने घोषणा की कि वह बहुजन वाम मोर्चा की तरफ से चुनाव लड़ेंगे लेकिन 18 नवंबर की शाम को वे कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्हें मिरयालागुडा में सीपीआई(एम) के उम्मीदवार जुलाकांती रंगरेड्डी और टीआरएस उम्मीदवार एन भास्कर राव के ख़िलाफ़ खड़ा किया गया है।

मिरयालागुडा के सीपीआई (एम) उम्मीदवार रंगरेड्डी को उम्मीद है कि राज्य में ग़रीब, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कांग्रेस गठबंधन और टीआरएस के मुकाबले बीएलएफ को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने कहा: "जैसा कि पहले घोषिणा किया गया था,बीएलएफ चुनाव लड़ने वाले 55 ओबीसी उम्मीदवारों के साथ सबसे समावेशी गठबंधन है। बीएलएफ का मुख्य एजेंडा सामाजिक न्याय और उत्पीड़ित लोगों को शक्ति प्रदान करना है।" उन्होंने कहा कि मिरयालागुडा क्षेत्र से कृष्णय्या के उम्मीदवारी की अचानक हुआ घोषणा से कांग्रेस को नुकसान होगा जो ओबीसी समुदायों को लुभाने की कोशिश कर रही है।

तेलंगाना में लगभग 53 प्रतिशत ओबीसी समुदाय की आबादी है। राजनीतिक टिप्पणीकार तर्क दे रहे हैं कि आगामी चुनावों में इन समुदायों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी। दूसरी तरफ, इस दौड़ में सभी प्रमुख दलों ने एससी और एसटी उम्मीदवारों को केवल उन निर्वाचन क्षेत्रों में जगह दिया जो चुनाव आयोग द्वारा आरक्षित हैं।

महिला की नुमाइंदगी बदतर

टीआरएस सरकार की एक और बड़ी आलोचना यह हुई है कि विधानसभा में टीआरएस की छह महिला विधायकों के बावजूद पार्टी के कैबिनेट में एक भी महिला मंत्री नहीं थीं। टीआरएस पार्टी ने इन चुनावों में कुल 119 सीटों में से केवल चार महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतार कर महिलाओं की संख्या को कम किया है।

विडंबना यह है कि 119 निर्वाचन क्षेत्रों में से 55 में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं की तुलना में अधिक है।

यही हाल अन्य दलों का है। कुल 94 उम्मीदवारों में कांग्रेस ने केवल 11 महिलाओं को टिकट दिया है। बीएलएफ और बीजेपी में प्रत्येक ने 11महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है वहीं टीडीपी, टीजेएस और सीपीआई ने एक-एक महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा है

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