NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
संस्कृति
कला
संगीत
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
भारतीय शास्त्रीय वाद्य-यंत्रों के गढ़ में कारीगरों की जीविका के टूटे तार, सात महीने से बेरोज़गार 
महाराष्ट्र में लॉकडाउन और लॉकडाउन में दी गई ढील के बावजूद सख्ती के कारण वाद्य-यंत्र निर्माण और कारोबार लगभग बंद है। वाद्य-यंत्र निर्माण के कारण पहचाने जाने वाले अकेले मिरज शहर के हज़ारों कारीगर और उनके परिजन भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं।
शिरीष खरे
07 Oct 2020
sa
सांगली के मिरज में हज़ारों कारीगर और उनके परिजन आज मुश्किल हालात में हैं। फोटो : प्रमोद जेरे

सांगली: पश्चिम महाराष्ट्र में उत्तर कर्नाटक की सीमा को छूता सांगली जिले का एक छोटा शहर मिरज कई प्रकार के वाद्य-यंत्र निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, कोरोना महामारी, संक्रमण पर नियंत्रण लगाने के लिए किया गया लॉकडाउन और लॉकडाउन में दी गई ढील के बावजूद सख्ती के कारण यहां पिछले सात महीनों से वाद्य-यंत्र निर्माण और कारोबार लगभग बंद है। इस दौरान वाद्य-यंत्रों की मांग और देश-विदेश में उनका निर्यात नहीं होने की स्थिति में इस कारोबार से जुड़े मिरज के ज्यादातर कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है। हालात ऐसे हैं कि उनके पास हर महीने घर-गृहस्थी का बोझ उठाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। यदि शीघ्र ही कोई समाधान नहीं निकला तो इन कारीगरों की स्थिति बद से बदतर हो जाएगी।

दरअसल, महाराष्ट्र में कोरोना का कहर सर्वाधिक है और इसकी वजह से संगीत के क्षेत्र में भी यहां बुरा असर पड़ा है। इस राज्य भी तमाम तरह की संगीत महफिलें, जात्रा, मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण लगभग बंद हो गए हैं। संगीत कार्यक्रमों पर पड़ी इस भारी मार का असर संगीत क्षेत्र से जुड़े अन्य तबकों पर भी पड़ा है। यही कारण है कि वाद्य-यंत्र बनाने में माहिर कारीगरों की जिंदगी का सुर भी बेसुरा हो गया है और उनके खाने-कमाने के तार टूट गए हैं। इसलिए, इस महामारी के दौर में मिरज की सितारमेकर गली के भीतर पिछले सात महीने से सन्नाटा पसरा हुआ है। जबकि, यहां पूरे साल वाद्य-यंत्र प्रेमियों से लेकर इस कारोबार से संबंधित कारोबारियों की भीड़ और चहल-कदमी देखी जा सकती थी।

सांगली तंतुवाद्य2.jpg

दूसरी तरफ, ऐसी स्थिति में विशेष रूप से वाद्य-यंत्र निर्माण के कारण पहचाने जाने वाले अकेले मिरज शहर के हजारों कारीगर और उनके परिजन भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। इसके बावजूद यह मुद्दा और वाद्य-यंत्र कारीगरों की इस समस्या को सरकार के साथ-साथ समाज के प्रभावशाली वर्ग द्वारा भी अनदेखा किया जा रहा है। लिहाजा, 'शास्त्रीय संगीत का गढ़' और 'तार वाद्य-यंत्रों का घर' जैसे नामों से मशहूर मिरज शहर में इस वर्ष मार्च से वाद्य-यंत्र बनने और बिकने बंद हो गए हैं।

इस कारोबार से जुड़े रमेश जोशी बताते हैं कि मिरज से देश के अन्य शहरों में वाद्य-यंत्रों को सबसे अधिक रेल नेटवर्क के जरिए पहुंचाया जाता है। लेकिन, कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए इस वर्ष मार्च महीने से पूरे देश में रेल-सेवा सुचारू रुप से संचालित नहीं हो पा रही है। इस कारण मिरज से वाद्य-यंत्रों को अन्य शहरों में पहुंचाना मुश्किल हो गया है। इसी तरह, मौजूदा समय में रेलवे के सीमित संचालन के कारण वाद्य-यंत्रों के तार बनाने के लिए आवश्यक रेशा और अन्य सामग्री भी मिरज तक पहुंचना सुलभ नहीं रह गया है। वहीं, अन्य परिवहन-सेवा भी सामान्य नहीं कही जा सकती है। यहां तक कि पहले से ही विदेशों में निर्यात किए जाने वाले वाद्य-यंत्र अभी भी विभिन्न देशों के हवाई अड्डों पर अटके हुए हैं। इसके अलावा, कई गोदामों में बड़ी संख्या में अनेक वाद्य-यंत्र हो गए हैं। असल में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा जांच के दौरान अपनाई जा रही जांच प्रक्रिया वाद्य-यंत्र व्यवसाय के सामने बड़ी चुनौती है। दूसरी तरफ, पिछले सात महीनों से विदेशी कलाकारों द्वारा होने वाली मांग भी रुक गई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि संगीत वाद्य-यंत्र के विदेशी निर्यात पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। ऐसा इसलिए कि एक-एक वाद्य-यंत्र की कीमत लाखों रुपए में होती है और भारत के कई संगीत घरानों के अलावा विदेशों में रहने वाले शास्त्रीय संगीत कलाकार ऊंची रकम देकर भी मिरज के वाद्य-यंत्र खरीदते हैं। इस कारण मिरज के कलाकारों को इससे हर साल खासा मुनाफा होता था।

सांगली तंतुवाद्य3.jpg

यहां वाद्य-यंत्र कारोबार से जुड़े एक अन्य कारोबारी अमजद मजीद बताते हैं कि भारत को छोड़कर पूरे विश्व में गुणवत्ता युक्त वाद्य-यंत्रों के निर्माण के लिए मिरज शहर की विशेष प्रतिष्ठा है। डेढ़ सौ वर्षों से अधिक समय के दौरान हजारों पेशेवर कारीगरों की कई पीढ़ियां इस व्यवसाय में काम कर रही हैं। पिछले कई वर्षों से तार वाले वाद्य-यंत्रों को बड़े पैमाने पर दुनिया भर के विभिन्न देशों में निर्यात किया गया है। यहां तक कि इन वाद्य-यंत्रों की मरम्मत के लिए भी कई स्थानीय कारीगरों को विदेशी संगीत कलाकारों द्वारा आमंत्रित किया जाता है। कई वाद्य-यत्रों से जुड़े तार आदि डाक-सेवा के माध्यम से विदेशों में निर्यात किए जाते हैं। निर्यात के मामले में देखें तो स्थिति यह थी कि पिछले वर्ष तक मिरज के वाद्य-यंत्र और तार आदि उपकरणों की संख्या हजारों में थी। लेकिन, अब ऐसी स्थिति नहीं रह गई है। लिहाजा, कोरोना-काल में खास तौर से इन वाद्य-यंत्रों को यूरोप सहित जापान और चीन जैसे देशों में भेजा जाना बंद हो गया है। इन देशों ने कोरोना संक्रमण के डर से अनेक विदेशी सामानों के आयात पर रोक लगाई हुई है। इसलिए, जांच की प्रक्रिया के दौरान मिरज के वाद्य-यंत्रों को हवाई-अड्डों पर ही रोक दिया गया है। क्योंकि, सारा माल हवाई अड्डों के बाहर गोदामों में पड़ा है, इसलिए यह कई कलाकारों तक नहीं पहुंच सका है।

मिरज में सरस्वती तंतु वाद्य-यंत्र केंद्र के संचालक अल्ताफ सतारमेकर बताते हैं कि संगीत क्षेत्र में विदेशी कलाकार भी पिछले कई महीनों से कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं, इसलिए देश के साथ विदेश तक से वाद्य-यंत्र और तारों की मांग नहीं रह गई है। वहीं, कई संगीत कलाकारों द्वारा वाद्य-यत्रों का भुगतान नहीं किया गया है। इससे इस व्यवसाय से जुड़े निर्यातकों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। इन सभी संकटों ने मिरज शहर में हजारों वाद्य-यंत्रों को बनाने वाले कारीगरों की आजीविका पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है। लिहाजा, इन कारीगरों में से ज्यादातर अब अन्य छोटे और बड़े व्यवसायों की ओर रुख करना चाहते हैं। इससे वाद्य-यंत्रों के उपकरणों के उत्पादन में भी एक ठहराव आ गया है।

सांगली तंतुवाद्य4.jpg

कहा जाता है कि तारों से संबंधित वाद्य-यंत्रों के कारीगर बेहद सहनशील और संवेदनशील होते हैं। यह अलग बात है कि मिरज में पिछले सात महीनों के दौरान यह पूरा कारोबार एक बड़े संक्रमण से गुजर रहा है। लेकिन, किसी ने भी इससे उबरने के लिए सरल विचार नहीं दिया है। दुर्भाग्य से किसी कलाकार के लिए यह मुश्किल दौर है जो अब इस कला से अलग हो रहा है और जीने के लिए अन्य व्यवसाय की तलाश कर रहा है।

भीतर के सभी फोटो अल्ताफ सतारमेकर, सरस्वती तंतु वाद्य केंद्र, मिरज की ओर से उपलब्ध कराए गए।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं. संपर्क: shirish2410gmail.com पर किया जा सकता है।)

 

condition of artisan in lockdown
indian instrumental music
worker in music in lockdown
artisan unemployemnt
indian music industry
instrumental industry in music
life artisan in mharastra

Trending

अर्नब गोस्वामी की WhatsApp चैट लीक और गोदी मीडिया
छत्तीसगढ़: राज्यपाल को ज्ञापन सौंप, ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली रवाना होंगे सैकड़ों किसान
जनता संसद का विशेष किसान सत्र
बिहार : छोटी अवधि के सीज़न में धान की कम ख़रीद से दुखी किसान
11वें दौर में भी नहीं निकला हल: सरकार अपने प्रस्ताव से आगे बढ़ने को तैयार नहीं
'हम गुलामी से लड़ चुके हैं फिर गुलाम नहीं होंगे'

बाकी खबरें

  • अरनब गोस्वामी की WhatsApp चैट लीक और गोदी मीडिया
    न्यूज़क्लिक टीम
    अर्नब गोस्वामी की WhatsApp चैट लीक और गोदी मीडिया
    22 Jan 2021
    अर्नब गोस्वामी की कथित TRP स्कैम से सवाल खड़े होते हैं – क्या नफ़रत फैलाने वाली ख़बरों की TRP बढ़ाकर दिखाई गई ? क्या इसीलिए बाक़ी चैनल भी ऐसी ख़बरें दिखाने लगे? TRP चोरी का खेल सिर्फ़ मीडिया बिज़नेस…
  • बिहार: सोशल मीडिया पर लगाम की कोशिश, ‘आपत्तिजनक’ पोस्ट माना जाएगा साइबर अपराध!
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार: सोशल मीडिया पर लगाम की कोशिश, ‘आपत्तिजनक’ पोस्ट माना जाएगा साइबर अपराध!
    22 Jan 2021
    सत्ताधारी दल जेडीयू और बीजेपी ने इसका स्वागत किया है, जबकि विपक्षी दलों खासकर आरजेडी और वाम दलों ने इसकी निंदा की है और इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश बताया है।
  • यूपी : कामगार संगठनों ने की योगी सरकार से "राम मंदिर के लिए ज़बरदस्ती चंदा न लेने" की अपील
    अब्दुल अलीम जाफ़री, सुमेधा पाल
    यूपी : कामगार संगठनों ने की योगी सरकार से "राम मंदिर के लिए ज़बरदस्ती चंदा न लेने" की अपील
    22 Jan 2021
    राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने अपने कर्मचारियों से 'स्वैच्छिक' ढंग से एक दिन के वेतन को राम मंदिर निर्माण के लिए चलाई जा रही सरकारी मुहिम में बतौर चंदा देने को कहा है।
  • अमेरिका की सुनियोजित योजना: पाबंदी के ज़रिए गला घोंटना
    यानिस इकबाल
    अमेरिका की सुनियोजित योजना: पाबंदी के ज़रिए गला घोंटना
    22 Jan 2021
    ‘शायद यह सभी विडंबनाओं की एक विडम्बना है कि वेनेजुएला के विरुद्ध पाबंदियां या प्रतिबंध, उसके प्रति होने वाले संभावित अत्याचार से बचाव करने अथवा उससे मुक्त रखने के नाम पर लगाये गए हैं। अमेरिकी तर्ज की…
  • कांग्रेस को जून में मिलेगा निर्वाचित अध्यक्ष
    भाषा
    कांग्रेस को जून में मिलेगा निर्वाचित अध्यक्ष
    22 Jan 2021
    सीडब्ल्यूसी की बैठक में तय किया गया कि पार्टी अध्यक्ष का चुनाव इस साल जून में कराया जाएगा। पत्र विवाद से जुड़े नेता यह मांग कर रहे हैं कि सीडब्ल्यूसी का भी चुनाव होना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें